भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा शुरू किया गया वार्षिक पोषण कार्यक्रम है पोषण सप्ताह हर साल 1 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है। पोषण सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण के महत्व पर जागरूकता फैलाना है। इस पूरे सप्ताह आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों पर महिलाओं को पोषाहार देने के साथ-साथ उन्हें बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए किस तरह का भोजन देना चाहिए इस बारे में भी बताया जाता है।
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इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में सरकार ने नए मेनू के आधार पर पोषाहार देने का फैसला किया था। जिसमें 6 माह से 3 साल के बच्चों को हर महीने 1.5 किलो गेहूं, 1 किलो चावल, 750 ग्राम दाल। साथ ही हर तीन महीने पर 450 ग्राम घी और 400 ग्राम स्किम्ड मिल्क पाउडर।
– 3 साल से 6 साल के बच्चों को हर महीने 1.5 किलो गेहूं, 1 किलो चावल। साथ ही हर तीन महीने पर 400 ग्राम स्किम्ड मिल्क पाउडर।
– गर्भवती और धात्री महिलाओं को हर महीने 2 किलो गेहूं, 1 किलो चावल, 759 ग्राम दाल। साथ ही हर तीन महीने पर 450 ग्राम घी और 750 ग्राम स्किम्ड मिल्क पाउडर।
लेकिन क्या बच्चों और महिलाओं को इस हिसाब से पोषाहार मिलता है? इसका पता लगाने हम पहुंचे एमपी के छतरपुर ज़िले में, आइए जानते हैं लोगों का क्या कहना है पोषाहार वितरण को लेकर।
जहाँ हमने देखा कि कई महिलाओं और बच्चों को गाइडलाइन्स के हिसाब से पोषाहार नहीं मिल पा रहा है वहीँ आंगनवाड़ी केंद्रों पर मौजूद कार्यकर्ताओं का कहना था कि योग्य महिलाओं और बच्चों को उनके हिस्से का पोषाहार मिल रहा है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।
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