बाँदा के त्रिवेणी गांव में फैली डिप्थीरिया बीमारी जिसे आम भाषा में गलाघोंटू बीमारी भी कहते हैं। इस बीमारी से अबतक गाँव में 3 बच्चों की मौत हो गयी है और कई बच्चे कानपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं। गांव में सबसे पहले अंशुल नाम के 3 वर्षीय बच्चे में इस बीमारी के लक्षण पाए गए थे। अंशुल के माँ-बाप बताते हैं कि उसे पहले बुखार हुआ और फिर गला सूजने लग गया, जिसके बाद वो लोग पहले उसे बाँदा के सरकारी अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां के इलाज से कोई फायदा न होने के कारण वो लोग उसे कानपुर ले गए। जहाँ 9 अगस्त को बच्चे की मौत हो गयी।
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इधर गांव में तब तक 2 बच्चे और इसी तरह के लक्षण वाले बुखार से ग्रसित हो गए। जब उन दोनों बच्चों को कानपुर में भर्ती कराया गया तो पता चला वो भी डिप्थीरिया के शिकार हो चुके हैं। लाखों रूपए खर्च करने के बावजूद भी दोनों ही बच्चों को नहीं बचाया जा सका। गांव में एक दो और मामले इस बीमारी के सामने आये हैं जिसके बाद प्रशासन ने इस गांव में डिप्थीरिया के प्रकोप की घोषणा कर दी है।
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधा नहीं प्रदान कराई जाती है, जिसके चलते यहाँ ऐसा हुआ है। गांव में डिप्थीरिया के बढ़ते मामलों को मद्देनज़र रखते हुए प्रशासन की तरफ से सफाई अभियान भी शुरू करवा दिया गया है।
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स्वास्थ्य विभाग, बांदा के सीएमओ अमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस बीमारी की जानकारी मिलते ही गाँव में बचाव के लिए कार्य शुरू करवा दिया गया है। गांव में टीकाकरण का कैंप लगवाया गया है जहाँ 15 साल तक के बच्चों का टीकाकरण कराया जा रहा है। साथ ही गांव में सफाई अभियान भी शुरू करवा दिया गया है।
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