Child labour: विश्व में लगभग 138 मिलियन बच्चे कर रहे बाल मजदूरी – अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की रिपोर्ट
विश्व में साल 2024 में लगभग 138 मिलियन बच्चे अब भी बाल श्रम में लगे हुए हैं। यह रिपोर्ट बुधवार 11 जून 2025 को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन / International Labour Organization (ILO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष / UN Children’s Fund (UNICEF) द्वारा जारी की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (12 जून) से एक दिन पहले आया। हालाँकि 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 2025 तक दुनिया भर में बाल श्रम को समाप्त करने का लक्ष्य रखा था।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और यूनिसेफ (UNICEF) के आंकड़ें
जारी की गई रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2020 से अब तक कुल 20 मिलियन से अधिक बाल श्रम में बच्चों की कमी आई है लेकिन यह इस बात को दर्शाती है कि बाल श्रम में कमी बहुत धीरे हो रही है। इस रिपोर्ट को लेकर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ. हॉन्गबो ने कहा, ” हमारी रिपोर्ट के निष्कर्ष आशा देते हैं और बताते हैं कि प्रगति संभव है… लेकिन हमें इस तथ्य से अंधे नहीं होना चाहिए कि हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।”
विश्व में 54 मिलियन बच्चे खतरानक कामों में शामिल
रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 54 मिलियन बच्चे ऐसे खतरनाक काम में लगे हुए हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा या विकास को खतरा हो सकता है।
🔴Child labour continues to endanger millions.
A new ILO/@UNICEF report finds 138 million children are still in child labour — 54 million in hazardous work.
We must act now to protect their futures: https://t.co/EMu5KLgMZ3 #EndChildLabour pic.twitter.com/0FikjBJkfX
— International Labour Organization (@ilo) June 11, 2025
भारत में बाल मजदूरी
बच्चों से काम करवाना कानून के नियमों का उलघंन है इसके बावजूद मज़बूरी में बच्चे काम करते हैं। इसकी वजह आर्थिक स्थिति अधिक है जिसकी वजह से उन्हें काम करना पड़ता है। कुछ बच्चों से जबरन बाल मजदूरी कराई जाती है। जिन बच्चों को देश का भविष्य माना और कहा जाता है। वे विश्व में बाल मजूदरी का सबसे बड़ा हिस्सा है।
फेमिनिज्म इन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्य बाल मज़दूरी के मामले में सबसे आगे बताए जाते हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही करीब 2.1 मिलियन बच्चे बाल मज़दूरी में लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 80% से अधिक बाल श्रमिक पाए जाते हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बाल मजूदरी करते हैं।
भारत में बाल मजूदरी अपराध
देश में बाल मजदूरी (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को ‘खतरनाक काम’ में लगाना अपराध है। साल 2016 में इसमें संशोधन कर 14 वर्ष तक के बच्चों को किसी भी तरह का काम यानी मजूदरी करने पर रोक लगा दी गई। इसके बावजूद भी कई क्षेत्रों में बच्चों को बाल मजूदरी करते देखा जाता है।
राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार भारत में 5 साल से 14 साल की उम्र के लगभग 1.01 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। इनमें से 5.6 मिलियन लड़के और 4.5 मिलियन लड़कियां हैं।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस
ऐसे तो बाल मजदूरी को रोकने के लिए विश्व भर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को मनाया जाता है लेकिन यह उतना सफल नहीं हो पाया है। यह दिवस बाल शोषण के गंभीर मुद्दे को उजागर करता है और इसे समाप्त करने के प्रयासों को गति देता है। इस वर्ष का विषय है – “प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम करना है: आइए प्रयासों में तेज़ी लाएँ!”।
खबर लहरिया की 12 जून 2020 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के महोबा जिलें छोटे बच्चे बाल मजदूरी करते दिख रहे हैं।
सुरेंद्र जिनकी उम्र काफी छोटी है वह समोसे की दुकान पर काम करते हैं। जब उनसे वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया उनके पापा नहीं है। उनके घर में 4 लोग है इसलिए मज़बूरी में घर चलाने के लिए इस काम को वे करते हैं।
पढ़ाई की उम्र में सुरेंद्र अपनी और अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए मज़बूरी में काम कर रहे हैं।
ऐसे लाखों बच्चे हैं जो कूड़ा कचरा चुनने का काम, दुकानों पर बर्तन धोना, चाय बनाना या फिर वो काम जिस काम से उन्हें कुछ पैसे मिल जाए। आप इस वीडियो में देख सकते हैं कितने छोटे बच्चे अलग अलग तरह के काम कर रहे हैं, कुछ बच्चे तो पढ़ाई के साथ साथ काम करते हैं।
बाल मजूदरी की असली वजह है गरीबी और आर्थिक स्थिति जिसकी वजह से परिवार भी अपने बच्चों को जबरदस्ती बाल मजदूरी में झोंक देते हैं। बाल श्रम बच्चों के भविष्य और उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है ऐसे में बाल निषेध दिवस को सफल बनाने की जिम्मेदारी सभी की है।
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