जिला चित्रकूट ब्लॉक रामनगर गांव देऊॅधा में रहने वाली महिला का कहना है कि उसके गांव में कोई महिला सिकहुला के डोलची नहीं बनाती मगर वह बनातीं हैं।
वह बताती हैं कि उन्होंने 15 साल पहले एक पेपर हारा बनाया था जिसे सब लोग शादी में ले जाते थे। मगर अब यह टूट गया है। लोग कहते हैं कि जब वह शादी-विवाह करेंगे तो क्या करेंगे, कैसे ले चलेंगे। यह उनके बुंदेलखंड का कल्चर है।
महिला का कहना है कि वह हफ़्ते दिन पहले से ही डोलची बनाना शुरू कर देती हैं। इसमें हाथ का बहुत ज़्यादा काम होता है। वह कहती हैं कि उन्हें इसे बनाने में 15 दिन लग जाते हैं और उसमें 2500 का सामान भी लग जाता है। वह कहती हैं कि अगर इसे बाहर से खरीदने जाओ तो यह हज़ार रुपये से कम में नहीं मिलता।
महिला कहती हैं कि उन्होंने अपनी एक छोटी- सी दुकान की हुई है। उसी से उनका खर्चा निकलता रहता है। उन्होंने यह कला अपने पिताजी से सीखी है और यह बनाने में उन्हें काफी खुशी भी होती है।
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