खबर लहरिया खेती बाँदा- इंजेक्शन क्या देता है: जहर या ज़िंदगी?

बाँदा- इंजेक्शन क्या देता है: जहर या ज़िंदगी?

केमिकल और एग्जेक्शन  ,पोषण और स्वास्थ्य की बात आती है तो ताजे फलों और सब्जियों की ओर सबसे पहले ध्यान जाता है। मौजूदा समय बाजार में आम की अलग-अलग किस्में आकर्षित जरूर कर रही हैं। लेकिन ज्यादातर फल केमिकल से पके होने के कारण यह लोगों को गंभीर बीमारियों की चपेट में ले रहा है।

जहरीली सब्जियों और फलों का सेवन करना आम आदमी के लिए मज़बूरी बन गया है

बाज़ार में ठेले पर अलग अलग किस्म की आकर्षित करती सब्जियां शारीर के लिए पोषक तत्तों से भरपूर हैं या फिर मानक से अधिक रासयनिक उर्वरकों के कारण शरीर के लिए घातक

जिला बांदा| आज कल जिस तरह से सब्जियों का चलन जोरो इतना पहले नहीं था पहले लोग धी दूध दलहन और  देशी खादे से उगाए मोटे आजान का बिटामिंन पौष्टिक आहार खाते थे और देसी खाद की उगाई हुइ सब्जियां खाते भी खाते थे जो से जो शुद्ध और बहुत ही स्वादिष्ट पौष्टिक ताकतवर हुआ करती थी बिमारी में डाक्टर भी हरी सब्जियों का सेवन करने को कहते थे लौकी तरोई और पालक मुली तो हमेशा खाने की सलाह देते थे|

आज ज्यादा खपत और आमदनी के लिए सब्जी व्यापारी जो सब्जी उगाते हैं वो बहुत तरह की दवाइयां केमिकल और एग्जेक्शन लगाकर उगा रहे हैं|

लोगो का कहना है की आज कल जो सब्जी उगती है वह खाद और केमिकल और एग्जेक्शन से उगाई जाती है जो जल्दी तैयार होकर मारकेट में आने लगती है| जिससे पेट तो भरता है पर पौष्टिक नहीं होती हैं|वायु प्रदूषण का कारण बन गई, जिला फैजाबाद की केमिकल फैक्ट्री

 कैमिकल से उगाई ये सब्जिया कितना नुक्सान दे है लेकिन कुछ लोगो को जानकारी है फिर भी खा रहे है कुछ अनजान हैं वो खा रहे हैं पर इससे किस तहर के नुक्सान होगे ये उनको फता ही नहीं है|

हर तरह से बदलाव है जल्दी उगाई गई सब्जी में कोई टेस्ट नहीं होता देखने में बड़ी बेरौनक होती है अंदर से खोखली लेकिन क्या करें सब्जी तो सबको खानी है हर रोज़ इस दौर में सब्जी का उपयोग भी ज्यादा हो रहा है नाश्ते में सब्जी टिफिन में सब्जी शाम में सब्जी क्योंकि हर रोज दाल और नमक रोटी भी नहीं खाई होती सब्जी तो कैसी भी हो लेकिन इज कल फैसन में चल रही है|