बचका: किसानों ने बताया कि बिहार का एक कल्चर है बरसात के मौसम में बारिश होती है, खेतों में पानी भर जाता है और फिर हम जब धान की रोपाई करने की शुरुआत करते हैं तो सुबह-सुबह पहले पूजा करके धान रोपाई करते है और घर पर महिलाएं अलग-अलग तरह के पकवान बनाकर हमें और मजदूरों को खिलाती है। हो सकता है तो आस-पड़ोस के लोगों को भी खिलाया जाता है। उनका मानना है कि पकवान बनाकर खाने और खुशियां मनाने से यह होता है कि भगवान हम लोगों की कोठी अनाजों से भरते रहें और हम लोग हमेशा इसी तरह हंसते-मुस्कुराते रहे। हमारे घर पर अनाज की कमी ना हो जिससे कि हम लोग भूखे मरे या कभी सूखा ना पड़े जिसके चलते हम लोग ऐसा करते हैं।
ये भी देखें – त्योहारों पर जुआं खेलने का ये कैसा रिवाज़?
ये कल्चर आज का नहीं है बल्कि दादा-परदादा के समय से चला आ रहा है उसको ही हम लोग बरकरार किए हैं कि आगे तक चलता रहे। हम लोगों को खुशी होती है कि हम इस दिन इस तरीके से खुशियां मनाते हैं। वैसे तो आप इन पकवानों को कभी भी बनाकर खा सकते हैं लेकिन जिस दिन धान रोपाई होती है उस दिन चने की दाल का बचका और चना का बचका बनाना बहुत ज़रूरी होता है।
ये भी देखें – एक ही रिवाज पर क्यों दोगला समाज ? बोलेंगे बुलवायेंगे शो
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’