खबर लहरिया Blog रोगों से निदान और इलाज के लिए चलाया जा रहा अभियान

रोगों से निदान और इलाज के लिए चलाया जा रहा अभियान

स्वस्थ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बांदा जनपद सहित पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग कि ओर से 30 साल से अधिक आयु के महिलाओं और पुरुषों को रोगों से निदान और इलाज प्रदान करने हेतू 16 जनवरी 2020 से एक अभियान चलाया जाएगा| योजना के तहत घर-घर जाकर चिकित्सकों और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा यह कार्य पूरा किया जाएगा।

किसी भी व्यक्ति में किसी रोग का लक्षण दिखने पर उसे अस्पताल भी पहुंचाया जाएगा जिसके तहत मधुमेह, हाईपरटेंशन,मुंह और स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग के बाद हेल्थ और वेलनेस सेंटरों के माध्यम से उन्हें इलाज और अन्य सुविधाएं दी जाएगी| परिवार के तीन पीढि़यों में रही बीमारियों के बारे में जानकारी ली जाएगी। इसे सीएबीएसी फार्म पर भरने के बाद फैमिली फोल्डर पर अपलोड किया जाएगा। सर्वे के दौरान ही मधुमेह और रक्तचाप आदि की जांच भी होगी। बीमारी का लक्षण मिलने पर तत्काल संबंधित व्यक्ति को अस्पताल भेजा जाएगा। अनेक बीमारियों का आरंभिक स्तर पर पहचान होने से इलाज आसान होता है। इसी को लक्ष्य मानकर सरकार प्रयास कर रही है। इसके लिए तैयारियां पूरी करके विभाग द्वारा टीम का गठन करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अभियान से बहुत लोगों को फायदा मिल सकता है, जिससे लोगों को जागरूकता के साथ-साथ इलाज भी मिल जायेगा| ये अभियान 16 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा| जिसमें अभियान की मुख्य जिम्मेदारी प्रशिक्षित चिकित्सकों,एएनएम और आशाओं को दी गई है और बांदा जनपद में इसके लिए कुल 30 हेल्थ और वेलनेस सेंटर बनाए गए हैं| जिसमें शासन से मिले निर्देशों के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत लोगों की स्क्रीनिंग अनिवार्य रुप से की जाएगी| जिसमें आशाओं को अपने कार्य क्षेत्र के सभी घरों में जा कर परिवार फिल्डर बनाया जाएगा और 30 साल के सभी महिला और पुरुषों की सीबैक फार्म में भरी जाएगी| तेजी से पांव पसार रहे गैर संचारी रोगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है।
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इन बीमारियों पर होगी स्क्रीनिग
आशा कार्यकर्ता अभियान के दौरान तय रोस्टर के हिसाब से 30 वर्ष से अधिक आयु की महिला व पुरुषों को गैर संचारी रोग डायबिटीज हाइपरटेंशन, ओरल व ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिग के लिए सेंटर पर लाएंगी।
आशाओं को मिला लक्ष्य
ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत आशाओं को 185 एवं शहरी क्षेत्र की आशाओं को 370 लाभार्थियों के स्क्रीनिग का लक्ष्य सौंपा गया है। आशाएं अपने कार्य क्षेत्र में मिले लक्ष्य के हिसाब से स्क्रीनिग कराएंगी।

जिला कार्यक्रम प्रंबधक कुशल यादव ने बताया कि इस कार्य के लिए 19 हेल्थ आफिसरों की नियुक्ति हो चुकी है और रोगियों की निगरानी के लिए एनसीडी नम का एप भी लांच किया गया है और उसके लिए जिले के सभी एएनएम को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है|
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इस अभियान से संबधित जिले के सभी चिकित्सा अधिकारी,ब्लाक कार्यक्रम अधिकारियों और सीएमओ की मंगलवार 15 जनवरी को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में एक कार्यशाल भी आयोजित कि गई थी| इस कार्शाल में चित्रकूट से आए एनसीडी एप्लीकेशन ट्रेनर विकास कुशवाहा नेसभी को अभियान कि कार्ययोजना कि जानकारी और एनसीडी एप में विवरण भरने का प्रशिक्षण दिया गया| इसी के साथ आयुष्मान के लाभार्थियों को चिन्हित कर उनके गोल्डन कार्ड बनाने के निर्देश भी दिए गये|
गोल्डन कार्ड बनाने की बात से याद आया कि हमने ऐसी कई स्टोरियाँ की हैं जहाँ आयुष्मान कार्ड तो बने हैं लेकिन लाभ नहीं मिल पा रहा है। आयुष्मान योजना का मकसद है कि जरूरतमंदों को बिना किसी खर्च के इलाज उपलब्ध करवाया जाए। इसे सिस्टम की गड़बड़ी कहें या फिर लापरवाही कि गोल्डन कार्ड धारकों को इलाज और जांच के लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। जिस तरह की शिकायतें सामने आती जा रही हैं, लोग इस बात को लेकर भी असमंजस में हैं कि आखिर वह कार्ड का लाभ कैसे ले और उनसे क्यों रुपये खर्च कराए जा रहे हैं। योजना के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही संबंधित मरीजों को सुविधा का लाभ मिलने लगता है।

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को शुरू किया है. इस योजना द्वारा करीब 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को निशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी। आयुष्मान भारत योजना वास्तव में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है. जिसके तहत गरीब लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक के इलाज के लिए कैशलेश कवरेज प्रदान किया जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है. यह योजना पिछले साल 25 सितंबर को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती से पूरे देश में लागू की गई। आयुष्मान भारत योजना में सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के डेटाबेस में सूचीबद्ध प्रत्येक व्यक्ति स्वत: नामांकित हो जाएगा।
सरकार की मंशा है कि कोई भी गरीब बिना इलाज न रहे और उसको पूरा लाभ मिले लेकिन सरकारी और निजी अस्पतालों की स्थिति कुछ और ही है। यहां भर्ती लोगों में कोई दवा तो कोई जांच के लिए रुपये खर्च करने को मजबूर है।