बांदा ब्लॉक महुआ ग्राम पंचायत महुआ मांजरा राजाराम का पुरवा लगभग 200 साल पुराना है। जहां पर 400 आबादी होने के बावजूद भी आज भी राजाराम के पुरवा के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं वहाँ के लोगों का आरोप है कि 40 बच्चों में 20 बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं।
कोई भी स्कूल नहीं है अगर महुआ पढ़ने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को भेजते हैं। तो स्कूल के रास्ता में मेन रोड भी पड़ती है
लगभग 3 किलोमीटर दूर स्कूल हैं और दूसरा स्कूल जो है वह भी इतना ही दूर है इस कारण से छोटे बच्चों को स्कूल जाने में बहुत समस्या होती है।इतनी बार मांग करने के बावजूद भी आज भी समस्या का हल नहीं हुआ है।
स्कूली शिक्षा के लिए शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं पर आज भी ऐसे गांव हैं, जहां के बच्चे किताबी ज्ञान पाने के लिए मोहताज हैं। और शिक्षा से वंचित हैं
शिक्षित समाज बनाने के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा देते हुए सर्व शिक्षा अभियान से लेकर मुफ्त पोशाक, पाठ्य-पुस्तक, मध्याह्न भोजन की व्यवस्था है। लेकिन इस गाँव में ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने विद्यालय का मुंह तक नहीं देखा है। इसके पीछे जो मूल कारण है वह है गाँव में विद्यालय न होना।
विद्यालय इस गाँव से लगभग 3 से 4 किलोमीटर दूर है जहाँ ये बच्चे जाते-जाते थक जाते हैं। एक दिन गये दुसरे नहीं नहीं जा पाते। बच्चों ने बताया कि हप्ते में तीन दिन जाते हैं तो तीन दिन आराम करते हैं स्कूल पहुचने से लेट हो जाता है तो मैडम बोलती हैं नाम काट दिया जाएगा ऐसे में कैसे विद्यालयललितपुर: कच्ची सड़क और बरसात होने से बच्चे नहीं जा पा रहे स्कूल जाये?
चप्पल नहीं होता तो पैरों में चलते चलते छाले पड़ जाते हैं। पानी में घुसकर जाना पड़ता है इन सब समस्याओं की वजह से देर हो जाती है। जब लड़कियों से पूछा गया कि तुम क्या करती हो पढने नहीं जाती तो? उन्होंने बोला भैस चराते हैं या घर के काम करते हैं
ऐसे में कैसे बच्चों का भविष्य सुधरेगा? क्या यही है सब पढ़े सब बढे का इतिहास? आखिर यहाँ पर अधिकारी सर्वे क्यों नहीं करते जहाँ बच्चे स्कूल न जाकर तास खेल रहे या भैस चरा रहे हैं।उनके भविष्य में तो अँधेरा ही अँधेरा है क्या उजाले के लिए प्रशासन कोई उपाय ढूंढेगा?