खबर लहरिया Blog सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म प्रमाण पत्र मांगने को लेकर बढ़ा विवाद, सेना ने दी सफ़ाई

सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म प्रमाण पत्र मांगने को लेकर बढ़ा विवाद, सेना ने दी सफ़ाई

अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म प्रमाण पत्र मांगने को लेकर राजनीति हो गयी। सेना ने सफाई देते हुए कहा कि अग्निवीर योजना के लिए अगर जाति प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं तो इसमें कुछ भी नया नहीं है।

credit – Times of India

अग्निपथ योजना को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध चल रहा है। सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की शुरुआत हाल ही में सरकार द्वारा शुरू की गयी थी। इसी बीच अब सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगने को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है। वहीं सेना ने उन पर लगाए जा रहे आरोपों को गलत कहा है। इसके साथ ही विपक्ष भी सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगने को लेकर सरकार पर तंज कसती नज़र आ रही है। हालांकि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार, सेना और भाजपा की ओर से सफ़ाई भी दे दी गई है।

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विपक्ष ने सरकार पर उठाये सवाल

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, ” मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर।”

तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छँटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छँटनी करेगी।सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?”

 

जाति-धर्म प्रमाण पत्र को लेकर रक्षा मंत्री का जवाब

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जाति और धर्म प्रमाण पत्र के नाम पर उठते विवादों को लेकर लोगों के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “अग्निवीर में जाति प्रमाण पत्र को लेकर जो भी बातें हो रही हैं, वे पूरी तरह से अफवाह हैं। जो व्यवस्था पहले थी, वही चल रही है। कोई बदलाव नहीं किया गया है, पुरानी व्यवस्था को जारी रखा जा रहा है।”

आगे कहा, ” सेना की भर्ती प्रक्रिया में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। 1949 से जारी योजना का पालन हो रहा है। यह बात सेना की ओर से भी कही गई।”

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भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दी सफाई

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि, “भारतीय सेना में जाति अथवा धर्म के आधार पर भर्ती नहीं होती है। 2013 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट के माध्यम से सेना ने स्पष्ट किया था की भर्ती में ये कॉलम सिर्फ प्रशासनिक रिकॉर्ड के लिए है। विपक्ष के नेता इस पर भ्रम फैलाकर सेना को बदनाम कर रहे हैं।”

आगे कहा, ” जानबूझ कर राजनीतिक फायदे के लिए विपक्षी दलों के नेता सेना की भर्ती प्रक्रिया के बारे में भ्रम फैलाकर देश में आग लगाना चाहते हैं। अरविंद केजरीवाल वह व्यक्ति हैं जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर भी सवाल उठाए थे।”

सेना का जाति-धर्म प्रमाण पत्र को लकर जवाब

सेना का कहना है कि जाति-धर्म प्रमाण पत्र पहले भी उम्मीदवारों की भर्ती के लिए मांगा जाता था। अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के लिए इसको लेकर किसी भी तरह का नियमों कोई बदलाव नहीं किया गया है।

नवभारत टाइम्स की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अग्निवीर योजना के लिए अगर जाति प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं तो इसमें कुछ भी नया नहीं है। सेना ने बताया है कि हमारे जवान सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऐसे में शहीदों के अंतिम संस्कार के लिए धर्म जानना जरूरी होता है इसलिए जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ती है। जाति और धर्म प्रमाण पत्र पहले भी मांगा जाता रहा है। यह परंपरा दशकों से चली आई है। जैसे ही सेना में भर्ती होती है धर्म और जाति पूछी जाती है। सेना के पास सैनिक की पूरी जानकारी होनी चाहिए। सेना हर तरह से सैनिक की परंपरा का ख्याल रखती है।”

दिल्ली हाई कोर्ट में होगी अग्निवीर याचिकाओं की सुनवाई

अग्निवीर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 19 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार की इस भर्ती योजना के खिलाफ दिल्ली, केरल, पटना, पंजाब और उत्तराखंड हाई कोर्ट में याचिकाएं दर्ज हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर होगा कि याचिकाओं पर पहले किसी एक हाई कोर्ट में सुनवाई हो। हाई कोर्ट का रुख सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के लिए आगे सुनवाई करना बेहतर होगा। एक ही मामले की अलग-अलग हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकती है, इसलिए दिल्ली हाई कोर्ट में सभी याचिकाएं ट्रांसफर की जाए और यहां सुनवाई हो।

सरकार व सेना की तरफ से सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने को लेकर सफाई दे दी गयी है और यह भी कहा है कि यह बहुत पुराना नियम है।

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