खबर लहरिया क्राइम बाँदा : त्योहारों पर जुआ खेलने का शौक महिलाओं को डाल रहा आफत में

बाँदा : त्योहारों पर जुआ खेलने का शौक महिलाओं को डाल रहा आफत में

बुंदेलखंड जुआ और दारू के नाम से काफी फेमस माना जाता है। दिवाली का त्यौहार जैसे-जैसे नजदीक आता है लोग रात दिन जुआ खेलते हैं और लाखों रुपए का सट्टा लगाया जाता है और इसके चलते उन परिवारों के घरों की आर्थिक स्थिति खराब होती है और हिंसा भी बढ़ती हैं।

Banda news, hobby of gambling on festivals is putting women in trouble

जुए की लत के चलते आदमी महिलाओं के ज़ेवर बेच देते हैं और सब कुछ सट्टे में लगा देते हैं

बांदा जिले के बड़ोखर खुर्द गांव में तो जम कर जुआ खेला जाता है। यहाँ की महिलाओं ने आहत होते हुए बताया कि उनके गांव की बहुत ही बुरी स्थिति है। दिवाली में यहां लाखों रुपए का जुआ होता है। जिसके चलते उनके आदमी जेवर गिरवी रख देते हैं घर की गृहस्थी बेच देते हैं और अगर महिलाएं मना करती हैं तो उनके साथ मारपीट करते हैं। यहां तक कि बड़े-बड़े लोगों से हज़ारों का कर्ज लेकर भी जुआ खेलते हैं।

ये भी देखें – किसान हल-बैल की परंपरागत खेती को क्यों मानते हैं सबसे बेहतर?

वो बताती हैं कि यहाँ गांव के ज़मींदार और बाँदा के कुछ ऐसे लोग भी आते हैं जो उन गरीब मजदूरों को पैसा देकर के जुआ खिलाते हैं। जीत गए तो ठीक है हार गए तो चला गया और इससे उनके यहां बहुत हिंसा बढ़ती हैं। धनतेरस से भाईदूज तक इस खेल को ज्यादा महत्व दिया जाता है। अपना भाग्य आजमाते हैं ज्यादा से ज्यादा पैसा जीतने की कोशिश होती है। 24 घण्टा रातों दिन इस मौके पर जुआन होता है। और जब यह जीत या शौक महिलाओं को आफत में डाले तब यह बड़ी समस्या बन जाती है।

Banda news, hobby of gambling on festivals is putting women in trouble

                             कई लोग गरीब मजदूरों को पैसा देकर के जुआ खिलाते हैं

कुछ महिलाओं ने बताया कि यहां का जो मजदूर है इसीलिए ईट भट्ठा में ज्यादातर पलायन करता है क्योंकि बड़े लोगों से कर्ज लेकर खेलते हैं, सामान गिरवी रख देते हैं और भट्टे वालों से पेशगी लेकर भी जुआ खेल लेते हैं। फिर उस कर्ज को भरने के लिए परिवार सहित भट्टों में जाना पड़ता है। गांव में कई बार पुलिस आती है लेकिन कुछ नहीं होता, बाहर ही जासूस लगे रहते हैं जिसके चलते गांव के अंदर तक पुलिस भी नहीं आ पाती। फोन द्वारा सब पता चल जाता है अगर कभी कभार आई भी तो जिस जगह पर जुआ होता है वह एरिया रेलवे पटरी के पास बसा हुआ है जो पटरी नाक के खेतों और झाड़ियों में लोग छुप जाते हैं जिसके चलते पुलिस भी कुछ नहीं कर पाती है।

ये भी देखें – अयोध्या के जिला अस्पताल में सुविधा न होने के कारण तड़प रहें लावारिस मरीज

महिलाओं ने यह भी बताया कि यहां की सारी महिलाएं बांदा में मजदूरी करने जाती हैं और जब शाम को वहां से आती है तो आटा भाटा लेकर आती हैं तब जाकर बच्चों का पेट पालते हैं उसमें भी जो बचा तो शाम को पति छीन ले जाते हैं। नहीं देती तो मारते पीटते हैं इसलिए उनको अपना शरीर बचाना है मार से बचना है तो मजबूरी है कि पैसा देना पड़ता है।

जुए के इस खेल से बड़ोखर खुर्द की महिलाएं सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रही हैं। त्योहार के नाम पर जुआ खेलने की इस प्रथा पर क्या रोक लगनी चाहिए? हमें कमेंट करके ज़रूर बताइए।

ये भी देखें – कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे, जानें उनके राजनीतिक सफर के बारे में

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our   premium product KL Hatke