घर में रहते हैं तो घर का काम करना होता है, खाना बनाना, बर्तन ,पोछा, यह सभी काम घर में मौजूद महिलाओं और लड़कियों को ही करने पड़ते हैं। और ऐसे माहौल में पढ़ाई कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि पिछले दो सालों से यानी जब से लॉकडाउन लगा है तब से देश के सभी स्कूल बंद हैं, जिससे लाखों बच्चों की पढ़ाई पर फर्क पड़ा है और इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ा उन गरीब बच्चों पर पड़ा जिनके पास इंटरनेट और स्मार्ट फ़ोन की भी सुविधा नहीं थी। देश के ज़्यादातर मज़दूरों का काम और रोज़गार थम गया था, और इन मज़दूरों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि ये अपने बच्चों को ट्यूशन आदि के ज़रिए पढ़ा सकें या मोबाइल फ़ोन खरीद सकें। ग्रामीण इलाकों में रह रहे बच्चों की पढ़ाई तो मानो पूरी तरह से चौपट ही हो गई है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर नगर बस्ती की लड़कियों से हमने ऑनलाइन क्लासेज को लेकर बात करी, जिसमें अलग-अलग तरह की बातों के साथ-साथ बच्चों को हो रही कठिनाइयों की बातें भी सामने आयीं।
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कभी होती है नेटवर्क की दिक्कत, तो कभी होती है समय की कमी-
पायल का कहना है कि उनके स्कूल में एक ऑनलाइन क्लास 45 मिनट की होती है, जिसमें सभी बच्चों को जुड़ते जुड़ते ही 10 मिनट लग जाते हैं। कभी-कभी नेटवर्क की दिक्कत भी आती है, जिसके कारण ठीक से क्लास में शामिल भी नहीं हो पाते। जो हो जाते हैं, उन्हें आवाज़ नहीं आती। इन छात्राओं ने हमें यह भी बताया कि मोबाइल से पढ़ने में ज्यादा कुछ समझ में नहीं आता और ये 45 मिनट यूं ही निकल जाते हैं।
शानू ने भी हमें यही बताया कि ऑनलाइन क्लासेज में उन्हें कुछ समझ में नहीं आता है। शानू का कहना है कि टीचर से प्रश्न का उत्तर दोबारा दोहराने को बोलते हैं तो वो साफ़ इंकार कर देती हैं और कहती हैं कि उनके पास इतना टाइम नहीं होता कि वो एक ही चीज़ बार-बार पढ़ाएं।
ज्यादातर बच्चों को मोबाइल से पढ़ने में और समझ पाने में परेशानी होती है। कई बच्चों को कम समय होने के कारण भी दिक्कत आ रही है। शानू का कहना है कि जब ये लोग स्कूल में पढ़ाई करते थे, तब अगर कुछ समझ नहीं आता था तो ये लोग अपने सहपाठियों से पूछ लेते थे या फिर समय निकाल कर टीचरों से ही एक्स्ट्रा क्लास ले लेते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाता। छात्राओं का कहना है कि ये लोग अपनी पढ़ाई अब घर पर ही करते हैं और एक दूसरे की पढ़ाई में मदद भी नहीं कर पाते।
लड़कियों के लिए है सबसे ज़्यादा दिक्कत-
इन छात्राओं ने हमें यह भी बताया कि ऑनलाइन क्लास से सबसे बड़ी दिक्कत लड़कियों को ही आ रही है। प्रियंका का कहना है कि घर में रहकर पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। घर में रहते हैं तो घर का काम करना होता है, खाना बनाना, बर्तन ,पोछा, यह सभी काम घर में मौजूद महिलाओं और लड़कियों को ही करने पड़ते हैं। और ऐसे माहौल में पढ़ाई कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। छात्राओं ने बताया कि घर का पूरा काम करके ऑनलाइन क्लास में जुड़ना होता है, और क्लास के बीच में भी कोई न कोई घरेलू काम निकला आता है, जिसके चलते पढ़ाई छोड़कर वो काम करना पड़ जाता है।
तामेश्वरी बताती हैं कि जब से ऑनलाइन क्लास शुरू हुए हैं ,तब से काम के साथ-साथ जिम्मेदारियां और ज्यादा बढ़ गई हैं। खुद की पढ़ाई के साथ में तामेश्वरी को अपने भाई बहनों को भी संभालना होता है और उनको भी पढ़ाना होता है। ऐसे में खुद की शिक्षा के लिए समय निकाल पाना इनके लिए मुश्किल होता जा रहा है।
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मानसिक तनाव की शिकार हो रहीं छात्राएं-
इन छात्राओं को ज़्यादा समय के लिए फ़ोन इस्तेमाल करने की भी इजाज़त नहीं मिलती है। इन लोगों का कहना है कि अगर ये लोग घंटे-दो घंटे से ज़्यादा फ़ोन पर पढ़ाई करती हैं, तो घरवाले ही यह कह कर फ़ोन छीन लेते हैं कि मोबाइल पर कोई पढ़ाई नहीं होती है। टेंशन, चिड़चिड़ापन, कमज़ोरी इन छात्राओं के जीवन का आम हिस्सा बन चुका है। अब ये छात्राएं चाहती हैं कि जल्द से जल्द स्कूल पूरी तरह से खोल दिए जाएँ ताकि यह लोग वापस से एक आम जीवन बिता सकें।
कोरोना काल से पहले छत्तीसगढ़ के सभी स्कूल 6 घंटे के समय के साथ खुलते थे, जिसमें से 40 मिनट का लंच ब्रेक होता था और 10 मिनट का रिसेस होता था। फिर भी बचे हुए 5 घंटे में ये बच्चे पढ़ाई कर पाते थे ,जिसमें टीचर बच्चों को अच्छे से समय भी दे देते थे। इसके साथ ही स्कूल में दोस्तों से मिलना, बात करना, बाहर घूमना और पढ़ाई के बारे में दोस्तों से चर्चा करना भी हो जाता था। इन सब चीजों से इन बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ थोड़ा आजादी का भी एहसास होता था। इन छात्राओं की मानें तो जब ये स्कूल जाते हैं तो घर वाले इन्हें घर के कामों से और जिम्मेदारियों से थोड़ा मुक्त रखते हैं और ये लोग अच्छे से पढ़ाई करते हैं।
जहाँ एक तरफ यह देखा जा सकता है कि ऑनलाइन क्लास से कुछ बच्चों को पढाई में मदद भी मिल रही है। लेकिन वहीं जो गरीब वर्ग के बच्चें है जिनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो अच्छे स्कूलों में पढ़ सकें या वो घर के परिस्थितियों के कारण पढ़ नहीं पा रहे हैं, उनके लिए ऑनलाइन क्लासेज एक तनाव का सबब है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि इन छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए सरकार कोविड-19 के प्रोटोकॉल्स को मद्देनज़र रखते हुए, और नए नियमों के साथ जल्द से जल्द स्कूलों को खुलवाने का प्रबंध करे।
इस खबर की रिपोर्टिंग छत्तीसगढ़ से सोमा द्वारा किया गया है।
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