प्यास में पानी का कोई रंग नहीं होता सिर्फ प्यास होती है। यह प्यास लोगों को मीलों चलने के लिए मज़बूर कर देती है। आँखों को इसकी तलाश में थकान भी महसूस नहीं होती। आखिर हो भी कैसे जब आँखों की नमी को भी पानी की आस है। किसी के लिए पानी सपना तो किसी के लिए मृगतृष्णा है।
यूपी का बुंदेलखंड क्षेत्र दशकों से पानी की त्रास में है। बनती-बिगड़ती जल परियोजनाओं के बीच यह प्यास कभी कम नहीं हुई बल्कि समय के साथ बढ़ती चली गयी। शहरों में लोगों की घरों की टोटियों से निकलता जल यूहीं व्यर्थ कर दिया जाता है। वहीं ग्रामीण पानी की एक बूँद की तलाश में मीलों चलने के बाद भी नहीं थकते। यह कहानी है पानी से प्यास की जिसका सफर बेहद लंबा है, बेहद !!
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की थी। वादा किया गया कि ग्रामीण जल जीवन मिशन के ज़रिये ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुँचाया जाएगा। यह भी कहा कि लोगों की पानी की दिक्कतों को सुलझाने के लिए हर घर में पानी की पाइपलाइन लगाई जायेगी, जिसे ‘हर घर नल योजना’ का नाम भी दिया गया है। साल 2024 तक हर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया लेकिन आज भी लोग स्वच्छ पानी की तलाश कर रहें हैं। पानी कहां है? प्यास कैसे बुझेगी?
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