मजनू के टीले पर रह रहे निवासी कन्हैया लाल ने कहा, “हमें कल ही सूचित किया गया था कि यहां की बस्तियों को हटाया जाएगा। कुछ अधिकारी मंगलवार 5 मार्च रात को यहां आए और हमारे घरों के बाहर नोटिस चिपका दिया। इस क्षेत्र के लगभग सभी लोगों को नोटिस मिल गया है। अभी तक किसी ने अपना घर खाली नहीं किया है।”
दिल्ली के उत्तरी पूर्वी इलाके में `गुरुद्वारा मजनू का टीला` के पास रहने वाले पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों की बस्तियों को हटाने के आदेश दिए गए हैं। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेश के अनुसार दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 7 और 8 मार्च को बस्तियां हटाई जानी थी। जानकारी के अनुसार, पुलिस बल न मिलने से फ़िलहाल के लिए अभियान को स्थगित कर दिया गया है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया 7 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, डीडीए के एक अधिकारी ने कहा, ”जब भी पुलिस बल उपलब्ध होगा हम तोड़फोड़ करेंगे।”
सोमवार 4 मार्च को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में एनजीटी के निर्देश के अनुसार डीडीए को ऐसा करने के लिए कहा गया है। एनजीटी के निर्देश में कहा गया है कि “डीडीए के अधिकार क्षेत्र के तहत यमुना बाढ़ क्षेत्र को सभी अतिक्रमण से मुक्त किया जाना है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 7 मार्च की ही रिपोर्ट में वहां के निवासी कन्हैया लाल ने कहा, “हमें कल ही सूचित किया गया था कि यहां की बस्तियों को हटाया जाएगा। कुछ अधिकारी मंगलवार 5 मार्च रात को यहां आए और हमारे घरों के बाहर नोटिस चिपका दिया। इस क्षेत्र के लगभग सभी लोगों को नोटिस मिल गया है। अभी तक किसी ने अपना घर खाली नहीं किया है।”
हिन्दू शरणार्थियों को सता रही है चिंता
दिल्ली में यमुना नदी के डूब क्षेत्र में हजारों लोग झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। कुछ ऐसे शरणार्थी भी हैं जो पाकिस्तान से आए हिंदू हैं। अब डीडीए ने नोटिस जारी कर के उन्हें यहां से जाने को कहा है। ऐसे में इतनी जल्दी वे कहां जाएंगे और उनके पास रहने की कोई जगह भी नहीं है।
जानकारी के अनुसार, प्रभावित परिवारों को दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड सुविधाओं में अस्थायी (कुछ दिनों के लिए) आश्रय लेने की सलाह दी गई है।
बता दें कि नवंबर 2019 में पिछले फैसले में एनजीटी (NGT) ने डीडीए (DDA) और दिल्ली सरकार को मजनू का टीला गुरुद्वारा के पास यमुना बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जे के मुद्दे को संबोधित करने का निर्देश दिया था।
एनजीटी ने पहले भी दी थी चेतवानी
एनजीटी ने इस साल 29 जनवरी को एक आदेश में डीडीए पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके साथ ही उसे चार सप्ताह के अंदर अतिक्रमण हटाने के लिए की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को लेकर भी निर्देश दिया था। निर्देश में कहा गया था कि अगर कोई जवाब नहीं आता है तो निकाय (समुदाय) उपाध्यक्ष को 3 अप्रैल को सुनवाई में उपस्थित होना होगा।
पाकिस्तान से भारत कब आए हिन्दू शरणार्थी
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 7 मार्च की रिपोर्ट बताती है, इन शरणार्थियों को रहते हुए दस साल से अधिक समय हो गया है। ये लोग 2011 में हरिद्वार कुंभ के लिए पर्यटक वीजा पर लगभग 180 परिवार पाकिस्तान के हैदराबाद से भारत आए थे। उन्होंने पाकिस्तान में हिन्दू धर्म की वजह से परेशानियों का सामना किया था। यही कारण था कि उन्होंने घर वापस नहीं लौटने का फैसला किया। जानकारी के अनुसार, उनमें से कुछ के पास अब आधार कार्ड हैं जिनमें मजनू का टीला को उनका स्थायी पता बताया गया है। कुछ लोगों के पास कोई घर या नागरिकता के कागजात नहीं हैं। यही वजह है कि उनके लिए नौकरी पाना भी एक चुनौती है। वे छोटी-मोटी नौकरियों पर गुजारा करते हैं या फुटपाथ पर छोटी-छोटी दुकानें लगाते हैं।
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