रिसौरा ग्राम पंचायत की अस्थायी गौशाला में 13 जनवरी को एक गोवंश की मौत हो गई। जब लोगों ने गोवंश को देखा तो कुत्ते उसके मांस को नोच रहे थे। वहीं तरखरी ग्राम पंचायत में तीन गोवंश बीमार पाए गए। यह आंकड़े इससे भी ज़्यादा है।
यूपी: कड़ाके की ठंड गोवंश के मौत की वजह बनी हुई है। इसका मुख्य कारण नाम की गौशालाओं में अव्यवस्था व गैर-ज़िम्मेदारी पाई गई है। खबर लहरिया की रिपोर्टर गीता देवी की रिपोर्ट के अनुसार,बांदा जिले के कई अस्थायी गौशालाओं में रह रहे गोवंश इस सर्दी में गौशाला के अंदर रहते हुए भी खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। खाने में भी उन्हें सिर्फ धान का पैरा दिया जाता है। ये हाल ग्राम पंचायत रिसौरा और ग्राम पंचायत तरखरी का है।
कहने को, गोवंश की रक्षा के लिए गौ रक्षा समिति का गठन तो किया गया है जो गौशालाओं में जाकर वहां की व्यवस्था की चेकिंग करती है। गायों की मौत गठित समिति व उसके कार्यों पर भी सवाल खड़ा करती है।
शिकायत करने पर भी अधिकारी नहीं करते कार्यवाही
रिसौरा ग्राम पंचायत की अस्थायी गौशाला में 13 जनवरी को एक गोवंश की मौत हो गई। जब लोगों ने गोवंश को देखा तो कुत्ते उसके मांस को नोच रहे थे। वहीं तरखरी ग्राम पंचायत में तीन गोवंश बीमार पाए गए। यह आंकड़े इससे भी ज़्यादा है।
खबर लहरिया ने इस बारे में विश्व हिन्दू महासंघ गौरक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया से बात की। उनके अनुसार, उन्होंने 13 जनवरी को महुआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली दोनों ग्राम पंचायत रिसौरा और तरखरी में संचालित अस्थायी गौशालाओं का अपनी टीम के साथ दौरा किया था। वहां गौशाला के नाम पर सिर्फ छप्पर है। पानी की टंकी की सप्ताह से सफाई नहीं की गई है। खाने में भी गोवंश को सिर्फ धान का पैरा खिलाया जाता है।
उनके अनुसार, वह गौशालाओं में अव्यवस्था को लेकर उच्च अधिकारियों को कई बार अवगत करा चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
हमारी तरफ से पूरी व्यवस्था है – तरखरी प्रधान
इस मामले को लेकर तरखरी गांव की प्रधान शशि कला के पति बाला राम सिंह का कहना था कि गोवंश के खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में धान का पैरा उपलब्ध कराया जाता है। वहीं जो गोवंश बीमार थे, उन्हें डॉक्टर से दिखाया गया था। बात रही गंदगी की तो वह गौशाला के पास सीसी पड़ने की वजह से है।
आरोप लगाते हुए कहा कि गौ रक्षा समिति के अध्यक्ष सोनू करवरिया ने अपने हिसाब से लिखकर दे दिया है। उन्होंने अपनी तरफ से पूरा व्यवस्था की हुई है सिर्फ हरा चारा नहीं है क्योंकि उनके यहां जगह की कमी है।
ठंड के दौरान गौशालाओं में देख-रेख की कमी व अव्यवस्थाओं की वजह से गायों की होने वाली मौत की ज़िम्मेदारी कोई नहीं लेता। हर साल यह तस्वीर दोहराई जाती है और रोकथाम के नाम पर सिर्फ कोई समिति गठित कर दी जाती है। इसके बाद भी ठंड और अव्यवस्था से गोवंश की हो रही मौतों के आंकड़े में कोई कमी देखने को नहीं मिलती।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है।
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