बुंदेलखंड में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें जागरूक करने हेतु कई संस्थाएं काम कर रही हैं। ऐसा देखा गया है कि पिछड़ा और ग्रामीण क्षेत्र के लोग ही काम न होने की वजह से अमूमन पलायन करते हैं। इसी पलायन को रोकने के लिए एक्शन एड एसोसिएशन (Action Aid Association) लगभग 50 सालों से देश में इन मुद्दों को लेकर काम कर रहा है। यह एसोसिएशन कुछ सालों से यूपी के बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, ललितपुर आदि जिलों में भी काम कर रहा है।
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संस्था के कार्यकर्ता खालिद ने खबर लहरिया को बताया कि लॉकडाउन के समय जब लोग पलायन कर रहे थे और फिर उसके बाद वापस गांव आ रहे थे तो उस समय लोगों के पास रोज़गार का कोई साधन नहीं था। फिर उन्होंने महिलाओं को गांव में ही रहकर रोज़गार देने का सोचा। लोगों को बकरी पालन, मुर्गी पालन, सब्ज़ी उगाना, हाथ से बना मिर्च मसाला आदि चीज़ें तैयार करना सिखाया ताकि महिलाएं गांव में ही रहकर रोज़गार कर सकें।
आगे कहा कि पलायन करने से बच्चों के ऊपर भी असर पड़ता है। उनकी शिक्षा रुक जाती है। अलग-अलग जगह आने से जाने से महिलाओं के साथ यौन शोषण भी होता है। अब महिलाएं गाँव में रहकर रोज़गार कर पाएंगी और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।
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