खबर लहरिया Blog धमनार बौद्ध गुफ़ाएं : कटी चट्टानों, वास्तुकला और अद्भुत नक्काशी की पहचान | Dhamnar Buddhist Caves

धमनार बौद्ध गुफ़ाएं : कटी चट्टानों, वास्तुकला और अद्भुत नक्काशी की पहचान | Dhamnar Buddhist Caves

धमनार की गुफ़ाएं अनोखी तरह के वास्तुकला का उदाहरण हैं। इसकी गुफ़ाओं में शानदार स्तूप और बुद्ध की मूर्तियाँ शामिल हैं। इनकी अतुलनीय नक्काशी और डिज़ाइन की वजह से इन्हें साल 2024 के अस्थायी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। 

Dhamnar Buddhist Caves:Famous for rock-cut architecture and exquisite sculptures

                                                                       धमनार बौद्ध गुफ़ाओं की तस्वीर ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

धमनार गुफ़ाएं, मध्य प्रदेश की सबसे प्राचीन गुफ़ाओं में से एक हैं। यह मंदसौर जिले के धमनार गांव में स्थित है।  धमनार गुफ़ाएं, 51 प्राचीन गुफ़ाओं का एक समूह है जिसे बड़े ही अद्भुत शिल्प कौशल के साथ काटा गया है। मौजूदा जानकारी के अनुसार, ये गुफ़ाएं लगभग 5वीं-6वीं सदी के आसपास बनी थीं व यह बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।

एमपी टूरिज़्म की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार,धमनार गुफ़ाएं लेटराइट चट्टान/पहाड़ी पर बनी हुई हैं जो उसके भौगोलिक सुंदरता को बढ़ाने का काम करती हैं। 

‘लेटराइट पहाड़ी’ एक प्रकार की मिट्टी होती है जो मुख्यतः लौह और एल्यूमिनियम ऑक्साइड से बनी होती है। यह मिट्टी उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आमतौर पर पाई जाती है, जहाँ वर्षा अधिक होती है। लेटराइट की विशेषता यह है कि यह आमतौर पर ऊपरी सतह पर कठोर, लाल भूरे रंग की परत बनाती है, जो लंबे समय तक धूप और बारिश के संपर्क में आने की वजह से विकसित होती है।

अस्थायी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में धमनार की गुफ़ाएं 

Dhamnar Buddhist Caves:Famous for rock-cut architecture and exquisite sculptures

                                                                                                                                                      धमनार की गुफ़ा की तस्वीर (फोटो साभार – सोशल मीडिया)

धमनार की गुफ़ाएं अनोखी तरह के वास्तुकला का उदाहरण हैं। इसकी गुफ़ाओं में शानदार स्तूप और बुद्ध की मूर्तियाँ शामिल हैं। इनकी अतुलनीय नक्काशी और डिज़ाइन की वजह से इन्हें साल 2024 के अस्थायी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों (Tentative UNESCO World Heritage Sites 2024) की सूची में शामिल किया गया है। 

धमनार की छोटी और बड़ी गुफ़ाएं 

Dhamnar Buddhist Caves:Famous for rock-cut architecture and exquisite sculptures

                                                                                                                                                  धमनार की गुफ़ा ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

जानकारी के अनुसार, धमनार की गुफ़ाओं में 14 बड़ी गुफ़ाएं और 37 छोटी गुफ़ाएं हैं। ये गुफ़ाएं अपनी मौजूदगी में बीते जीवन के अलग-अलग पहलुओं को भी दर्शाती हैं। यहां के प्रमुख भवनों में निवास स्थान, भव्य हॉल, पवित्र स्तूप और बौद्ध कला की दुर्लभ मूर्तियाँ शामिल हैं, जो पत्थर की नक्काशी की सर्वश्रेष्ठता को दर्शाती हैं।

जानकारी बताती है कि इन गुफ़ाओं से सिर्फ 52 मीटर की दूरी पर, धर्मराजेश्वर मंदिर परिसर है, जो एक ब्रह्मणical रॉक-कट पवित्र स्थल है। ब्रह्मणical रॉक-कट पवित्र स्थल (Brahmanical Rock-Cut Sanctuary) वे धार्मिक स्थल होते हैं जो चट्टानों को काटकर बनाए जाते हैं और मुख्यतः हिंदू धर्म से संबंधित होते हैं। इन स्थलों में विभिन्न मंदिर, मूर्तियाँ और पूजा करने के स्थान होते हैं, जिन्हें प्राकृतिक चट्टानों से तराशा गया होता है।

यह स्थल अपने अनूठे वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। 

धमनार बौद्ध गुफ़ाओं का इतिहास

धमनार की बौद्ध गुफ़ाएं ( Dhamnar Buddhist caves) 5वीं से 7वीं सदी सीई (पहली सदी) के बीच काटी  गई थीं। बताया जाता है कि ये गुफ़ाएं प्राचीन भारत के गुफ़ा निर्माण की दूसरी लहर का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये 51 मोनोलिथिक आश्रय (Monolithic Shelter) जो दक्षिण की ओर मुंह किए हुए हैं, उन्हें कच्ची लेटराइट चट्टान में काटा गया है। 

‘मोनोलिथिक आश्रय’ का मतलब है ऐसी संरचना जो एक ही चट्टान (मोनोलिथ) को तराशकर बनाई जाती है। यह अलग-अलग पत्थरों से बनाई गई इमारत नहीं होती, बल्कि पूरी संरचना एक ही चट्टान में तराशकर तैयार की जाती है।

इन गुफ़ाओं की खोज 19वीं सदी में हुई थी। इनके बारे में तीन अलग-अलग यात्रा विवरणों में बताया गया है। इनमें प्रमुख हैं जेम्स टॉड (1821 में), जेम्स फर्ग्यूसन (1845 में) और अलेक्ज़ेंडर कनिंघम (1864-65 में)।

बताया जाता है कि गुप्त सम्राटों ने इन गुफ़ाओं को बौद्ध भिक्षुओं के लिए एक आश्रय के रूप में बनाया था। 

शुरुआत में इन गुफ़ाओं का इस्तेमाल आध्यात्मिक कार्यों के लिए किया जाता था। यहाँ स्तूप, चैत्य (पूजा के हॉल) और विहार (बौद्ध मठ) पाए जाते हैं। गुफ़ाओं के अंदर स्थित चैत्य बहुत खूबसूरती से कटे हुए हैं, जिनमें से कुछ में स्तूप भी हैं। विहार सरल एक शांतिपूर्ण निवास स्थल हैं, जहां भिक्षु बारिश के मौसम में या जब भिक्षु का जीवन मुश्किल हो जाता था,, तब ठहरते थे।

गुफ़ाओं के दरवाजे, स्तंभ,और धार्मिक मूर्तियों को भी बेहतरीन तरह से उकेरा गया है। ये बौद्ध कलात्मक धरोहर की समृद्धता को दर्शाती है।

इन सांस्कृतिक,धार्मिक व कलात्मक गुफ़ाओं ने कई सदियां देखीं हैं व बीते जीवन का अनुभव किया है। 

 

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