हमारा देश पुरुष सत्तात्मक देश है। उसी हिसाब से नियम कानून बनाए गये हैं। इस हिसाब से सारे नियम पुरूषो के फेवर में हैं। महिलाओं के लिए बंदिशों में ज़िन्दगी गुजारने का चलन जो हमारा कल्चर है कह कर समाज हम महिलाओं पर थोप देता है।
इस शो में दूसरी शादी की बात हो रही है। हमनें हमेशा यही सुना है कि पति पत्नी के जोड़े तो उपर से बन कर आते हैं, और परिवार अल्लाह और भगवान की मर्जी समझ कर अपनी रजामंदी की मोहर लगा देते न हैं। फिर शादी होती है और सारी बातों रस्मों रिवाज में अल्लाह, भगवान को शामिल करते हैं।
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अकसर ये होता है की कई जोड़े सारी जिन्दगी साथ नहीं रह पाते कोई दुर्घटना, या कोई हादसा , बिमारी के कारण जीवन भर का साथ छूट जाता है और बिछड़ जाता है। कई जोड़े अपनी इच्छा अनुसार भी अलग हो जाते हैं। आपसी तालमेल नहीं बन पाता जिसकी वजह से दोनों पति पत्नी अलग रहने का फैसला कर देते हैं।
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अब कारण जो भी हो भी ऐसे बिछड़े जोड़े में महिला को तो किसी से बात करने की भी परमिशन नहीं होती। अगर महिला किसी से बात कर ले या दूसरी शादी के बारे में सोच भी ले तो वो चरित्रहीन हो जाती है। समाज में वो बुरी गलत औरत मानी जाती है। शादी भी कर लेता है पर उसे समाज के लोग बेचारा कह कर उसका हौसला बढ़ाते हैं। क्या करता बेचारा बच्चे कैसे पालता ? अगर बच्चे नहीं हैं तो बेचारा कैसे सारी जिन्दगी अकेले गुजारता इतनी बड़ी ज़िन्दगी है अच्छा किया दूसरी शादी कर ली अब तक बैठा रहता।
तो फिर समाज यही सब बातें यही नजरिया महिलाओं के प्रति क्यों नहीं रखता? क्यों महिला अपनी जिंदगी नहीं जी सकती क्यों वो अधिकार उसे नहीं जिसकी वो हकदार है? क्यों महिलाओं की जिंदगी का फैसला समाज करता है?
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