चित्रकूट ज़िले के ब्लॉक रामनगर में, जहाँ 40 ग्राम पंचायत वाले इस ब्लॉक में प्रधानों के लिए एक भी कार्यालय मौजूद नहीं था। लेकिन सभी ग्राम पंचायत के प्रधानों ने मिलकर एक कमेटी बनाई और बी डी ओ से बात करके ब्लॉक में एक कार्यालय तैयार करवाया है।
जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में आज भी ग्राम पंचायत में चयनित प्रधान ही अहम फैसले लेता है, लेकिन क्या उन प्रधानों को कभी उनके हक़ का सम्मान मिल पाता है? प्रदेश स्तर पर पंचायत चुनाव तो पूरे ज़ोरो-शोर से होते हैं लेकिन आज भी यूपी के कई गावों में प्रधान, अध्यक्ष और वार्ड सदस्यों के लिए एक कार्यालय भी मौजूद नहीं है। कुछ ऐसा ही मामला हमें हाल ही में देखने को मिला चित्रकूट ज़िले के ब्लॉक रामनगर में, जहाँ 40 ग्राम पंचायत वाले इस ब्लॉक में प्रधानों के लिए एक भी कार्यालय मौजूद नहीं था। लेकिन सभी ग्राम पंचायत के प्रधानों ने मिलकर एक कमेटी बनाई और बी डी ओ से बात करके ब्लॉक में एक कार्यालय तैयार करवाया है।
15 लोगों की कमेटी में अहम मुद्दों पर होगी चर्चा-
लोरी ग्राम पंचायत की प्रधान पुष्पलता सिंह ने हमें बताया कि ब्लॉक के सभी प्रधानों ने मिलकर एक कमेटी का गठन किया है, जिसके लिए हाल ही में उन्होंने चुनाव भी करवाए थे। 15 लोगों की इस कमेटी में अध्यक्ष, सचिव, सदस्यों आदि के चुनाव में पुष्पलता के पति मुन्ना को अध्यक्ष पद के लिए चुना गया है। उन्होंने हमें बताया कि इस कमिटी ने अपनी पूरी कोशिश कर ब्लॉक में ग्राम प्रधानों, सदस्यों और अध्यक्षों के लिए एक कार्यालय खुलवाया। इन लोगों ने बताया कि इससे पहले जब भी प्रधान या वार्ड सदस्य रामनगर ब्लॉक आते थे, तो न ही उनके पास कोई जगह थी जहाँ वो एक साथ बैठक कर सकें और न ही विकास कार्यों पर एक साथ चर्चा हो पाती थी। लेकिन अब कार्यालय मिल गया है और यहाँ पर आराम से हर मुद्दे पर चर्चा होती है।
गॉंव सोहेल परासी के प्रधान अरविंद का कहना है कि वो दूसरी बार प्रधान पद के लिए चयनित किए गए हैं और उन्हें इस बात की हमेशा कमी महसूस होती थी कि न ही उनके पास कोई कार्यालय है जहाँ वो बाकी प्रधानों के साथ गावों के विकास पर चर्चा कर सकें और न ही कभी किसी अधिकारी ने प्रधान के मुद्दों को गंभीरता से लिया। उन्होंने बताया कि जब-जब ग्रामीणों को कोई परेशानी होती है वो गाँव के प्रधान के पास ही अपनी समस्या लेकर पहुँचते हैं लेकिन जब प्रधान विभाग से मदद मांगते हैं तो कभी उन्हें वो मदद नहीं मिलती। कई बार तो विकास कार्य कराने के लिए प्रधानों को अपनी जेब से पैसे देने पड़ जाते हैं।
ग्रामीणों के हित के लिए कमेटी खोलेगी बैंक खाता-
इन्हीं कठिनाइयों को मद्देनज़र रखते हुए रामनगर ब्लॉक के प्रधानों ने इस कमेटी के गठन के लिए चुनाव करवाने की ठानी। कमेटी के सदस्यों का कहना है कि अब ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हम आपस में ही बात करके निकालेंगे और यह कमेटी एक बैंक खाता भी खुलवाएगी, जिसमें हर प्रधान 500 रूपए जमेगा करेगा। इन लोगों का कहना है कि इन पैसों का इस्तेमाल तब किया जाएगा जब ग्रामीणों को या प्रधानों को विकास कार्यों को लेकर किसी प्रकार का ज्ञापन देना होगा या फिर गाँव में किसी गरीब लड़की की शादी करानी होगी।
इन लोगों ने हमें यह भी बताया कि उनकी यह बैठक महीने में एक बार हुआ करेगी और गाँव से जुड़े सभी मुद्दों पर इसमें चर्चा हुआ करेगी। कमेटी के सदस्यों की मानें तो ग्रामीण भारत का विकास होना भी उतना ही ज़रूरी है जितना देश के शहरी इलाकों का विकास होना है। और ग्रामीण विकास तबतक पूरा नहीं हो पाएगा जबतक ज़मीनी स्तर से इसपर काम न हो। इसीलिए यह लोग बहुत मज़बूती से चित्रकूट के विकास में अपना योगदान देंगे ताकि विभाग और आसपास के ज़िलों में कार्यरत प्रधान भी उनसे सीख सकें और अपने गाँव को बेहतर बनाने का प्रयास कर सकें।
इस खबर की रिपोर्टिंग सहोदरा देवी द्वारा की गयी है।
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