रिपोर्ट के अनुसार, एमडी डॉक्टर अजय खेड़ा ने बताया कि भारत में हाथी पांव का खतरा बहुत ज़्यादा है। यहां दुनियाभर के कुल मामलों का 40% है। वर्तमान में भारत में लगभग 740 मिलियन लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा है।
Elephantiasis: मौसम बदल रहा है और कई जगहों पर तेज़ बारिश भी हो रही है। बारिश से कई तरह के मच्छर पनपते हैं जिनसे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें से एक बीमारी है ‘हाथी पांव।’ इसे लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (या एलिफेंटियासिस) (Lymphatic Filariasis (or elephantiasis) भी कहा जाता है। फाइलेरिया एक दर्दनाक बीमारी है, जो एक परजीवी रोग है और नेमाटोड (राउंडवॉर्म) नामक सूक्ष्म, धागे जैसे कृमियों यानी कीड़ों की वजह से होती है।
जानकारी के अनुसार, हाथी पांव बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के पैरों में सूजन आ जाती है। पैर सूजकर हाथी के पैरों की तरह मोटे हो जाते हैं। यही वजह है कि इसे आम भाषा में ‘हाथी पांव’ की बीमारी कहा जाता है। लंबे समय तक इस बीमारी में रहने से व्यक्ति के विकलांग होने का भी खतरा रहता है। इतना ही नहीं, इससे अंडकोष में भी सूजन हो जाती है।
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40% लोग हैं ‘हाथी पांव’ बीमारी से ग्रसित
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की जुलाई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, एमडी डॉक्टर अजय खेड़ा ने बताया कि भारत में हाथी पांव का खतरा बहुत ज़्यादा है। यहां दुनियाभर के कुल मामलों का 40% है। वर्तमान में भारत में लगभग 740 मिलियन लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा है।
डॉक्टर का कहना है कि बीमारी के लक्षणों के सामने आने पर, उनके गंभीर होने से पहले संक्रमण को पहली स्टेज में पहचानकर उसका इलाज किया जाना चाहिए। इससे आगे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। बताया गया, शुरुआत में पहचान करके इसके संचरण चक्र को तोड़ना ज़रूरी है ताकि परजीवी मच्छर इसे आगे न बढ़ा सके।
‘हाथी पांव’ के लिए ये दवाएं हैं सुरक्षित
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर मानते हैं कि इस बीमारी के खिलाफ डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी), एल्बेंडाजोल और इवरमेक्टिन जैसी दवाएं सुरक्षित हैं। हालांकि इन दवाओं के कुछ दुष्प्रभाव भी है जैसे- बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, उलटी, रैशेज, खुजली और बेचैनी।
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‘हाथी पांव’ से ग्रसित व्यक्ति खाने में शामिल करें ये चीज़ें
अमर उजाला की प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि हाथी पांव की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को अपने खाने में कुछ चीज़ों को शामिल करने की ज़रूरत है जिसके ज़रिये वह कुछ हद तक बीमारी से निजात पा सकते हैं। जैसे:-
लौंग: लौंग फाइलेरिया के उपचार के लिए बहुत असरदार घरेलू नुस्खा है। लौंग में मौजूद एंजाइम परजीवी के पनपते ही उसे खत्म कर देते हैं और बहुत ही प्रभावी तरीके से परजीवी के रक्त लो खत्म कर देते हैं। मरीज़ लौंग से तैयार चाय पी सकते हैं।
भोजन: फाइलेरिया के इलाज के लिए अपने रोज़ के खाने में कुछ आहार जैसे लहसुन, अनानास, मीठे आलू, शकरकंदी, गाजर और खुबानी आदि चीज़ें शामिल करें। इनमें विटामिन ए होता है। साथ ही इसमें बैक्टरीरिया को मारने के लिए विशेष गुण भी होते हैं।
आंवला: आंवला में विटामिन-सी की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसमें एन्थेलमिंथिंक भी होता है जो घाव को जल्दी भरने में असरदार है। आंवला रोज़ खाने से संक्रमण दूर रहता है।
अदरक: फाइलेरिया से निजात के लिए सूखे अदरक का पाउडर या सोंठ को रोज़ गर्म पानी खाएं। इसे खाने से शरीर में मौजूद परजीवी नष्ट होते हैं और मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
सूचना: यह सिर्फ सामान्य जानकारी है। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर या भरोसेमंद विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।
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