खबर लहरिया Blog छत्तरपुर: दलित बस्ती में सड़क न होने से हर दिन रहता है जान-माल का खतरा

छत्तरपुर: दलित बस्ती में सड़क न होने से हर दिन रहता है जान-माल का खतरा

उबड़-खाबड़ सड़क होने की वजह से छुई खदान गाँव में रहने वाले परिवारों को रोज़ाना के आवागमन में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

विकास ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में वादा और उसके पूरे होने के इंतज़ार से ज़्यादा कुछ नहीं है। खबर लहरिया ने रिपोर्टिंग के दौरान छत्तरपुर जिले के ब्लॉक छत्तरपुर में देखा कि ब्लॉक में आने वाले मरघट पहाड़ी के बगल में एक गाँव है छुई खदान, जहां लोगों के आवागमन के लिए सड़क की व्यवस्था ही नहीं है। इस गाँव में तकरीबन 200 दलित परिवार रहते हैं, इसलिए जगह को दलित बस्ती भी कहते हैं। सड़क न होने से मज़बूरन परिवारों को उसी उबड़-खाबड़ रास्ते से निकलना पड़ता है। फिर सवाल आता है कि जिस गांव में रास्ता ही नहीं, वहां विकास कैसे पहुंचे?

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सड़क न होने से लोगों को होती परेशानियां

“हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं। इसी सड़क से चढ़ाकर ले जाते हैं। हमारी बेटी का हाथ भी टूट चुका है। एक बार मैं पानी लेने जा रही थी, मेरी बच्ची मेरे पीछे-पीछे आई और फिसल कर गिर गयी फिर मैनें जिला अस्पताल में उसका इलाज कराया”- दलित बस्ती में रहने वाली महिला सुमन अहिरवार ने कहा।

सीनू देवी ने कहा, “एक बार मैं रात में आ रही थी। सड़क टूटी थी दिखाई नहीं दिया और वह गिर गयी। मेरे यहां रिश्तेदार भी नहीं आते क्यूंकि रिश्तेदारों को पहाड़ियों के बीच से होकर घर तक आना पड़ता है। वह कहते हैं कि तुम्हारे यहां सड़क नहीं है। मुझे तुम्हारे यहां आना अच्छा नहीं लगता है। उबड़-खाबड़ में हम लोग गिर जाते हैं इसलिए हमारे यहां रिश्तेदार नहीं आते हैं।”

कल्लू अहिरवार ने बताया, “हमारी बेटी की शादी थी। हमारे यहां जो बाराती थे उन्होंने कहा था कि अगर आप अपने घर से शादी करोगे तो मैं नहीं करूंगा क्योंकि तुम्हारे यहां पर पहाड़ी वाली रोड है। जगह-जगह चट्टाने हैं। हमारे बाराती कैसे आएंगे। अगर तुम्हें गुंजाइश हो तो कहीं मैरिज हॉल से या किसी स्कूल से शादी करो तभी मैं करूंगा। मैं गरीब आदमी हूं। मेरे पास खाने को तो पैसे नहीं है, मैं मैरिज हॉल में शादी कहां से करूं। अभी मेरी बेटी की शादी की तारीख है और वह लोग इस तरह से मांग कर रहे हैं। सड़क नहीं है तो हमारी बेटी की शादी हमें मजबूरन एक स्कूल से करनी पड़ रही है और वह स्कूल का भाड़ा भी बड़ी मुसीबत से हम लोग दे रहें हैं।”

ग्रामीणों ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार समस्या को लेकर प्रदर्शन, चक्का जाम और शिकायत भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

सड़क को लेकर कई बार की है शिकायत – सरपंच

खबर लहरिया ने मामले को लेकर गाँव की सरपंच गिरजा पाठक से बात की। उन्होंने कहा, वह सड़क की समस्या को लेकर काफी बार शिकायत कर चुकी हैं। बैठक में भी इस बारे में बात रखी थी लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं होती। विधायक से कहा तो उन्होंने आश्वाशन दिया कि निरीक्षण करके वह सड़क बनवाने की कोशिश करेंगे।

“सड़क बनवाने की करूँगा कोशिश” – विधायक

हमने इस बारे में विधायक आलोक चतुर्वेदी पदजन भैया से बात की। उन्होंने सफ़ाई देते हुए कहा कि, “हाँ मैंने वहां की सड़क देखी है। काफ़ी घातक है। लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मैंने एक बार वहां पर मिट्टी भी डलवाई थी और कई चट्टाने भी खुदवा कर रखवा दी थी फिर उसके बाद काम बंद हो गया था। मैं किसी काम से बाहर चला गया था तो वहां पर काम बंद कर दिया गया था। मैं फिर से वहां का एक बार निरीक्षण करूंगा फिर देखूंगा कि वहां पर कितनी सड़क बननी है। उसके बाद कोशिश करूंगा और सड़क बनवा लूंगा।”

सड़क न होने से दलित बस्ती में रहने वाले परिवार अपने दैनिक क्रियाएं भी बिना खतरा उठाये नहीं कर पाते। ऐसे में सरपंच और विधायक दोनों ही बस यह कहते दिख रहे हैं कि वह कोशिश करेंगे। फिर सवाल यह है कि उनकी इस कोशिश से आखिर कब तक सड़क बनेगी? अगर इस बीच फिर किसी परिवार को जान-माल की हानि होती है तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?

इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है। 

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