कहतें हैं कोई भी काम इंसान सीखकर नहीं पैदा होता। हर इन्सान यहीं आकर सिखता है। फिर चाहें काम हो या कला। हर इन्सान मे कोई हुनर होता है, कला होती है। सबके पास कुछ न कुछ प्रतिभा होती है।
आज के लोगों को ऐक्टर,डांसर, सिंगर बनने का बहुत शौक है। जबसे शोशल मिडिया का क्रेज आया है बहुत से लोगों की प्रतिभा देखने को मिली है। फिर टिकटॉक जैसे कई सारे ऐप्स आए। जिसमें बच्चे हो या बड़े बुजुर्ग सबने खूब मजे किये। उसके साथ ही अपनी कला को दुनिया के सामने भी प्रस्तूत किया। इसके जरिए कुछ लोगों को उनकी मंजिल भी मिली। लेकिन कुछ ही लोगों को,हर किसी को इतनी असानी से सब कुछ नहीं मिल जाता।
अगर देखा जाए तो छोटे-बड़े शहर के लोग हो या गांव के लोग। हर जगह के लोगों के अंदर कुछ प्रतिभाएं हैं। जिसे निखारने का मौका नहीं मिलता।
मैं बुन्देलखण्ड की बात करूँ तो इतना खूबसूरत वातावरण जंगल पहाड़ है। जो ज़्यादातर निर्देशक,प्रोड्यूसर ढूंढ़ते हैं अपनी फिल्मों में खूबसूरत सीन दिखाने के लिए। यहां के लोगों मे ऐक्टिंग का शौक भी है। फिर भी यहां ऐसी कोई जगह नहीं है,न.ही कोई ऐंटिग स्कूल या थिएटर है। जो यहां के बच्चे यहां के लोगअपने सपने पूरे कर सके। यहां के लोग छोटी ,छोटी फिल्मे बनाकर ये साबित कर रहे हैं कि अगर उन्हें कोई प्लेटफार्म मिल जाए तो वो भी बहुत कुछ अपनी एक्टिंग के जरिए कर सकते हैं। बुन्देलखण्ड का नाम और ऊँचा कर सकते हैं।
लेकिन दिल्ली, मुंबई जाकर एक्टिंग सीखना सबके बस की बात नहीं। वहां का खर्च, वहां जाकर रहना खासकर लड़कियों को तो बिल्कुल इज़ाज़त नहीं है न नहीं कुछ लड़को को। जो लोग चित्रकूट से गए हैं उन्होंने प्यार तुने क्या किया, डीआईडी,जोधा अकबर,हातिम आदि जैसे सीरियल मे काम किया है। लेकिन फिर भी सफलता उनके हाथ नहीं लगी। चित्रकूट के लोग जो एक्टिंग में हैं उन सबका कहना यही था अगर हमारे यहां भी कोई जगह हो जहां हम अपनी एक्टिंग की रिहर्सल कर सके या यहां फिल्म सीटी हो जाए तो कितने ही हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही कलाकारों को अपने सपने पूरे करने का भी मौका मिलेगा।
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