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डिजिटल मीडिया और जेंडर, कमाल या मायाजाल !

पिछले साल जब कोरोना के चलते देश और दुनिया भर में lockdown था तो हम सब ने घबराहट महसूस की ही होगी – की न जाने यह सब कैसे हो गया, और पता नहीं कब तक ऐसा ही रहेगा। घबराहट और सवालों के ऊपर, दोस्तों और परिवार से दूर रहने का डर अलग। कभी-कभी सोचती हूँ की अगर उस वक़्त मेरे पास WhatsApp, Facebook और Instagram नहीं होते तो मैं क्या करती? न सब का हाल चाल मिलता और न ही अकेला महसूस न करने का कोई रास्ता होता। शायद इसीलिए आज digital media के बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर पाते।

किसी स्क्रीन वाले यंत्र (जैसे कि mobile phone, computer, laptop इत्यादि) के ज़रिये मिलने वाली जानकारी को डिजिटलमीडिया कहा जाता है। यह जानकारी Text, चित्र, ऑडियो और वीडियो – किसी भी रूप में हो सकती है। इस जानकारी को पाने के लिए इंटरनेट अनिवार्य है।

ऑनलाइन डली किसी भी वीडियो से ले कर, आपके दोस्तों द्वारा शेयर की गयी उनकी फोटो तक – सब सोशल मीडिया है, जो डिजिटल मीडिया का ही एक भाग है।

Udaya अध्यन में पाया गया कि2015-16 से 2018-19 तक में बिहार और U.P. में नौजवानों के smart phone व इंटरनेट प्रयोग में बढ़ोतरी हुई है, और ज़्यादातर किशोर व किशोरियाँ इसे अपने मनोरंजन के लिए या दोस्तों-रिश्तेदारों से बात-चीत के लिए इस्तेमाल करते हैं। डिजिटल मीडिया के अन्य उपयोग भी हैं – जैसे सूचना, शिक्षा और जानकारी, जिनका लाभ फ़िलहाल कम ही उठाया जा रहा है।

यह बात की इस डिजिटल दुनिया में एक जेंडर गैप है – यानी इन सुविधाओं का उपयोग लड़कियों के मुक़ाबले लड़के ज़्यादा कर पाते हैं – यह आश्चर्यजनक नहीं है। Udaya Research के अनुसार लड़कों की तुलना में लड़कियों के पास खुद के स्मार्ट फ़ोन या मोबाइल फ़ोन कम होते हैं। यह अंतर U.P. में 54% और बिहार में 48% है।

दोनों राज्यों की मिला कर बात करें तो 2018-19 में 18-22 वर्ष की आयु में स्वयं के मोबाइल फोन होने में जेंडर गैप 53% था। लड़कियों में भी शादी-शुदा लड़कियों व महिलाओं के लिए इस प्रकार का gender gap और बढ़ जाता है। इनका नियमित तौर पर इंटरनेट इस्तेमाल करना ही बहुत कम है। आज कल डिजिटल मीडिया पे उत्पीड़न के भी कई किस्से सुनने में आते हैं। कुछ मामलों में यह उत्पीड़न की घटनायें cyber bullying यानि इंटरनेट पर धमकी देने और परेशान करने का रूप लेती हैं, तो कुछ मामलों में यह stalking या पीछा करने का रूप भी ले सकती हैं ।

ऐसे में ज़रूरी है की हम किसी भरोसेमंद बड़े से बात करें। इस प्रकार का उत्पीड़न कानूनी तौर पर अपराध है और ज़रूरत पड़ने पर हम इसके खिलाफ़ पुलिस में भी शिकायत दर्ज़ कर सकते हैं।

हर आविष्कार की तरह डिजिटल दुनिया में भी कमियाँ भी हैं और लाभ भी। पर इसका सबसे बड़ा पयोग है शिक्षा, स्वास्थ्य, सुविधाओं और अधिकारों के बारे में समय पर सही जानकारी मिलना।

Udaya अध्ययन ने यह भी पाया कि digital दुनिया में अनेक खतरें होने के बावजूद इसका किशोर-किशोरियों के सम्पूर्ण विकास पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे कि – इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लड़कों और लड़कियों में स्वयं निर्णय लेना, घूमने की आज़ादी , आत्म-प्रभावकारिता और लैंगिक भेद-भाव न करने जैसी क्षमतायें पायी गयीं हैं।

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