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छत्तीसगढ़ भाजपा ने 30 सितंबर को सड़कों के निर्माण के लिए खुद की पीठ थपथपाते हुए, एक्सप्रेस-वे की तीन तस्वीरें ट्वीट कीं और उन्हें शीर्षक दिया – “विश्वास से विकास का सफर। #बढ़ता छत्तीसगढ़।”
ऑल्ट न्यूज़ ने इन तस्वीरों को अलग किया और उनकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए प्रत्येक की खोज की।
पहली तस्वीर
जब हमने गूगल पर इस पहली तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च की, तो इसी तस्वीर का उपयोग करने वाले मीडिया पोर्टलों के कई लिंक मिले। उनमें से दैनिक जागरण की 2018 की एक रिपोर्ट, ओडिशा टीवी का 2017 का एक लेख, इंडिया टुडे की 2016 की एक रिपोर्ट, एनएमटीवी की 2014 की एक रिपोर्ट, तथा और भी ऐसे रिपोर्ट थे। हमने पाया कि न केवल भारतीय मीडिया, बल्कि इस तस्वीर का इस्तेमाल पाकिस्तानी (1,2) और बांग्लादेशी वेबसाइटों द्वारा भी किया गया है।
इस तस्वीर को शेयर करने वाले अन्य संस्थानों की खोजबीन करते हुए, हमें फाइनेंशियल एक्सप्रेस की 2016 की एक रिपोर्ट मिली। तब ऑल्ट न्यूज़ ने फिर गूगल पर इस तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च की तो बेहतर गुणवत्ता वाली उसी तस्वीर के साथ टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट मिली। अगर कोई इस तस्वीर को ध्यान से देखे तो चौराहे के बाईं ओर एक साइनबोर्ड दीखता है। उस बोर्ड पर लिखा गया “वडोदरा” स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जबकि दूसरा शब्द धुंधला है। हालांकि, इससे हमें यह पता चला कि गुजरात के वडोदरा से गुजरने वाले राजमार्गों को गूगल पर देखा जाना चाहिए कि यह किस तरह दीखता है।
इसके बाद, हमने ‘वडोदरा एक्सप्रेसवे’ की गूगल सर्च की, जो नेशनल एक्सप्रेसवे 1 (एनई -1) या मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे है। गूगल पर इस राजमार्ग की तस्वीरों को स्क्रॉल करते हुए हम gujaratmoney.com लिंक तक पहुंचे, जिसने मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे की उसी तरह की एक तस्वीर शेयर की थी। लेकिन इसे दूसरे दिशा से लिया गया था। चौराहे के बाईं ओर वही साइनबोर्ड था और तस्वीर के बहुत दूर स्थित एक और साइनबोर्ड दोनों तस्वीरों में एक ही स्थान पर था।
gujaratmoney.com की इस तस्वीर पर चौराहे के साइनबोर्ड को कोई भी स्पष्ट पढ़ सकता है। इसपर लिखा है – “वडोदरा” और “नाडियाद”। इससे, यह स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ भाजपा द्वारा शेयर की गई तस्वीर छतीसगढ़ के राजमार्ग से नहीं, बल्कि मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे से संबंधित है।
दूसरी तस्वीर
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर दूसरी तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च की तो कई लिंक मिले जिसमें वही तस्वीर थी। उनमें न्यूज़ 18की 2014 की रिपोर्ट इसे दिल्ली-जयपुर राजमार्ग बता रही थी तो 2016 के अमर उजाला के लिंक में इस तस्वीर का कैप्शन “चंबा की सड़क” के रूप में दिया गया था।
हालांकि हम तस्वीर की उत्पत्ति स्थापित नहीं कर सके, लेकिन हम इसे 2013 तक ढूंढने में सक्षम थे। हमने जो भी लिंक मिला उनमें से किसी में भी यह नहीं बताया गया था कि यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के किसी सड़क की थी।
तीसरी तस्वीर
तीसरी तस्वीर की गूगल रिवर्स इमेज सर्च से हमें कई स्टॉक फोटोग्राफी वेबसाइटों के लिंक मिले। उनमें से एक शटरशॉक (Shuttershock) लिंक था जिसने हमें वेबसाइट के “टोरंटो यातायात तस्वीरें“ अनुभाग में रीडायरेक्ट किया। यहां, हमने पाया कि वही तस्वीर एलीना एलिससीवा नामक एक फोटोग्राफर द्वारा ली गई थी।
ऑल्ट न्यूज़ को कनाडा की वेबसाइट CanStockPhoto की स्टॉक तस्वीरों में भी यह तस्वीर मिली। अगर कोई तस्वीर को ज़ूम करता है, तो गाड़ी में ड्राईवर को बाईं ओर बैठे देखा जा सकता है, जबकि भारत में ड्राईवर की सीट दायीं ओर होती हैं।
ऑल्ट न्यूज़ स्वतंत्र रूप से इस तस्वीर की उत्पत्ति की पुष्टि नहीं कर सका, लेकिन, शटरस्टॉक ने इस तस्वीर को “टोरंटो ट्रैफिक फोटो” के हिस्से के रूप में शामिल किया था और फोटोग्राफर भी कनाडा की ही है। फिर भी ये सबूत निश्चित रूप से स्पष्ट करते हैं कि इस तस्वीर को भारत में नहीं खींचा गया था।
आधारभूत विकास को दिखलाने वाले फोटोग्राफ अक्सर सत्तारूढ़ दल की उपलब्धियों के रूप में शेयर किए जाते हैं। पिछले साल छत्तीसगढ़ के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मुणत ने एक वियतनामी पुल को रायगढ़ के एक पुल के तौर पर शेयर किया था। भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो द्वारा राजकोट बस स्टैंड के डिजिटल इमेज को वास्तविक तस्वीर के रूप में प्रसारित किया गया था। सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अपनी परिवहन वेबसाइट पर अमेरिका और कनाडा के सड़क मार्गों की तस्वीरें पोस्ट की थीं। ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ ऐसी तस्वीरों का इस्तेमाल विकास दिखाने के लिए राजनितिक प्रचार
के तौर पर किया जाता है ऐसे में खुद सत्यापन करना उचित है।
साभार – ऑल्ट न्यूज़