खबर लहरिया ताजा खबरें बलात्कार जैसे मामले पर राजनीति सही है? देखिए राजनीति, रस, राय में

बलात्कार जैसे मामले पर राजनीति सही है? देखिए राजनीति, रस, राय में

बलात्कार पर राजनीति :हैदराबाद और उन्नाव रेपहत्या कांड में सड़क से संसद तक राजनीति इस कदर शुरू है कि सभी पार्टी अपने को लोगों के सामने अच्छा साबित करने में जुट गईं। पहले श्रंद्धाजलि का दौर चला था और अब धरना प्रदर्शन करके न्याय की गुहार लगाना शुरू कर दिया।

राजनीति के नामचीन चेहरे मेनका गांधी, जया बच्चन, मायावती, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है। अखिलेश यादव तो संसद के बाहर अनशन में बैठा गए।

किसी के मुंह यह सुनने को नहीं मिला कि बहुत हो गया धरना प्रदर्शन, बहुत हुआ कैंडल मार्च, बहुत हुई बयानबाजी। अब बस सबको मिलकर ऐसे समाज का निर्माण करना है जो अपराध का नामोनिशान मिटा दे।

अपने हित के लिए सब बलात्कार पर राजनीति  रहे हैं।

अगर मैं शोसल मीडिया की बात करूं तो वहां क्या हो रहा है। एक तरह से ऐसे लोगों की भीड़ जो गलत काम के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। वहां पर मन की भावनायें और क्रूरता भी दिख जाती हैं।

आप देखेंगे कि किसी भी मुद्दे पर एक समुदाय के लोगों द्वारा दूसरे समुदाय के लोगों पर जानबूझ कर कीचड़ उछाला जाता है। नफरते और जहर घोला जा रहा है। इतना फेक चलाया जाता है कि जब तक सच्चाई पता चलती है तब तक लोगों को सच दिखा पाना मुश्किल होता है।

शोसल मीडिया के प्लेटफार्म पर सबसे ज्यादा यूथ है। यूथ देश का भविष्य होता है। जिस प्रवृत्ति में ढलेगा भविष्य में उसी समाज का तो निर्माण करेगा। हम हमेशा, पुलिस, सरकार पर सवाल उठाते हैं पर इससे ज्यादा जरूरत हैबलात्कार केस में लिखा मारपीट का मुकदमा

शोसल मीडिया पर सवाल उठाने की, कार्यवाही करने की। सोसल साइबर क्राइम पर कार्यवाही का कानून तो है पर कार्यवाही बहुत ही कम होती है। जबकि क्राइम का एक बड़ा तबका शोसल मीडिया भी है। आइये बात करते हैं उन्नाव जिले की।

एनडीटीवी इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि 2019 में जनवरी से नवंबर तक में 86 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं।

ये आंकड़े बता रहे हैं कि स्थिति कितनी भयावह होती जा रही है। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, कानून मंत्री बृजेश पाठक और भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज सहित प्रदेश के कुछ शीर्ष नेता उन्नाव से ही आते हैं।

एनकाउंटर करने वाली पुलिस जो अपने लिए वाहवाही लूटी रही है क्या इनके खिलाफ़ भी ऐसे कदम उठाएगी? क्या मौजूद सरकार जो गला फाड़ फाड़ के कह रही है कि फाँसी दी जाएगी बलात्कारियों को तो इनको भी फांसी देने का दम रखती है, शायद नहीं। क्योंकि ये और भी नामचीन लोगों के नाम गिना देंगे जो छिपे बैठे हैं।

ऐन्काउंडर करके मानवाधिकार का हनन तो उन लोगों का होगा जिनको कोई जानता नहीं है। उनके लिए कोई आवाज नहीं उठा सकता। क्योंकि उनके खिलाफ शोसल मीडिया में जहर जो फैला दिया गया है।

महिलाएं और लड़कियां न्याय चाहती हैं पर किसी का संबैधानिक अधिकार छीनकर नहीं। उनको न्याय देने के लिए कानून को हाथ में लेकर अपने लिए वाहवाही न लूटे सरकार और पुलिस। इस तरह से सरकार न्याय देने नहीं अधिकार छीनने और अपनी वाहवाही का काम कर रही है। सवाल उठता कि आखिरकार सरकार शोसल क्राइम में रोक लगाएगी?

बलात्कार जैसे मुद्दे में राजनीतिक रोटियां सेंकने से बचेगीं पार्टियां। बलात्कार पर राजनीति  चेहरो के ऊपर भी अदालत कभी कार्यवाही कर पायेगी? इन्ही सवालों और विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नायें मुद्दे के साथ, तब तक के लिए नमस्कार।