खबर लहरिया Blog दहेज के लालच में ससुराल वाले गर्भवती महिला के साथ कर रहे हिंसा, आरोप

दहेज के लालच में ससुराल वाले गर्भवती महिला के साथ कर रहे हिंसा, आरोप

देश में 2017 और 2021 के बीच इन पांच सालों में यूपी में सबसे अधिक 11,874 दहेज हत्याएं दर्ज की गईं हैं जिनमें हर दिन लगभग छह मौतें हुईं हैं।

                                                                                                          मामले की जगह की सांकेतिक फोटो

दहेज का प्रचलन समाज के लालचपन को दिखाता है और यह लालच शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के कोने-कोने में दिखाई पड़ता है। चाहें परिवार आर्थिक रूप से कमज़ोर हो लेकिन वहां भी शादी में दहेज की मांग की जाती है। अब दहेज चाहें कर्ज़ लेकर दो या खुद की संपत्ति को लुटाकर। अतः, अंत में समाज यह कहकर बच निकलता है कि ‘यह सब तो तुम अपनी बेटी के लिए कर रहे हो, उसकी खुशी के लिए कर रहे हो।’

जब कोई परिवार मुंह मांगा दहेज नहीं दे पाता तो यहां से ‘दहेज़ हिंसा’ व ‘घरेलू हिंसा’ का जन्म होता है। दहेज न दे पाने को घरेलू हिंसाओं के उदारहणों के रूप गिना जा सकता है जो महिलाओं के साथ उत्पीड़न का कारण बनता है।

बांदा जिले के मार्का थाने के ग्राम पंचायत गूजेनी    में 9 जून को दहेज़ व घरेलु हिंसा का मामला सामने आया है जिसमें पति द्वारा छः माह की गर्भवती पत्नी को दहेज की मांग पूरा न करने पर घर से बाहर निकाल दिया गया। आरोप के अनुसार, दहेज़ न देने की वजह से ससुराल वाले महिला के साथ मारपीट करते और उससे मायके से पैसे लाने को कहते।

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हिंसा को लेकर महिला की बात

23 वर्षीय रोहिनी छः माह से गर्भवती है। आरोप के अनुसार, गर्भावस्था में ससुराल वालों व पति गुलाब (30) द्वारा उससे दहेज़ की मांग करते हुए मारपीट की गई। शादी को दो साल हो चुके हैं और तभी से ससुराल वालों द्वारा रोहिनी व उसके मायके वालों पर दहेज का दबाव बनाया जा रहा है।

दो साल पहले रोहिनी की शादी अडौली गांव के गुलाब से बांदा जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह के तहत हुई थी। मायके वालों को पता था कि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है इसलिए उन्होंने समूह के तहत अपनी बेटी की शादी करवाई।

रोहिनी का आरोप है कि उसका पति गुलाब शुरू से शराब-गांजा पीकर उसे मारता-पीटता था और उसे सही से नहीं रखता था। उसके माता-पिता से ससुराल वालों द्वारा तीन लाख रूपये नगद और सोने की चैन और अंगूठी की मांग की गई थी जिसे वह आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह से पूरा नहीं कर पाए।

महिला ने आगे बताया, दो महीने वह अपने पति के साथ विलासपुर में रही क्योंकि उसका पति वहीं काम करता था। वहां पर पति द्वारा हिंसा की अति ही कर दी गई। आरोप के अनुसार, गर्भावस्था में भी उसके साथ मारपीट करता और हाथ काटकर उसमें मिर्च भर देता था।

इस समय वह अपने मायके में रह रही हैं।

मामले को लेकर रोहिनी की माँ देवरती का कहना है कि ससुराल वालों को पहले ही शादी के लिए मना कर देना चाहिए था क्योंकि उन्होंने अपने बारे में पहले ही सब बता दिया था।

आरोपी पति ने कहा…..

आरोपों के लेकर महिला के पति गुलाब का कहना है कि उनकी कोई लड़ाई नहीं हुई है। सबके यहां छोटी-मोटी लड़ाई होती रहती है। वह अपनी पत्नी रोहिनी को राज़ीखुशी मायके छोड़कर आया था फिर रोहिनी ने पंचायत लगवाई। पुलिस और चार लोगों के सामने बात तय हुई कि वह पैसे देगा और वह पैसे देने के लिए तैयार है।

वहीं महिला की सास राजरानी का कहना है कि शादी के बाद लड़ाई-झगड़े होते थे तो उन्होंने उन्हें अलग कर दिया था और वह विलासपुर चले गए थे। उन्हें नहीं पता क्या हुआ। ‘मुझे एक साड़ी तक तो दी नहीं है, शादी में भी कुछ नहीं दिया।’

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दहेज़ व घरेलु हिंसा का मामला दर्ज़

मामले को लेकर खबर लहरिया ने मार्का थाने के एसआई राधेश्याम मिश्रा से बात की। उनके अनुसार, 9 जून को महिला को तरफ से दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा की एफआईआर लिखी गई है। इसमें चार लोगों के खिलाफ पति गुलाब, सास राजरानी, ससुर सत्य मोहन और देवर बुध्यराज के खिलाफ धारा 498 ए, 503, दहेज प्रतिषेध अधिनयम 1961, 3/4 के तहत मामला दर्ज़ किया गया है।

फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों के बयान लेने के बाद तथ्यों के अनुसार मामले की जांच कर रही है।

पहली रिपोर्ट पर पुलिस ने कराया था समझौता

बता दें, महिला 27 मई को भी दहेज हिंसा को लेकर मर्का थाने में रिपोर्ट दर्ज़ कराने गई थी लेकिन उस समय उनकी रिपोर्ट न लिखकर समझा-बुझाकर वापस भेज दिया गया था। जब हमने इस बारे में एसआई से पूछा तो उनका कहना था कि वह पहले यही कोशिश करते हैं कि बात सुलझ जाए। किसी का घर न बिगड़े।

दहेज हिंसा के आंकड़े

देश में 2017 और 2021 के बीच हर दिन लगभग 20 दहेज हत्याएं दर्ज की गईं, जिनमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक हर दिन छह मौतें दर्ज की गईं।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा द्वारा राज्यसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 और 2021 के बीच देश में 35,493 दहेज हत्याएं हुईं हैं। आउटलुक इंडिया की दिसंबर 2022 की रिपोर्ट बताती है, साल 2017 में 7,466 दहेज हत्याएं, साल 2018 में 7,167, साल 2019 में 7,141, साल 2020 में 6,966 और साल 2021 में 6,753 मामले शामिल हैं। इन पांच सालों में यूपी में सबसे अधिक 11,874 दहेज हत्याएं दर्ज की गईं हैं जिनमें हर दिन लगभग छह मौतें हुईं हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गई है। 

 

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