महाराष्ट्र के लातूर जिले की एक दाल कम्पनी में काम कर रहे मजदूरों को पुलिस ने अवमुक्त कराया है। मजदूरों के अनुसार वहां का ठेकेदार उनको काफी प्रताड़ित करता था बीमार होने पर भी काम करवाता था। न करने पर शर्म पीकर मारना -पीटना उसकी आदत बन गई थी। पांच सौ की जगह हज़ार रूपये मजदूरी से किसी न किसी बहाने से काट लेता था। परेशान होकर यहाँ के मजदूरों ने पुलिस की हेल्प ली और अपने गांव आये हैं।मानिकपुर कोतवाली और सरैया चौकी लिखित दिखाएं प्रशासन के मदरसे वहां से हम लोग आए जो 2 महीना काम किए थे 2 गुना 3 गुना दवा का पैसा खाना का पैसा काट लिया था तब थोड़ा बहुत दिया है जो चोरी से 14 लोग आ गए हैं।
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रामकिशन ने बताया कि जब गांव से ठेकेदार बुलाने आया था उस समय यह बोला था कि तुमको खाना खुराक फ्री रहेगा और 9000 पैसा हर महीना मिलेगा लेकिन वहां जाने के बाद तो पैसा काटता रहा। इस तरह से हम गरीब जनता को बहला-फुसलाकर बंधक बनाकर वहां रखे थे शायद प्रशासन की मदद नहीं होती तो हम लोग गांव कभी ना आ पाते।
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प्रशासन जब यहां से गई है हम लोगों को लेने के लिए तो फिर किराया भाड़ा खाना खर्चा सब प्रशासन ने ही दिया था लेकिन जो हम मजदूरी किए थे उसका पैसा सबको नहीं मिला है। इस तरह से काम करने से वहां जब कंपनी में दाल मिल में बड़े बडे घर के जैसे नांदे थी उसी में घुसा देता रहा और 12 घंटा वही घुसे रहते रहे सुसु करने के लिए भी नहीं निकलने देता रहा है इस तरह का वहां का कठिन काम था। पहली बार परदेस भी गए और इस तरह से स्थिति आई अब कभी परदेस हम लोग नहीं जाएंगे भूखे चाहे मर जाएं।
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