खबर लहरिया KL लाइव इस दिवाली मिट्टी के दिए जलाइए और सबकी दिवाली हैप्पी बनाइए!

इस दिवाली मिट्टी के दिए जलाइए और सबकी दिवाली हैप्पी बनाइए!

6 नवम्बर 2018, ज़िला बाँदा
दिवाली के इस शुभ अवसर पर सभी लोग अपने घर पर दिए जलाकर उसे रोशन बनाते हैं। दिये दिवाली जैसे त्योहारों पर काफी अहमियत रखते हैं जिसके चलते
कुम्हार हर साल इस मौके पर ढेरों दिये बनाते हैं। इस फेसबुक-लाइव विडियो के ज़रिये हमारा यह उद्देश्य है कि किस तरह कुम्हार का काम केवल दिवाली जैसे त्योहारों पर ही चलता है बाकी दिन उनके दीयों की कोई बिकरी नहीं होती है।

दिवाली के दिनों में भी कुम्हारों को कई परेशानियाँ होती हैं जिसकी वजह से उन्हें इस काम में काफी मेहनत भी करनी पड़ती है। पहले तो दिया बनाने की प्रक्रिया में मेहनत फिर उसकी बिकरी के लिए सही जगह और ग्राहक देखने की मेहनत।

दिवाली आते ही उनका काम बढ़ जाता और दिवाली के जाते ही उनका काम धीमा पड़ जाता है। लेकिन आधुनिकता के ज़माने में कुम्हारों के काम की अहमियत कम होती जा रही है। पहले कुम्हारों का सामान पुरे देश-विदेश में घुमा करता था पर अब केवल उनकी कारीगरी दिवाली तक ही सीमित रह गई है।

कमाई अच्छी न होने के कारण कुम्हार अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी प्रदान नहीं करवा पा रहे हैं। कुम्हारों को सरकार द्वारा आश्वासन मिला था कि उनके काम के लिए उन्हें मिटी सरकारी खदानों से प्राप्त कराई जाएगी पर उन्हें ये सुविधा नहीं मिल पा रही है। उन्हें खुद ही से ये मिटी खेतों और बाकी लोगों से खरीदनी पड़ती है। कुम्हारों का ये भी कहना है कि वो अपने बच्चों को ऐसे भविष्य नहीं देना चाहते इसलिए वो इस कारीगरी को अपने बच्चों को नहीं सिखाते हैं।