एक तरफ लॉकडाउन के चलते गौशाला में जानवरों को सुविधा नहीं तो दूसरी तरफ पत्थर खाती नजर आई गाय :वाराणासी जिले के सारनाथ थाना अन्तर्गत एक पशु आश्रय केन्द्र बना है| जिससे अन्ना जानवरों को इस गौशाला में रखा जा सके और जानवर खुले में ना घुमे, लेकिन इस समय देखा जा रहा है की इस गौशाला में जानवरों के खाने पीने की कोई सुविधा नहीं है| साथ ही यहाँ पर जो भी पशु रखे जाते हैं उनको टेग लगाना अनिवार्य है, लेकिन यहाँ पर टेग से अधिक पशु रखे गए हैं और पशुओं का रख रखाव ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है| उनको चारा पानी सही समय पर नही मिल पाता है|
इस बारे में डॉ. आर. एन चौधरी ने बताया की छाही गांव में 28 पशु रखे गए हैं टैग कर के लेकिन पचास से अधिक संख्या है इन पशुओं की जब गांव के प्रधानपति सियाराम से कहा जाता है कि जितने पशु को टैग लगा है उतने पशुओं को ही रखना है और उनही की देख भाल ठीक से करनी है और पशुओं की अधिकता होने के कारण सही देखभाल नही हो पाती है| इसके बाद भी वह ध्यान नहीं देते हैं|
एक तरफ लॉक डाउन की समस्या कोरोना से देश जूझ रहा है तो दूसरी तरफ इन बेजुबान पशुओं की दुर्दशा बहुत ही खराब है| इन्हें ना सही समय पर चारा पानी मिलता ना कोई देख भाल करने वाला है क्या कसूर है इन पशुओं जो इन्हें बंद कर दिया जाता है और इन पर सरकार ध्यान ही नहीं देती जिससे दिन प्रति दिन दयनीय स्थिति हो रही है|
वहीं पास के गांव मोकलपुर में बने पशु आश्रय केन्द्र में व्यवस्था तो ठीक है लेकिन पानी की वहां भी समस्या बनी है| ग्राम प्रधान अनमोल सिंह का कहना है कि पशुओं को पानी के लिए हैंडपंप लगा है लेकिन उससे परेशानी होती है समर्सिबल हेतु बिजली की समस्या है बिजली लगवाने के लिए जिले स्तर तक अधिकारियों से गुहार लगा चुका हूं|
लेकिन अभी तक बिजली की समस्या दूर नहीं हुई गर्मी में पानी की समस्या आ ही जाती है|
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ऐसा ही दुसरा मामला चित्रकूट जिले के कस्बा कर्वी का है| जहाँ गाय की स्थिति बहुत बुरी है| यहाँ पर तो गाय को खाना नहीं मिलता तो पत्थर खाने के लिए मजबूर हो गई हैं, जी हा आप सोच भी नही सकते की ऐसा भी हो सकता है क्या
कहते हैं जानवर हो या इन्सान पेट की आग कुछ भी करा लेती लाँकडाऊन मे गायों को तो गौशालाओं मे रख दिया गया लेकिन अभी भी बहुत सी गाय रोड पर भुखी टहल रही हैं भूख से बिलबिलाती गाय खाने को कुछ नहीं मिलता तो रास्ते मे पपड़ा पत्थर को ही भोजन समझ कर खाने की कोशिश करती हैं, लेकिन पत्थर तो पत्थर वो कैसे गाय की भूख मिटाएगा| लेकिन
आज लाँकडाऊन इससे ही गाये का ये हाल नहीं है| बुन्देलखण्ड की गाय भुखमरी की शिकार तों सालों से हो रही हैं|