जानिये बिहार के पटना शहर में स्थित मशहूर गोलघर के बारे में…
बिहार राज्य को आमतौर पर पर्यटन स्थलों के रूप में नहीं गिना जाता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यहां मशहूर दर्शनीय स्थल नहीं है। आज हम आपको बिहार में स्थित गोलघर के बारे में बताने जा रहे हैं जो की पर्यटकों में काफ़ी मशहूर है। इसके प्रसिद्ध होने की क्या वजह है यह तो आपको यह आर्टिकल पढ़ने के बाद पता चल ही जायेगा।
गोलघर बिहार राज्य की राजधानी पटना शहर में स्थित है। इसे ‘पटना का गोलघर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पटना के पश्चिमी किनारे पर गांधी मैदान के पास स्थित है। इस गोलघर को अंग्रेज़ों द्वारा 1770 में पटना में आए भयंकर अकाल के बाद 1,37,000 टन अनाज भंडारण के लिए बनाया गया था। आज यह ऐतिहासिक इमारत एक पर्यटन स्थल बन गयी है।
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अनाज भंडारण ही है क्षमता
गोलघर में 140,000 टन अनाज रखा जा सकता है। यह गोलघर 125 मीटर चौड़ा और 29 मीटर ऊंचा है। इसकी खासियतयह यह है कि इसमें एक भी स्तंभ नहीं है। इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं। गोलघर में ऐसे तो ईंटों का इस्तेमाल हुआ है लेकिन इसके शिखर पर लगभग तीन मीटर तक ईंट की जगह पर पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
कहा जाता है कि मज़दूर एक ओर से अनाज लेकर गोलघर के शीर्ष पर पहुंचते थे और वहां बने दो फीट सात इंच व्यास/ बेध ( डायामीटर) के छेद में अनाज डालकर दूसरी ओर की सीढ़ी से उतरते थे। वैसे बाद में इस छेद को बंद कर दिया गया। 145 सीढ़ियों को पार कर गोलघर के ऊपरी सिरे पर पहुंचा जा सकता है। यहां से शहर के एक बड़े हिस्से खासकर गंगा तट के सुंदर और मनमोहक दृश्य को देखा जा सकता है।
गोलघर का इतिहास
गोलघर का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरु हुआ और 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था। इस गोलघर के निर्माण के पीछे वजह थी साल 1770 में आया भयंकर अकाल। इस अकाल और सूखे के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। उस समय रहे गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी। ब्रिटिश इंजिनियर कैप्टन जान गार्स्टिन ने अनाज़ के (ब्रिटिश फौज के लिए) भंडारण के लिए इस गोल ढाँचे का निर्माण किया था।
इसे बनाने में करीब 30 महीने लगे थे। इस गोलघर को कुछ इस तरह बनाया गया हैं कि इसमें कोई भी खंभा नहीं हैं। अपने विशेष प्रकार की वास्तुकला से इसकी काफी पहचान है। किसी समय में गोलघर पटना की सबसे ऊँची इमारत थी।
गोलघर की संरचना
गोलघर की गोलाकार इमारत अपनी ख़ास आकृति के लिए प्रसिद्ध है। इसके चारों तरफ घुमावदार 145 सीढ़िया बनी हुई है, जिसके सहारे यहां आने वाले पर्यटक नीचे से इसके ऊपरी सिरे तक जा सकते हैं। ऊपर चढ़कर पास ही बहने वाली गंगा नदी का दिल थामने वाला नज़ारा यहां से देखने को मिलता है। इस इमारत की ऊंचाई 29 मीटर (96 फीट) हैं, जबकि इसका आकार 125 मीटर है।
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गोलघर के बारे में जानकारी
गोलाकार होने की वजह से इमारत का नाम गोलघर पड़ा। साल 2017 में इसकी एक बार मरम्मत की गयी थी। गोलघर को 1979 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया। गुम्बदाकार आकृति के कारण इसकी तुलना 1627-55 में बने मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है। गोलघर के अंदर एक आवाज़ 27-32 बार प्रतिध्वनित ( दोबारा से आवाज़ का गूंजना ) होती है। यह अपने आप में अनोखा है। अगर आप ऐतिहासिक जगहों के घूमने के शौक़ीन हैं तो आप गोलघर घूमने आ सकते हैं।
गोलघर कैसे जाएँ?
पटना भारत के प्रमुख शहरों में एक हैं और बिहार की राजधानी भी है। इस कारण यहां आने-जाने की सुविधा अच्छी तरह उपलब्ध है। आप यहां ट्रेन, बस, या हवाई जहाज से आसानी से पहुँच सकते हैं। पटना रेलवे स्टेशन से गोलघर की दूरी सिर्फ 3.7 किलोमीटर है। यहां ठहरने के लिए भी सस्ते होटल मौजूद है।
टिकट – सिर्फ 5 रूपये है।
खुलने का समय – रोज़ाना सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक। यह सोमवार को बंद रहता है।
गोलघर का पता : Opp.-Govt. Girls High school, Ashok Rajpath, Patna, Bihar 800001
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