खबर लहरिया Blog Bankim Chandra Chattopadhyay: भारत के राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के बारे में जानें

Bankim Chandra Chattopadhyay: भारत के राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के बारे में जानें

‘आनंदमठ’ को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की बेहतरीन कृति में गिना जाता है। इसी उपन्यास से राष्ट्रगान वंदेमातरम को लिया गया है।

                                                                                              बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की फोटो/ सोशल मीडिया

Bankim Chandra Chattopadhyay: भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की आज जयंती है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्‍म 26 जून 1838 को बंगाल के उत्‍तरी चौबीस परगना के कंथलपाड़ा में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था। उनकी पढ़ाई कोलकाता के हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई थी। बताया जाता है कि उन्होंने अपने उपन्यासों के ज़रिये से देशवासियों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की चेतना का निर्माण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

ये भी देखें – “जो सबके लिए करता है, उसके पास ही वह नहीं”- समाज में निम्न माने जाने वाले लोगों की कविता

यहां से हुई लेखन की शुरुआत

बंकिम चंद्र ने अपने लेखन की शुरुआत अंग्रेजी उपन्यास-राजमोहन’स स्पाउस से की थी। उन्होंने बाद में अंग्रेजी उपन्यास को छोड़कर देशवासियों को आंदोलन हेतु उत्तेजित करने के लिए हिंदी की तरफ अपने लेखन का रुख कर लिया था।

इस उपन्यास से लिया गया राष्ट्रगान

जानकारी के अनुसार, ‘आनंदमठ’ को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की बेहतरीन कृति में गिना जाता है। इसी उपन्यास से राष्ट्रगान वंदेमातरम को लिया गया है। आनंदमठ में 1857 से पहले के संन्यासी विद्रोह का विस्तार से वर्णन किया गया है। संन्यासी विद्रोह 1772 से शुरू हुआ व लगभग 20 सालों तक चला।

सबसे पहले यहां गाया गया राष्ट्रगीत

1896 में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक अधिवेशन हुआ था। उस अधिवेशन में पहली बार वंदे मातरम गीत गाया गया था। कुछ ही समय में यह गीत हर एक देशभक्त के ज़ुबान पर था जो उन्हें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने की ताकत और ज़ज़्बा दे रहा था।

ये भी देखें – अयोध्या : समाज को आइना दिखाती अवधी भाषा की कविताएं

इन्होंने दी राष्ट्रगीत को धुन

बताया जाता है कि इस राष्ट्रगीत वन्देमातरम की धुन कुर रवींद्रनाथ टैगोर ने बनाई थी। आजाद भारत में 24 जनवरी, 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्जा दिए जाने की घोषणा की थी।

बंकिम चंद्र की प्रमुख रचनाएं

– प्रथम अंग्रेजी में प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ
– प्रथम बांग्ला उपन्यास दुर्गेश नंदिनी 1865 में
– सबसे चर्चित उपन्यास कपालकुंडला 1866 में
– मासिक पत्रिका बंगदर्शन का प्रकाशन 1872 में
– उपन्यास विषवृक्ष 1873 में
– राष्ट्रीय दृष्टिकोण आधारित उपन्यास आनंदमठ 1882 में
– अंतिम उपन्यास सीताराम 1886 में

अन्य रचनाएं : मृणालिनी, कृष्णकांतेर दफ्तर, इंदिरा, राधारानी, देवी चौधरानी और मोचीराम गौरेर आदि शामिल है। इनके अलावा कुछ और प्रमुख गीत और कविताएं भी लिखीं।

1894 में दुनिया को कहा अलविदा

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 8 अप्रैल, 1894 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वहीं उनके गीतों और उपन्यासों ने देशवासियों के अंदर जो देशभक्ति की आग जलाई, अगर आज भी उनकी रचनाओं को पढ़ा जाए तो व्यक्ति आज भी वह जोश और ऊर्जा महसूस करेगा जो आंदलोन के समय कई देश भक्तों ने महसूस की थी।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke