उत्तर प्रदेश के जिला चित्रकूट में कोरोना के मौत के आंकड़े हर दिन के साथ बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन इस बीच यही भी सामने आया है कि स्वास्थ्य विभाग के पास भी कोरोना से मरने वाले व्यक्तियों के पूरे आंकड़े नहीं है। कई मौतें तो घरों में ही हो रही है। जानकारी के अनुसार, लोग सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीज़ों को मिलने वाली व्यवस्था से खुश नहीं है। जिसकी वजह से वह अपने घरों में ही रहकर खुद का इलाज कर रहे हैं।
बीतें, 24 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की मौत का एक वायरल वीडियो सोशल मिडिया पर काफी फ़ैल रहा था। जिसमें कर्वी के रहने वाले कोरोना संक्रमित व्यक्ति को दिखाया जा रहा था। जिसकी मौत हो गयी थी। वीडियो में व्यक्ति का परिवार उसे खुद लेकर जा रहा था। मृतक व्यक्ति के दमाद का आरोप था कि वह अपने ससुर को जानकीकुंड ले गए थे। लेकिन उन्हें वहां न तो स्टेचर मिला, न वेंटीलेटर और न ही कोई अन्य सेवा। उन्हें खुद ही अपने ससुर को चार मंज़िला इमारत तक लेकर जाना पड़ा।
वह वहां पर ऑक्सीजन के लिए चिल्लाते रहें पर कोई सुनने वाला ही नहीं था। उनके ससुर ने कोई इलाज न मिलने पर तड़प-तड़प कर वहीं ज़मीन पर अपनी जान दे दी। लेकिन वहां खड़े कर्मचारियों तक ने कुछ नहीं किया। उन्होंने खबर लहरिया को बताया कि नियम के हिसाब से कोरोना से हुई मौत के व्यक्ति को सरकारी लोग ही शमशान घाट लेकर जाएंगे। लेकिन उन्हें उनके ससुर की लाश अगले दिन बिना पीपीई किट के दी गयी। उन्होंने हर जगह मदद मांगी। लेकिन उन्हें बिना किसी सुरक्षा के ही लाश सौंप दी गयी। जिसके बाद उन्होंने सीएमओ को फोन किया और उनके द्वारा उन्हें तीन पीपीए किट दी गयी। जबकि मृतक को मिलाकर पांच लोगों को पीपीई किट देना अनिवार्य है।
पूरे मामले में लेकिन कहीं भी अस्पताल और उनके कर्मचारियों द्वारा की गयी लापरवाही को लेकर किसी भी तरह के दंड की कोई बात नहीं की गयी। न ही पूरे मामले की जांच को लेकर कोई बात सामने आयी है। ऐसे में यह पूरी घटना अस्पताल में व्यवस्था और अधिकारीयों को मिली ज़िम्मेदारी के ऊपर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। जहां अव्यवस्था को लेकर कोई भी प्रश्न चिन्ह नहीं उठाया गया।