ऑक्सीजन तो यहीं बनती हैं। थोड़ी ना कहीं बाहर से लेकर आना पड़ता है। थोड़ी सी लीक हो रही है तो इसमें क्या जाता है।
कोरोना के शुरूआती दौर में हमने ऑक्सीजन गैस के लिए लोगों को लड़ते और मरते हुए देखा। लाखों रूपये खर्च करने पर भी लोगों को अपने परिवार, दोस्त व रिश्तेदारों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं मिल पा रहे थे। जैसे-जैसे समय बीता, ऑक्सीजन गैस की व्यवस्था कराई गयी ताकि और जानें न जाए। अब क्यूंकि ऑक्सीजन अस्पतालों में उपलब्ध हो गयी है तो अब ऑक्सीजन गैस की बर्बादी करने की खबर सामने आ रही है। वही बात है, जब कोई सामान नहीं रहता तो वह कीमती होता है। जब उसकी मात्रा भरपूर हो जाती है तो उसे लेकर लापरवाही करना शुरू कर दिया जाता है।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के जिला चिकित्सालय अस्पताल में ऑक्सीजन गैस सिलिंडर को लेकर लापरवही देखी जा रही है। मरीज़ों की मानें तो ऑक्सीजन पाइप से निकलती रहती है पर अस्पताल के स्टाफ़ द्वारा कुछ नहीं किया जाता है। आपको बता दें, ऑक्सीजन गैस की कमी को लेकर प्रशासन द्वारा जिला चिकित्सालय अस्पताल में ऑक्सीजन गैस प्लांट लगवाया गया था ताकि ऑक्सीजन गैस की कमी न हो।
जानकारी के अनुसार, मरीज़ों को समय से ऑक्सीजन गैस नहीं मिल रही है जिससे आये दिन मरीज़ों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। किसी को बाहर रेफ़र कर दिया जाता है तो कोई बिना गैस के ही अस्पताल में रहते हैं तो किसी का बेड ट्रांसफर कर दिया जाता है।
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ऑक्सीजन गैस लापरवाही से मरीज़ों को होती परेशानियां
जिला अस्पताल में भर्ती मरीज़ हरीश कहते हैं कि वह ऑक्सीजन पाइप में टेप लगाकर काम चला रहे हैं। आगे कहा, जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगा है इसलिए वह यहां आते हैं। प्राइवेट में नहीं जा सकते इसलिए सरकारी अस्पताल में आते हैं।
कुछ मरीज़ों ने कहा, वह वे दिन आज भी नहीं भूल सकते जब ऑक्सीजन गैस 3 हज़ार तक की मिलती थी। लाइन में ऑक्सीजन गैस के लिए घंटो खड़े रहते थे। फिर वह लोग ऑक्सीजन गैस की बर्बादी क्यों करें इसलिए वह पाइप में टेप लगाकर गैस बचाने की कोशिश करते हैं। मरीज़ ने कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा, उन्हें तो फ्री के पैसे मिल रहे हैं इसलिए उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
मरीज़ भारती सिंह ने कहा,कई लोगों ने शिकायत भी की। उनसे कहा जाता कि दूसरा बेड ले लो अगर यह ऑक्सीजन सिलिंडर लीक कर रहा है तो। लेकिन यह देखने को मिला कि हर बेड के पास लगा ऑक्सीजन सिलिंडर लीक कर रहा है यानी सबमें से गैस निकल रही है।
जानकारी के लिए बता दें, अस्पताल में तीन ऑक्सीजन गैस प्लांट लगे हुए हैं। हर वार्ड में लगे ऑक्सीजन पाइप से गैस लीक हो रही है पर इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
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ऑक्सीजन प्लांट लगने के बाद से होती रहती है लापरवाही
हमने इस बारे में अस्पताल के कर्मचारियों से बात की। कर्मचारियों ने अपनी सफ़ाई देते हुए कहा, “ऑक्सीजन तो यहीं बनती हैं। थोड़ी ना कहीं बाहर से लेकर आना पड़ता है। थोड़ी सी लीक हो रही है तो इसमें क्या जाता है। लीक होना कोई बड़ी बात नहीं है।”
एक अन्य कर्मचारी ने कहा,” यहां पर तो हमेशा गैस बनती रहती है लेकिन बात यह है कि मरीज़ के परिजन गैस पाइप पर टेप लगा कर इस बर्बादी को रोक रहे हैं। जब मरीज़ के परिजन लोग इस बर्बादी को रोक सकते हैं तो प्लांट के कर्मचारी क्यों नहीं।” यह भी कहा गया कि जब से जिला अस्पताल में गैस प्लांट लगा है तब से ही यह लापरवाही देखने को मिलती रहती है।
दोषियों पर होगी कार्यवाही – अस्पताल के सिविल सर्जन
खबर लहरिया ने मामले को लेकर जिला चिकित्सालय अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. महेंद्र गुप्ता से बात की। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं मालूम था कि प्लांट से ऑक्सीजन गैस लीक हो रही है। आपके द्वारा मुझे यह बात पता चली है। इसकी जांच करवाते हैं और अगर ऐसा निकला तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी क्योंकि थोड़ी-सी गैस बचाने से बहुत ज़्यादा मरीजों के काम आ सकती है। हम वह दिन नहीं भूले हैं जब कोरोना वायरस से काफी लोगों ने अपनों को खोया था। गैस नहीं मिल पा रही थी। जब जिला अस्पताल में गैस आ चुकी है तो हम लोग इसकी बहुत ज़्यादा बचत करेंगे। जिन लोगों ने यह कहा है कि थोड़ी-सी बर्बाद हो रही है तो क्या हुआ, उनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी।”
अस्पताल के सिविल सर्जन द्वारा यह कहना कि उन्हें पता ही नहीं कि अस्पताल में ऑक्सीजन गैस लीक हो रही है, हज़म नहीं होती। इस तरह से गैस लीक होने की समस्या को नकारना एक बड़ी बात है। गरीब परिवार सरकारी अस्पताल में यह सोचकर आते हैं कि उन्हें यहां सुविधा मिलेगी लेकिन यहां भी उन्हें आधी-अधूरी सुविधा दी जाती है। जब कर्मचारियों ने कुछ नहीं किया तो मरीज़ों ने खुद ही लीक हो रही जगह पर टेप लगाकर गैस की होती बर्बादी रोकने की कोशिश की तो क्या प्रशासन की यह ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि मामले को लेकर वह कड़े नियम बनाये ताकि आगे से ऐसी लापरवाही न हो?
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।
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