खबर लहरिया Blog चित्रकूट : जिला अधिकारी ने गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए शुरू की सामुदायिक रसोई

चित्रकूट : जिला अधिकारी ने गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए शुरू की सामुदायिक रसोई

महामारी के दौरान ज़रूरतमन्दों को भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा सामुदायिक रसोई की शुरुआत की गयी ताकि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे।

कोरोना महामारी में जब बहुत से लोगों से उनके रोज़गार छिन गए तो कई लोग भूखे रहने को मज़बूर हो गए। कई मामले ऐसे भी सामने आये जहां लोगों की मौत भूख से हुई। ऐसे में कोई भी गरीब परिवार या व्यक्ति भूखा न रहे। इसलिए जिला प्रशासन द्वारा लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक रसोई की शुरुआत की गयी है। प्रशासन द्वारा जिले के सभी तहसीलों में सामुदायिक रसोई शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। रविवार, 16 मई को सदर ब्लॉक में सामुदायिक रसोई का शुभारंभ किया गया। पहले दिन लगभग डेढ़ सौ ज़रूरतमंद लोगों तक भोजन के पैकेट के पहुंचाए गए।

अन्य ब्लॉकों में भी शुरू होगा कम्युनिटी किचन – जिला अधिकारी

जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने बताया कि तहसील कर्वी में कम्युनिटी किचन यानी सामुदायिक रसोई शुरू कर दी गई है। कोरोना क‌र्फ्यू की समय सीमा बढ़ने से लोगों की दिक्कतें बढ़ रही हैं। अधिकतर लोगों के काम धंधें भी बंद है। जो गरीब परिवार है उनके पास भोजन पहुंचाने का काम शुरू किया गया है। अभी सदर तहसील में शुरूआत हुई है। एक दो दिन में मऊ, मानिकपुर और राजापुर में सामुदायिक रसोई शुरू कर दी जाएगी। जिले में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा। वह आगे कहते हैं कि जो भी जरूरतमंद है वह अपनी तहसील में संपर्क कर सकता है।

सदर के एसडीएम रामप्रकाश ने बताया कि पहले दिन करीब डेढ़ सौ पेकेट बांटे गए हैं। लोगों की मांग के अनुसार भोजन के पैकेटों की संख्या बढ़ाई जाएगी। दोनों समय लोगों के लिए ताज़ा भोजन बनाया जा रहा है।

रोज़गार भी मिला और खाना बनाकर मिलती है खुशी

 

प्ररेणा कैंटीन मे काम कर रही महिला ममता ने बताया कि वह लगभग तीन सालों से ग्रामीण मिशन योजना के तहत कर्वी तहसील में प्रेरणा कैंटीन चला रही हैं। जो की 10 महिलाओं का समूह है। कोरोना की वजह से कैटीन बंद करनी पड़ी थी। जिससे वह बेरोजगार हो गयी और उनके पास कोई दूसरा काम भी नहीं था। फिर एक दिन अधिकारियों ने उन्हें बुलाया और उन्हें कैंटीन खोलकर गरीबों के लिए भोजन बनाने के लिए कहा।

वह कहती हैं कि उनके पास पैसे नहीं थे कि वह सामान लाकर भोजन बना पाए। यह देखते हुए एसडीएम द्वारा उनसे कहा गया कि सारा सामान उनकी तरफ से दिया जाएगा। महिला को लोगों के लिए खाना बनाने पर मज़दूरी दी जाएगी। वह बताती हैं कि उनकी तहसील में 9 मई को सामुदायिक किचन शुरू किया गया था।

इसके आलावा कम्यूनिटी कैंटीन मे काम कर रही चम्पा ,रानी ने बताया कि वह ठेला लगाकर सब्ज़ी बेचने का काम करती थीं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब्ज़ी भी नहीं बिक रही थी। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गयी थी। तब प्रेरणा कैंटीन की ममता ने उन्हें खाना बनाने के लिए बुलाया। उनके पास कोई काम नहीं था। इसलिए वह भी तैयार हो गयीं। उन्हें रोज़गार मिल गया और अब वह जब ज़रूरतमंद लोगों के लिए खाना बनाती हैं। जिससे उन्हें ख़ुशी भी होती है।

महामारी में लोगों के लिए सामुदायिक रसोई की शुरुआत ने कुछ हद लोगों को राहत दी है। फिर भी कई लोगों तक यह सुविधा नहीं पहुँच रही है। जिन लोगों तक लाभ नहीं पहुँच पा रहा। उन तक प्रशासन किस तरह से सेवाओं को पहुंचाती है, यह जानना ज़रूरी है।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए नाज़नी रिज़वी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

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