जिला महोबा, ब्लाक जैतपुर, गांव कैथौरा जहां पर मिर्च की खेती प्रसिद्ध है जिस बुंदेलखंड को सूखा और किसान की समस्या नाम से जाना जाता है। इससे बुंदेलखंड बदनाम है वहीं पर महोबा के कैंथोला गांव के किसान मिर्च की खेती करके खुद मे अच्छी कमाई करके इस बदनाम को गलत साबित रहे हैं
आइए मैं आपको मिलाती हूं खेती करने वाले किसान जय सिंह से। किसान उन्होंने बताया है कि हमारे गांव में लगभग 50 साल से मिर्च की खेती करते हैं। इससे अच्छी पैदावार होती है हां लागत तो लगती ही है लेकिन इस समय ऐसी कोई फसल नहीं थी जो किसानों के लिए होती एक ऐसे ही मिर्च है जो पूस माह महीने में आती है और खर्च पानी चल जाता है।
जैसे कि हम लोग किसान हैं गेहूं की फसल बोते हैं। तो कहीं डीजल लेना है तो कहीं और कुछ खर्च के लिए मोहताज होते रहते हैं किसान आखिर इस मिर्च की फसल इतने को अच्छी है कि इन दिनों का खर्च पानी बराबर चलता है यहां पर अच्छी मिर्ची की पैदावारी भी होती है एक पेड़ में लगभग 4 किलो मिर्च भर्ती है। जहां पर हम लोग पास के ही बाजार बेलाताल में भेजते हैं और भी जगे ले जाते हैं दूर दरार भी जहां पर हमारी मिर्ची तुरंत बिक जाती है जहां भी ले जाते हैं।
वहां कहते हैं कि कैथोरा गांव की मिर्च है जी हां कैथोरागांव की ही मिर्च है। मिर्ची की खेती भादो की महीना में बोई जाती है उसके बाद खेतों में लगाते हैं। जैसे ही मिर्च के पेड़ 1 फुट के हुए वैसा ही फूलना और करना शुरू हो जाता है। लगभग 4 महीना के बाद अच्छी मिर्ची भर जाती है यहां की मिर्च है जो अचार के ही काम में आती है जो दूरदराज गांव में अचार की ही लिए ले जाते हैं।खेती किसानी में महिलाएं माहिर
मिर्च खरीदने वालों का कहना है कि कैथोरा गांव की अच्छी लंबी और स्वादिष्ट होती है। इस वजह से हम 18 गांव की मिर्ची पसंद करते हैं देखने में भी लंबी खूबसूरत लाल मिर्च होती है। कहते हैं कि मिर्च की खेती में एक व्यक्ति को खेत में ही रहना पड़ता है क्योंकि जब से खेत में मिर्ची लग जाती है। उसकी कई हुआ नींद आई भी करते हैं और फिर तोड़ते हैं। कम से कम 10 बार तो पानी लगाया जाता है और इसमें दवाइयां भी लगती हैं। जो कीड़ा ना लगे मिर्च के पेड़ में एक बीघा में लगभग 10000 का खर्च आता है।