खबर लहरिया Blog कबाड़ के कलाकार मिलिए मुन्नी लाल सैनी से

कबाड़ के कलाकार मिलिए मुन्नी लाल सैनी से

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड कहने को तो सबसे पिछडा इलाका है लेकिन कलाकरी और मनोरंजन के मामले के मामले में काफी आगे है| यहाँ बहुत से एसे लोग हैं जो शिक्षित न होने के बाद में अपने सपने को साकार कर ऊंचाई छूने की कोशिश को साकर कर रहे है|  एसे ही एक  कलाकार हैं कबाड़ के  कलाकार हैं

बांदा जिले के नरैनी ब्लाक के छोटे से गांव कटरा कालिंजर के रहने वाले मुन्नी लाल सैनी की जिन्होने अपने हुनर और जज्बे के साथ एक ऐसी कला दिखाई जिसको देखकर गांव के तो गांव के आस-पास के इलाके और बड़े-बड़े शहरों के लोग भी दंग रहे गये हैं|

 

मुन्नी लाल सैनी बताते है कि उनकी उम्र 55 साल है| वह एक अनपढ़ और गरीब व्यक्ति थे अपनी जीवका चलाने के लिए कोई साधन और रास्ता नहीं था और ये भी उनके सामने चुनौती थी की कुछ करके आगे बढना है क्योंकि आगे के लिए भी कोई सहारा नहीं है| एक दिन उनके दिमाग में कुछ नए हुनर का ख्याल आया और रात में सोते समय वे सोचने लगे की क्यों न वह कबाड़ में पड़े समान का उपयोग करते हुए कुछ नई चीजें बनाए जिससे उनकी पहचान भी होगी और जीवका भी चलेगी और फिर उन्होंने कबाड़ का कुछ सामान इकट्ठा किया जंगल से खराब पड़ी लकड़ी बीनी और शुरू करदी अपनी ये मनमोहक कला। आज वह खुद एक कलाकार है और 10 लोगों को अपनी ये कला सिखाई भी है| साथ ही साथ इसी कला के तहत वह आजीविका मिशन में भी जुड़े है| इस मिशन से जुड़ने से उनको यह फायदा हुआ कि दूर-दूर से उनको आर्डर मिलने लगे और वह उन ऑडर को पूरा करके वहां तक पहुंचाते हैं| जिससे उनको डबल फायदा होता है क्योंकि अजिवका मिशन से दुर के आर्डर पुरा करके ले जाने का किराया खर्चा मिलता है और जो लोग खरीदते है वह अलग जिससे वह बहुत खुस है और जो असमर्थ महसूस कर रहे थे अनपढ और पैसा की वह भी महसूश नही होती|

वह कब्बाड और लकड़ियां बीन कर जंगल से लाते जो और उनसे वह कई तरह की प्राकृतिक चीजें बनाते हैं जैसे कि पेड़ पक्षी, आकृतियों को एक चित्र के रूप में बनाते हैं और पुराने बर्तन में भी अच्छी डिजाइन बनाते है, और बेंचते हैं| जिससे दुर दुर के आर्डर मिलते है और उनकी जीवका भी अच्छे से चलती है और वह बहुत खुश है|

लेकिन हां कुछ चीजें हैं जो बाजार से भी उनको खरीदनी पड़ती हैं तो छोटे-मोटे दामों में मिल जाती हैं और वह लाते हैं जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण बहुत अच्छे से कर रहे हैं वह दोनों पति-पत्नी इस काम को करते हैं|उनका कहना है कि उनके परिवार में वह दोनों पति-पत्नी ही है और कोई नहीं है जब वह काम करते हैं तो और बाहर के आडर आते हैं बाहर के अॉडर अकेले 1 और 2 दिन में तैयार करना मुश्किल होता है| इससे उनकी पत्नी भी उनका काफी सहयोग करती है और साथ में जब कहीं पर सेल में जाते हैं तो साथ में जाते हैं उनकी काफी पहचान हो गई है और उन्होंने इस कला का नाम रखा है मैं कालिंजर हूं तो यह बहुत खुशी की बात है और इसको वह बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं कि वह इतना आगे तक पहुंच गए हैं ये एक सीख लेने वाली बात है कि अगर हमारे पास शिक्षा और पैसा नहीं है तो और भी हम कुछ कर सकते हैं ऐसी बात नहीं कि हमारे पास शिक्षा नहीं है पैसा नहीं है तो हम कुछ कर नहीं सकते तो यह सीख लोग कलिंजर के मुन्नी लाल सैनी से ले और आगे बढे|