बृज किशोर सुमित्रा ने बताया कि हज़ार लोग नहर के किनारे बसे हुए है। इस नहर में ज़्यादातर जानवर पानी पीने के लिए जाते हैं और ऐसे में पानी पीने के दौरान वह नहर में गिर जाते हैं। कोई उन्हें देख नहीं पता है पर जब नहर के पानी से बदबू आने लगाती है तब हमें पता चलता है कि कोई जानवर मर गया है।
उत्तर प्रदेश के जिला महोबा के गांव बोरा में 10 साल पुरानी नहर की गहराई, साल दर साल और गहरी होती जा रही है। गावं के लोगों की मांग है,`नहर पक्की हो और कम गहरी हो’।
महोबा जिला के ब्लाक जैतपुर और गांव बोरा में गांव के बीचों बीच से नहर गुजर रही है। यह नहर लगभग 10 साल पुरानी है। गावं वालों का कहना है कि पहले नहर की गहराई इतनी नहीं थी। नई तरह की मशीनों से सफाई की वजह से हर साल नहर और गहरी होती चली जा रही है।
अब गावं के लोगों को डर लगने लगा है कि नहर की गहराई गावं के किसी जानवर या इंसान को न निगल जाए। गावं के कई लोगों ने ऐसी दुर्घटनाएं देखी है इसलिए वो चिंतित है। गावं के लोग सिंचाई विभाग से नहर को पक्की कराने और नाले की तरह बनाने की मांग कर रहे हैं। नाले की तरह से लोगों का मतलब है जैसे नाला कम गहरा होता है उसी तरह से नहर को बनाया जाए। ऐसी नहर का निर्माण हो जो गहरी न हो, जिससे कोई खतरा न हो और पूरी तरह से पक्की हो।
बता दें कि नहर की लम्बाई चौड़ाई लगभग 8 फुट, 6 फुट चौड़ी और नहर की लम्बाई एक किलोमीटर है।
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गावं वालों की शिकायत
बृज किशोर सुमित्रा ने बताया कि हज़ार लोग नहर के किनारे बसे हुए है। इनका कहना है इस नहर में ज़्यादातर जानवर पानी पीने के लिए जाते हैं और ऐसे में पानी पीने के दौरान वह नहर में गिर जाते हैं। कोई उन्हें देख नहीं पता है पर जब नहर के पानी से बदबू आने लगाती है तब हमें पता चलता है कि कोई जानवर मर गया है। जानवर को नहर से निकलने में बड़ी मुश्किल होती है। यदि ये नहर नाले जैसे बन जाएगी तो ऐसी दुर्घटनाएं होने से बच जाएगी।
वीरान कुमार का कहना है कि “इस नाले में सिर्फ गंदगी ही रहती है और जब पानी आता है तो बदबू आता है क्योंकि इतना गहरा हो गया है।”
धनीराम कहते है, “यह नहर तो हम बहुत पुराने से देख रहे हैं लेकिन पुराने लोग नहीं मांग करते थे इसमें सुधार की पर अब हम कर रहे हैं। जब भी यहां पर नहर की सफाई होती है कचड़ा भी नहर से निकाल के छोड़ जाते हैं जिससे आने-जाने में भी काफी परेशानी होती हैं।”
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वीरान कुमार को मीडिया से है उम्मीदें
वीरान कुमार कहते हैं हम अपनी बात को मीडिया के माध्यम से बताना चाहते हैं क्योंकि हमारी और कहीं तो पहुंच नहीं है। हमें काम की वजह से समय नहीं मिल पाता है। अगर दौड़ धूप करते हैं विभाग के चक्कर लगाते हैं पर कोई हमारी बात नहीं सुनता। वह तो यहां जब कुलपहाड़ महोबा जाना होता है तभी आते हैं पर हम लोग तो यहीं रहते हैं। हमारे बच्चों का भी खतरा है बहुत कुछ देखना पड़ता है। कहीं भी जाते हैं तो चिंता जैसी बनी रहती है कि नहर अब आ गई है बच्चे नहर में ना चले जाएं।
वहां के लोगों से बातचीत के दौरान एक घटना उन्होंने बताई कि गांव में 8 साल पहले एक बच्चे की नहर में गिरने से मौत हो गई थी।
नहर को लेकर गावं वालों की मांग
गांव के लोग चाहते हैं नहर पक्की हो और साथ उसमें सीढ़ी ही बना दी जाए ताकि आराम से लोग उसमें जा सके और उस पानी का इस्तेमाल बिना डरे कर सके।
एसडीओ महोबा सिंचाई विभाग का बयान
खबर लहरिया रिपोर्टर ने जब इस मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारी से सवाल किए कि अभी तक क्यों नहीं इस पर काम हुआ है ? उन्होंने बताया कि पिछले साल तो नहर नहीं चली है क्योंकि तालाब में पानी नहीं था और इस साल तालाब में पानी आ गया है इसलिए नहर को छोड़ दिया। ऐसे कामों में साल भी लग सकते हैं।
एसडीओ महोबा सिंचाई विभाग बनवारी कहना है “जो मशीनों से कचरा निकल जाता है उसको फेंकवा दिया जाता है। मानते हैं की नहर गहरी है उसके लिए हमने कार्य योजना एस्टीमेट बना लिया है जैसा ही बजट आएगा वैसा ही काम शुरू हो जाएगा।
गावं में नहर का होना कितना जरूरी है ये किसान और वहां के लोग को ही नहर का मूल्य पता है ऐसे में नहर खतरा बन जाए तो इस बारे में सिंचाई विभाग अधिकारी को जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए ताकि और दुर्घटनाओं की संख्या में रोक लगा सके।
मांकुर कहते हैं “आखिर नहर से निकला कचरा कब तक रहेगा और इतनी गहरी नहर हैं कोई गिर जाता है तो निकल नहीं पाता है। इसको क्यों नहीं बना रहे हैं ? उस समय वह आश्वासन देते हैं कि हम आपके नहर का काम कर देंगें। आप परेशान मत हो ऐसे कहते कहते 4 साल बीत गए हैं।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गई है।
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