बांदा। बरसात देर से शुरू होने की वजह से बुंदेलखंड में पहले सूखे के कारण बुआई लेट हो गई। जिससे खरीफ की फसलें ज्वार,बाजरा तिल, मूंग और अरहर किसान बहुत ही कम मात्रा में बो पाए थे। फिर लगातार हुई बारिश से जो थोड़ी बहुत फसलें बोई थी वह सड़ गई, और अब रबी की फसल भी लेट हो रही है। जबकि इस समय चने की बुवाई हो जाती थी। इसके लिए सरकार द्वारा सर्वे कराया गया, लेकिन सरकारी मानकों के अनुसार खरा नहीं उतरा। कृषि और राजस्व विभाग की ओर से किए गए संयुक्त सर्वे में यहां लगभग 10 से 15 फीसदी सूखे का नुकसान बताया गया है। यह सर्वे मुख्यमंत्री के आदेश पर दोबारा किया गया है। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
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किसानों के अनुसार आधे से ज़्यादा खेती परती पड़ी है। जो थोड़ी बहुत फसलें बोई गई थी वह बारिश में सड़ गई है। सरकारी मानकों के अनुसार 33 फीसदी से कम नुकसान होने पर किसानों को फसल बीमा व कृषि अनुदान का लाभ नहीं मिलता है, जबकि किसानों के हिसाब से इससे भी ज़्यादा सूखे और बारिश से नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान दोनों तरह की मदद से वंचित हो गए हैं।
किसानों का कहना है कि बुंदेलखंड में सूखे की स्थिति बेहद गंभीर रही है। बारिश समय से न होने से बड़ी संख्या में किसान खरीफ की बुआई नहीं कर पाए हैं। सरकार द्वारा जो सूखा का सर्वे कराया गया है वह उनके अनुसार ठीक नहीं हुआ। अगर यही सर्वे खेतों में जाकर किया जाता और देखा जाता तो हो सकता था कि पता चलता कि कितनी खेती बोई नहीं गई। वहीं जो फसलें थोड़ी बहुत बोई गयी थी वह बारिश में किस तरह से नुकसान हुई है। किसानों ने बताया कि वह ज़्यादातर कृषि पर ही निर्भर रहते हैं। उनके पास और कोई दूसरा चारा नहीं होता लेकिन जब किसानी में ही कुछ पैदावार नहीं होती तो साल भर के खर्च की चिंता बहुत ज़्यादा सताती है।
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इस साल वह किस तरह से अपना परिवार पालेंगे, क्या करेंगे इसकी चिंता अभी से उनको सता रही है क्योंकि पहले सूखे के कारण बुवाई नहीं कर पाए तो आधे से ज़्यादा खेती परती पड़ी है। जो बुवाई की थी वह बहुत ज़्यादा बारिश होने से सड़ गई है। देर तक बारिश होने के कारण रबी की फसल के लिए भी अब लेट हो रहा है। अब तो किसान लोगों से पूछते हैं कि आप के फोन में क्या बता रहा है अब बारिश तो नहीं होनी।
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