6 सितंबर साल 2018 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बैठक ने अहम फैसला सुनाते हुए धारा 377 को खत्म कर दिया था जो समान लिंग के बीच संबंध को अपराध मानता था। इसके बाद भी समाज में समलैंगिक प्रेम को अपनाया नहीं गया है।
एक पुरुष और स्त्री के बीच प्रेम हो तो उसे समाज की मान्यता है। वहीं अगर वही प्रेम पुरुष-पुरुष व स्त्री-स्त्री के बीच हो तो वह समाज में हंसी का पात्र बन जाता है। वह परिवार की इज़्ज़त पर सवाल खड़ा करने लगता है।
प्रेम में तो कभी लिंग-भेद, जाति-भेद था ही नहीं पर हाँ समाज में ज़रूर से था और आज भी है। दूसरे समुदाय, दूसरी जाति, समान लिंग में प्रेम करना समाज के लिए अपराध की श्रेणी में आता है। इसके लिए एक अलग शब्द भी दिया गया है, वह है “समलैंगिकता।”
समलैंगिक लोगों के बीच प्रेम, उनके अस्तित्व की लड़ाई समाज की रूढ़िवादी विचारधाराओं से पहले और आज भी लड़ी जा रही है। 6 सितंबर साल 2018 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बैठक ने अहम फैसला सुनाते हुए धारा 377 को खत्म कर दिया था जो समान लिंग के बीच संबंध को अपराध मानता था।
कानून में तो समलैंगिक लोगों को कहीं न कहीं आज़ादी मिल गयी पर समाज ने उसे आज भी नहीं माना है। 15 अगस्त 2022 को यूपी के हरदोई जिले से भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया। दो अलग-अलग समुदायों की लड़कियों को एक दूसरे से प्रेम हो गया। 18 साल की सुनीता व 22 साल की रेशमा ( दोनों नामों को बदला गया है) दोनों एक साथ रहना चाहते थे। इसलिए दोनों ने एक साथ अपना घर छोड़ दिया।
जब परिवार ने पुलिस की सहायता ली तो दो दिन बाद 17 अगस्त को पुलिस ने दोनों लड़कियों को ढूढ़कर उन्हें उनके-उनके परिवारों को सौंप दिया और उन दोनों को अलग कर दिया।
सुनीता और रेशमा के प्रेम को समाज और उसके परिवार की मंज़ूरी नहीं थी, इसलिए उन्हें अलग कर दिया गया। हमें आज़ादी तो सिर्फ पन्नों में मिली है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद भी कभी समाज तो कभी परिवार के नाम पर सुनीता और रेशमा जैसे कई लोगों पर इज़्ज़त का हवाला देते हुए बंदिशे लगा दी जाती हैं।
प्रेम न कल आज़ाद था, न आज है। समाज का नज़रिया न कल बदला था और न ही आज बदल पाया है।
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यह है पूरा मामला
खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, सुनीता व रेशमा दोनों ही हरदोई जिले के बेहटा गोकुल थाने की रहने वाली है। दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया और दोनों ने मिलकर साथ रहने का फैसला लिया। बता दें, सुनीता और रेशमा दोनों ने इंटर तक की पढ़ाई की है। सुनीता और रेशमा दोनों एक दूसरे को 4 सालों से जानती हैं।
सुनीता दवा लेना है कहकर घर से निकली तो वहीं रेशमा ने गिरवी ज़ेवर लेने है कहकर घर से निकल गयी। जब दोनों शाम तक घर नहीं लौटीं तो दोनों के परिवारों ने उनकी सूचना पुलिस में दी।
रेशमा की शादी तकरीबन 2 साल पहले हो चुकी है। रेशमा के परिवार वालों ने थाने में यह कहकर रिपोर्ट लिखवाई कि वह पति से गुस्सा होकर कहीं चली गयी है। पुलिस द्वारा दोनों लड़कियों को ढूंढ़ उनके परिवारों को सौंप दिया गया। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सामने आया लेकिन इस मामले में बहुत कुछ ऐसा था जिसे केस के दौरान दबा दिया गया या सामने ही नहीं आने दिया गया।
सुनीता के पिता ने इस बारे में खबर लहरिया की रिपोर्टर को बताया कि उन्होंने तकरीबन 6 महीने पहले उसकी शादी अपनी बड़ी बेटी के देवर से की थी। शादी में लड़के व लड़की, दोनों की मर्ज़ी शामिल थी। सुनीता का पति बाहर रहता है बस इसी बात को लेकर दोनों के बीच लड़ाई हुई थी। यह बात सुनीता ने उन्हें नहीं बताई और बिना बताये अपनी सहेली के साथ चली गयी।
उन्होंने सुनीता के वापस मिलने के बाद यही कहा कि वह अपने ससुराल वापस जाना चाहती है। बाकी सारी बातों को उन्होंने झूठा कहा।
जब सुनीता के पिता यह सब बता रहें थे तो माँ भी वहीं पास में खड़ी थीं। उनकी आँखे तो बहुत कुछ कह रही थी पर ज़बान चुप थी।
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एक-दूसरे के साथ बिताती थीं ज़्यादा समय
स्थानीय लोगों ने हमें बताया कि सुनीता और रेशमा के बीच गहरी दोस्ती थी। दोनों एक दूसरे के घर आया-जाया करती थीं। दोनों का अधिकतर समय एक-दूसरे के साथ ही बीतता था। लोग कहते कि दोनों लड़कियां हैं तो उन्हें कभी कुछ अटपटा नहीं लगा कि दोनों इतना समय एक साथ क्यों हैं या क्या कर रहीं हैं।
सर्विलेंस के ज़रिये लगाया पता – थाना प्रभारी
खबर लहरिया से बातचीत के दौरान बेहटा गोकुल थाने के प्रभारी रन्धा सिंह का कहना था, लड़कियां गुस्से में चली गयी थीं। दोनों के बीच दोस्ती थी या उनका रिश्ता क्या था, यह समझ पाना तो मुश्किल है। दोनों को सर्विलेंस लगाकर ढूंढ़ा गया था।
आगे कहा कि परिवार को अपनी बच्चियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है। साथ ही उन दोनों ने एक साथ रहने की कोई बात नहीं कही है।
रेशमा ने लिखा था 5 पन्नों का खत
थाना प्रभारी रन्धा सिंह कहते हैं,“ 5 पेज के खत में युवती ने बहुत कुछ लिखा है और वो भी मिसरों को मिला कर। जब परिवार ने हमें यह लेटर दिया तो लगा कि यह किसी वेल क्वालीफाइड लड़की ने लिखा होगा। लेकिन हमने युवतियों को बरामद किया तो वो सिर्फ इंटरमीडिएट की निकलीं। मैंने अपने जीवन में इतना खूबसूरत निबंध नहीं पढ़ा जिस अंदाज में वो लिखा गया था। थानेदार ने जब युवती से पूछा कितने दिन लगे इतना सब बना कर लिखने में तो युवती ने जवाब दिया सिर्फ 10 मिनट में ये सब लिखा है .. दिमाग में आता गया और लिखते गए। पुलिस ने समझा-बुझाकर परिजनों के हवाले कर दिया गया है।”
आगे कहा, इस पूरे मामले की मास्टरमाइंड रेशमा ही थी। इससे ज़्यादा वह कुछ कह नहीं सकतें।
समलैंगिक लोगों को लेकर समाज आज भी पीछे
लखनऊ के हमसफ़र संस्था की ऋतू का कहना है कि परिवार वालों द्वारा दोनों लड़कियों को अलग करना गलत है। यूपी में पहले भी समलैंगिक शादी हुई है व जिसके मामले अदालत में भी गए हैं। कई मामलों में उनके अनुसार अदालत का फैसला सही नहीं था। उनके पास सुनीता और रेशमा जैसे कई मामले सामने आते हैं।
वह कहती हैं कि पुलिस को तो इन मामलों में हतस्क्षेप करना ही नहीं चाहिए। अगर दोनों साथ रहने में खुश हैं तो उन्हें साथ रहने देना चाहिए। उनका कहना था कि लोगों के बीच अभी-भी ट्रांसजेंडर या समलैंगिक लोगों को लेकर उतना खुलापन नहीं आया है।
“मैं किसी को भी पसंद कर सकती हूँ। यह मेरा मानव अधिकार है फिर समाज मेरे साथ इस तरह का व्यव्हार क्यों करता है।”
परिवार द्वारा हर तरह से सुनीता और रेशमा के बीच प्यार होने की बात को गलत ठहराया गया। वहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात साफ़ तौर पर कही गयी कि दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। यहां तक की थाने के पुलिसकर्मियों द्वारा भी यह कहते सुना गया था कि दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहती थी। थाने के अंदर यह बातें हँसी-मज़ाक वाले चुटकुलों की तरह चल रही थी।
समलैंगिकता आज भी रूढ़िवादी समाज में एक खौफ है कि कहीं लिंग-भेद की पाबंदियां भी टूट गयी तो समाज का क्या ही अस्तित्व रह जायेगा। समाज में प्रेम करना मुश्किल है और समलैंगिक लोगों के बीच इससे भी ज़्यादा कठिन।
इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है।
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