खबर लहरिया Blog बिहार पंचायत चुनाव 2021 : प्रत्याशी तैयार, कौन लौटेगा घर वापस, किसके गले में जीत का हार?

बिहार पंचायत चुनाव 2021 : प्रत्याशी तैयार, कौन लौटेगा घर वापस, किसके गले में जीत का हार?

प्रधान पद से लेकर वार्ड सदस्य प्रत्याशी चुनाव में बाज़ी मारने की हर कोशिश कर रहे हैं। हमने भी बिहार के अलग- अलग ज़िलों से पंचायत चुनाव की हलचल पर नज़र डाली। तो चलिए आपको भी बताते हैं कि इन चुनावों को लेकर गावों में क्या माहौल है।

चुनाव की सबसे छोटी कड़ी होती है पंचायत चुनाव। कहने के लिए तो ये चुनाव सबसे छोटा और छोटे पदों के लिए होता हैलेकिन फिर भी इस चुनाव से लोग अपनी-अपनी किस्मत आजमाते हैं इस चुनाव में लोग राजनीति की पहल भी करते हैं। फिलहाल बिहार में पंचायत चुनाव का बुखार हर तरफ सिर चढ़ कर बोल रहा है। प्रधान पद से लेकर वार्ड सदस्य प्रत्याशी चुनाव में बाज़ी मारने की हर कोशिश कर रहे हैं। हमने भी बिहार के अलग-अलग ज़िलों से पंचायत चुनाव की हलचल पर नज़र डाली। तो चलिए आपको भी बताते हैं कि इन चुनावों को लेकर गावों में क्या माहौल है।

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शिक्षा व्यवस्था को सुधरेंगी खुशबू चौहान-

बिहार के सीतामढ़ी जिले के गौड़ी गाँव से मुखिया पद प्रत्याशी खुशबू चौहान अपनी किस्मत आज़माने पहली बार राजनीति में उतरी हैं। खुशबू चौहान ने हमें बताया कि वो बचपन से देख रही हैं कि उनके गाँव में शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल भी ठीक नही हैं। उनका कहना है कि बच्चों की शिक्षा अगर सुधरेगी तभी विकास होगा। उन्होंने हमें बताया था कि अगर इस बार वो चुनाव जीतती हैं तो उनका पूरा ध्यान गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारना होगा।
फिलहाल खुशबू इस बार पंचायत चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पायीं, लेकिन उनका दृणसंकल्प कमज़ोर नहीं हुआ है और वो आगे भी गाँव के विकास के लिए तत्पर रहेंगी।

महिलाओं के स्वावलंबन के लिए तत्पर शोभा देवी-

बिहार के शिवहर ज़िले के गाँव मथुरापुर कहतरवा में भी चुनावी हलचल ज़ोरों पर है। यहाँ हमने मुलाक़ात करी मुखिया पद प्रत्याशी शोभा देवी से। शोभा का कहना है कि अगर वो यह चुनाव जीत जाती हैं, तो वो गाँव में विकास लाने की पूरी कोशिश करेंगी। इसके साथ ही वो महिलाओं के विकास के लिए भी काम करेंगी और किसानों को भी हर सुविधा पहुंचाने की कोशिश करेंगी।

शोभा का कहना है कि वो अपने गाँव से बेरोज़गारी दूर करने की भी हर कोशिश करेंगी जिससे उनके गाँव की युवा पीढ़ी आगे बढ़ सके।

गाँव के लोग भी शोभा का समर्थन पूरी तरह से कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक महिला होने के बावजूद भी शोभा अपने काम को लेकर काफी केंद्रित रहती हैं। वो लोगों की परेशानियों को न ही सिर्फ सुनती हैं बल्कि उनके हल निकालने में अपना पूरा सहयोग देती हैं।

मथुरापुर कहतरवा गाँव की महिलाओं ने हमें बताया कि शोभा ग्राम की महिलाओं को अस्पताल ले जाने उनको सही इलाज दिलवाने में भी सहायता करती हैं। ग्रामीणों को यकीन है कि बार उनके गाँव के मुखिया की कमान शोभा के हांथों में ही आएगी।

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युवा नेताओं ने भी बढ़ चढ़ कर लिया है हिस्सा-

इस बार बिहार के पंचायत चुनाव में युवा प्रत्याशियों ने भी जम कर हिस्सा लिया है। खुशबू चौहान के साथ-साथ सीतामढ़ी ज़िले के गाँव हरिछपरा के मुखिया पद प्रत्याशी शिव शंकर सिंह भी इस बार युवा श्रेणी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वैसे तो वो सामाजिक कार्यकर्ता हैं और पिछले कई वर्षों से गाँव के लोगों की मदद करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने मुखिया पद पर खड़े होने की भी ठान ली।

हरिछपरा गाँव के लोगों का कहना है कि उनके गाँव में विकास का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है। न ही गाँव में पक्की सड़कें और न ही पानी की व्यवस्था है। इन लोगों ने पिछले कई प्रधानों से गाँव में विकास करवाने की मांग तो की, लेकिन इनकी आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

फिलहाल गाँव में प्रधान पद प्रत्याशी शिव शंकर सिंह का का बोलबाला नज़र आ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार पंचायत चुनाव में वो ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे जो लोगों की परेशानियों को सुने और साथ ही उन्हें हल भी करे। और लोगों की मानें तो गाँव के मुखिया के रूप में वो शिवशंकर को ही देख रहे हैं। लेकिन अब देखना यह होगा कि इस युवा नेता के जीत जाने से गाँव में विकास का नया सवेरा होगा या नहीं।

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समाजसेवा के लिए छोड़ी नौकरी-

सीतामढ़ी जिले के गाँव राज गौड़ी के वार्ड मेम्बर प्रत्याशी मदन कुमार साह की कहानी भी काफी प्रेरित करने वाली है। वो अपनी स्थायी नौकरी छोड़ चुनावी दंगल में उतरे हैं। मदन का कहना है कि वो नौकरी करके सिर्फ अपने परिवार का भरण- पोषण कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें सिर्फ समाज सेवा करनी है जिसके चलते उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी है। वो अपने क्षेत्र में सम्पूर्ण विकास करवाना चाहते हैं और ग्रामीणों की हर प्रकार मदद करना चाहते हैं।

मदन का कहना है कि अगर इस बार वो वार्ड मेम्बर चयनित हो जाते हैं तो उनका अहम मुद्दा रोज़गार होगा। उन्होंने बताया कि उनके गाँव के युवा रोज़गार न मिलने के कारण बहुत परेशान हैं, लेकिन वो पूरी कोशिश करेंगे कि इन युवाओं को सरकार द्वारा चलाई जा रहीं रोज़गार योजनाओं का लाभ मिले।

सोच-समझ कर वोट करेंगे ग्रामीण-

ग्रामीणों को उम्मीद है कि चुनाव के बाद नए प्रधान गाँव में विकास ज़रूर लाएंगे। आवास, सड़क, पानी आदि कई परेशानियों से जूझ रहे ये ग्रामीण इस बार अपना नेता काफी सोच समझ कर चुनेंगे। सीतामढ़ी ज़िले के सहियारा गाँव के लोगों का कहना है कि उनके गाँव में विकास का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है। न ही गाँव में पक्की सड़कें और न ही पानी की व्यवस्था है। इन लोगों ने पिछले कई प्रधानों से गाँव में विकास करवाने की मांग तो की, लेकिन इनकी आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

ग्रामीणों की मानें तो इस बार वो पंचायत चुनाव में ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे जो लोगों की परेशानियों को सुने और साथ ही उन्हें हल भी करे। लेकिन पंचायत चुनाव के बाद नव-निर्वाचित नेता इन ग्रामीणों के भरोसे पर खरे उतर पाएंगे या नहीं, यह तो समय बताएगा।

चुनाव के बीच कोरोना के खतरे को भूले प्रतयाशी-

बिहार में हो रहे पंचायत चुनावों में एक चीज़ ऐसी भी थी जिसकी तरह किसी का ध्यान नहीं गया, वो थी कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन न करने की समस्या। बिहार में इससे पहले भी कोविड-19 के दौरान 2020 में विधान सभा चुनाव हुए थे, लेकिन तब प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी से बचाव के लिए सख्त कदम उठाए गए थे, जैसे:

• भीड़ से बचने के लिए मतदान केंद्रों को 63% तक बढ़ाया गया
• डोर-टू-डोर प्रचार पांच व्यक्तियों के समूहों तक ही सीमित था परंतु इस बार पंचायत चुनाव के दौरान ऐसे कोई भी नियम नहीं देखने को मिले।

फिलहाल बिहार में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चालू है, लेकिन इस दौरान आम जनता तो क्या नेता-विधायक भी घातक कोरोना महामारी के खतरे के बारे में भूल चुके हैं।

जहाँ कुछ लोगों ने कोरोना और चुनाव को लेकर चिंता व्यक्त करी, वहीँ कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके अनुसार कोविड-19 अब देश से जा चुका है। सीतामढ़ी ज़िले के हीरोलवा गाँव के अमरेश का कहना है कि चुनाव प्रचार-प्रसार के दौरान प्रत्याशी पूरी भीड़ के साथ निकलते हैं और सोशल डिस्टन्सिंग तो क्या किसी ने मास्क भी नहीं लगा रखा होता है। उनका कहना है कि ऐसा करके वो अपनी जान के साथ-साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डाल रहे हैं।

सीतामढ़ी के मेजरगंज गाँव से मुखिया पद प्रत्याशी आशा देवी की मानें तो अब देश से कोविड-19 संक्रमण जा चुका है और किसी को अब इस संक्रमण से खतरा नहीं है।

लेकिन सरकार और प्रशासन भले ही कोरोना को अनदेखा कर, पंचायत चुनाव पूरा करवाएं, लेकिन आप अपना कर्त्तव्य मत भूलिएगा। और घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाकर ही निकलिएगा, हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज़ करिये और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करिए। कोरोना अभी गया नहीं है, देश को सतर्कता की पूरी ज़रुरत है।

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