खबर लहरिया Blog Bird flu in UP: यूपी में बर्ड फ्लू की दस्तक, चिड़ियाघरों को 7 दिनों के लिए किया बंद

Bird flu in UP: यूपी में बर्ड फ्लू की दस्तक, चिड़ियाघरों को 7 दिनों के लिए किया बंद

यूपी के वन मंत्री अरुण सक्सेना ने कहा कि “लैब रिपोर्ट में बाघिन में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। साथ ही  सिर्फ़  चिड़ियाघरों में ही नहीं बल्कि राज्य भर के पोर्टी फार्मों में भी निगरानी बढ़ा दी गई है”

गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्लाह खान जूलोजिकल पार्क इन की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

 

लेखन- रचना 

बीते दिनों उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू की खबर सामने आ रही है जो लगातार बढ़ती जा रही है जिसके चलते लोगों के बीच हड़कम्प और दहसत बढ़ती जा रही है। राज्य के कई ज़िलों में पक्षियों की अचानक मौत की  खबरों के बाद वन विभाग और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाँच तेज कर दी और कई दिशा निर्देश भी उनके द्वारा दिया गया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 मई को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लखनऊ और कानपुर के चिड़ियागरों को एक सप्ताह के लिए बंद करने का आदेश दिया है। इस निर्णय का उद्देश वायरस की किसी भी सम्भावित संक्रमण को रोकना और चिड़ियाघरों को तथा पोल्ट्री फार्मों में निगरानी बढ़ाना है। जनसत्ता की खबर के अनुसार यूपी मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्यवाही पर बल दिया है। उन्होंने कहा है “चिड़ियाघरों, पक्षी अभ्भ्यारणो, गौशालाओं और राष्ट्रीय उद्यानों में जानवरों और पक्षियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। सभी अधिकारियों को तत्परता से और केंद्र और राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करना चाहिए।” 

यूपी के वन मंत्री अरुण सक्सेना ने कहा कि “लैब रिपोर्ट में बाघिन में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। साथ ही  सिर्फ़  चिड़ियाघरों में ही नहीं बल्कि राज्य भर के पोर्टी फार्मों में भी निगरानी बढ़ा दी गई है।” उन्होंने बताया कि आदेश के तहत बंद किए गए चिड़ियाघरों में गोरखपुर चिड़ियाघरों, इटावा लायन सफारी, लखनऊ  चिड़ियाघर और कानपुर चिड़ियाघर भी शामिल है। गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खान जूलॉजिकल पार्क में शक्ति नाम की बाघिन की 7 मई को  मौत हो गई थी।

बर्ड फ्लू क्या है और इसके लक्षण को कैसे जाने ?   

बर्ड फ्लू इन्फ्लुएंजा वायरस है। यह संक्रमण ज़्यादातर पक्षियों और जानवरों से पैदा होता है। इसे जंगली पक्षियों और मुर्गियों में ज़्यादा देखा जाता है। यह मनुष्यों में भी फैल सकता है, हालांकि ऐसा बहुत कम मामलों में होता है लेकिन इसकी सम्भावनाएँ मनुष्यों पर देखी जा सकती है। बर्ड फ्लू के लक्षणों के बारे में बात करें तो बुखार, सांस लेने में परेशानी और गले में खराश, सर दर्द जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं और यह लक्षण लगभग 2 से 7 दिनों बाद विकसित होते हैं।

इबर्ड फ्लू: रोकथाम कैसे की जा सकती है ?

एबीपी के खबर अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और लखनऊ  के कुछ डॉक्टरों  ने बर्ड फ्लू के रोकथाम के लिए जानकारी दी है।कि आपके आसपास  कहीं भी बीमारी से ग्रसित या मरे हुए पक्षी या जीवजंतु दिखे तो उसके सीधे सम्पर्क में ना आए उससे दूरी बना कर रखें और स्थानीय एजिंसियों को जानकारी दे देनी चाहिए जिससे बर्ड फ्लू के सम्पर्क में बचा जा सकता है और दूसरों को भी बचाया जा सकता है और इससे बर्ड फ्लू को भी बढ़ने से रोका जा सकता है। किसी भी संक्रमित पक्षी जा जानवरों के आसपास होने से मास्क का इस्तेमाल करें, क्योंकि बर्ड फ्लू आँख, नाक और मुँह के ज़रिए से शरीर में प्रवेश करता है। खाने को अच्छी तरह से पकाएँ और और खाने को छूने से पहले हाथ को साबुन से भी धोएँ।जंगली या पालतू जानवरों को भी खानें से दूर रखें ताकि आप किसी भी तरह की कीटाणु से दूर रहें। बर्ड फ्लू के सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के लिए एंटीवायरस दवा के साथ इलाज पर विचार किया जा सकता है। अगर कोई बर्ड फ्लू से संक्रमित हो जाता तो उसे एक हफ़्ते के लिए घर के बाक़ी सदस्यों से अलग थलग रहन चाहिए। इन सारी सावधानियों से बर्ड फ्लू को बढ़ने से रोका जा सकता है।

बर्ड फ्लू के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए दिशा निर्देश – 

  •  कर्मचारियों को सख़्त जैविक सुरक्षा उपायों का पालन करना।
  • अगले आदेश आने (एक सप्ताह)  तक चिड़ियाघरों को बंद करना।
  • कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान मास्क, दस्ताने और पीपीइ किट ( पीपीइ विशेष वस्त्र या उपकरण है जैसे- दस्ताने, गाउन, जुता, कवर, मास्क,चश्में आदि जिसे कर्मचारी संक्रामक पदार्थों से सुरक्षा के लिए पहनता है) सहित सुरक्षात्मक उपकरण पहनेने के निर्देश।
  • सुरक्षा एवं संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल को बढ़ाया गया।
  • चिड़ियाघरों में नियमित रूप से साफ़ सफ़ाई करवाना।
  • चिड़ियाघरों के जानवरों का लगातार सफ़ाई करना तथा उनके भोजन और पानी के स्त्रोत की लगातार जाँच करना।

 

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