खबर लहरिया Blog आम या नीबूं नहीं, यहाँ शौक से खाया जाता है ‘बांस का अचार’

आम या नीबूं नहीं, यहाँ शौक से खाया जाता है ‘बांस का अचार’

बांस का अचार (Bamboo Pickle) करील बांस की ताजा कोपलों से बनता है जो बेहद ही कोमल होती हैं। यानी जो ताजा उगे बांस के पेड़ होते हैं। बांस के अचार को एकबार बनाने के बाद पूरे सालभर तक खाया जा सकता है।

Baans Ke Kapolo Ka Achar

                                                                                         बांस के कोपले की तस्वीर जिससे अचार बनाया जाता है

“छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सब्जी मंडी में जब बांस को बिकते देखा तो हमारे लिए यह समझ पाना मुश्किल था कि वह बांस है जो खाया जाता है।”

बांस एक ऐसा पौधा है जो भारत में लगभग सभी जगहों पर आसानी से मिल जाता है। गांव में इसके पेड़ अधिक दिखाइ देते हैं, लेकिन आप में से बहुत से लोग इस बात से अनजान होंगे कि बांस को खाया भी जाता है। अब आपका ये सोचना कि इतने सख्त और मजबूत बांस को कैसे खाया जा सकता है? तो आप गलत नहीं है। आप जो लंबे-लंबे बांस देखते हैं, उन बांस के औषधीय गुण अनगिनत हैं, जिनसे कई लोग अनजान हैं। अपनी इस सोच को अब विराम दीजिये, चलिए जानते हैं की बांस के कौन-कौन से भाग उपयोगी हैं और क्यों?

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बांस क्या है?

बांस ऐसा पौधा है, जिसे न तो अधिक हवा-पानी की जरूरत होती है और न सूर्य की रोशनी की। पहले यह खेतों की मेड़ व ऊसर-बंजर भूमि पर लगाया जाता था, क्योंकि यह हर साल बढ़ता जाता है। चाहे वह लम्बाई हो या उसकी जड़ों से निकल रही कोपलों का आकार। मगर अब इसकी खेती होने लगी है। यह सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाला पौधा है। गाँव में इसे गरीब की लाठी भी कहा जाता है। बूढ़े-बुजुर्ग, चरवाहे (जो जानवर चराते हैं) राहगीर, रात में जानवर हांकते किसान सबके हाथ में आपको बांस की आती देखने को मिल जायेगी।

बांस में पाए जाने वाले पोषक तत्व

बांस के कोंपलों में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन ए, ई, बी6, मैग्निशियम, कॉपर जैसे पोषक तत्व होते हैं। जिसके कारण आयुर्वेद में बांस को कई बीमारियों के लिए उपचार के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है।

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बांस का पौधा क्या लाभ देता है?

– बांस पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करता है क्योंकि यह एक प्राकृतिक वायु शोधक है।
– बांस के पौधे उन दिशाओं में आसानी से उगाए जा सकते हैं जहां कम और अप्रत्यक्ष प्रकाश हो।
– इस पौधे के तने घर की किसी भी शैली की सजावट को आकर्षक रूप देते हैं।
– बांस की चारपाई, खिड़की, जानवरों के लिए बनाई गई टोकरी, शादी-विवाह में मिलने वाली आकर्षक डलियां भी बांस से ही बनती हैं।
-गांव में जब आप टहलते हुए निकलेंगे तो आप देखेंगे की बांस की सुन्दर-सुन्दर झोपड़ी भी बनी होगी।
– खेतों में किसान मचान भी बांस का बनाते हैं।
– अन्ना जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए चारों तरफ से खेत की घेराबंदी भी बांस और रस्सी से की जाती है।
-सीढ़ी बनाने से लेकर पुल बनाने तक में बांस का इस्तेमाल किया जाता है।

बांस का स्वादिष्ट अचार

बांस का अचार (Bamboo Pickle) करील बांस की ताजा कोपलों से बनता है जो बेहद ही कोमल होती हैं। यानी जो ताजा उगे बांस के पेड़ होते हैं। बांस के अचार को एकबार बनाने के बाद पूरे सालभर तक खाया जा सकता है। बांस का अचार छत्तीसगढ़ के लोगों के प्रिय अचारों में से एक है। इसे यहाँ के लोग बहुत चाव से खाते हैं।

मुँह के छालों से राहत दिलाये बांस

अगर पौष्टिकता की कमी या किसी बीमारी के कारण मुँह के छालो से परेशान हैं तो बांस के पेस्ट का इस तरह से इलाज करने पर लाभ मिलता है। वंशलोचन को शहद में मिलाकर मुंह में लेप करने से मुंह के छाले मिटते हैं।

अगर आप मुंह के छालों से परेशान हैं तो बांस का पेस्ट लगाने से आपको आराम मिल सकता है। वंशलोचन (बांस की कुछ नस्लों के जोड़ों से मिलने वाला एक सफ़ेद पदार्थ होता है।) को शहद में मिलाकर मुंह में लेप लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

कान दर्द से दिलाए राहत

कान दर्द में भी बांस की कोंपलों को फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, इसमें एनाल्जेसिक प्रभाव होता है, जो दर्द को कम कर सकता है। इसी वजह से माना जाता है कि कान दर्द को कम करने में बांस की कोपलें काफी मदद कर सकती है। ध्यान देना जरुरी है की कान में दर्द होने के कई कारण हो सकते है, जैसे – कान में इंफेक्शन, दांत में इंफेक्शन, जबड़े में दर्द। इसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

माहवारी के लिए फायदेमंद है बांस

दादी को अक्सर अहते सुना था अगर किसी लड़की, महिला को महीना (पीरियड) नहीं आ रहा है तो बांस की मुलायम पत्ती को पीस कर पानी में पीने से पीरियड आ जाता है। यह तो हो गई खाने और स्वास्थ्य से जुड़ी बातें। अब हम जान लेते हैं की बांस का और क्या उपयोग होता है।

पेड़ एक काम अनेक

बांस की अनेको चीजें बनती हैं। छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले बांस से बने सूप का अपना ही महत्व है। बांस को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है। शादी-विवाह, मंदिर हर जगह इस्तेमाल होने वाली टोकरी, डलिया बांस की ही होती है। बांस पर गीत भी बना है। हरे-हरे बांस की मड़उआ देखते सुहावन लागे हे ….

डलिया बनाने वाले की बात करें तो इसे बनाने वाले लोग भी कुछ खास जाति के होते है जिनका परम्पारिक रोजगार रहा है। जिन्हें समाज के लोग अछूत मानते हैं, भेदभाव करते हैं उन्हें छूते नहीं है। यह कलाकार होते हैं बंशकार या जमादार, ऐसी कलाकारी अन्य जातियों में नहीं है लेकिन कला को नहीं यह समाज जाति को ज्यादा महत्त्व देता है।

बांस की सब्ज़ी, चिकन-मटन को करे फेल

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सब्जी मंडी में जब बांस को बिकते देखा हमारे लिए ये समझ पाना मुश्किल था की यह सब्जियों के साथ क्या रखा है। लोग खरीद भी रहे हैं,जानने के लिए सब्जी बेच रही कुछ महिलाओं से पूछा की ये कौन सी सब्जी है? सब्जी बेचने वाली कंचन ने बताया कि इसे बांस की करील कहते हैं। इसे साल में दो बार जरूर खाना चाहिए। इसे खाने के बहुत सारे फायदे भी बताये।

वही एक दादी ने बताया जब बादल गरजते हैं तब बांस पनपते हैं। सुबह जाकर देखो तो आठ-दस इंच ऊपर आ गये होते हैं। बांस की मसालेदार सब्जी बनती है। जैसे लोग चिकन-मटन बनाते हैं उसी तरीके से इसकी सब्जी भी बनाते हैं।

सबसे पहले बांस के टुकड़े करके उसे उबाल लें। मसाला भून कर करैल डाल दें। बांस को कद्दूकस कर लें फिर अपने स्टाइल में बना सकते हैं। ध्यान रखें जो महिलाएं गर्भवती हैं, बच्चे को दूध पिला रही हैं या जो थाइराइड के पेसेंट हैं वो बांस की सब्जी न खाएं उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है।

बांस की सब्जी पहले छत्तीसगढ़ के जनजाति ही खाते थे। इसका कारण था की जंगल ही उनका एकमात्र रोजगार का साधन था। इतने पैसे नहीं होते थे की वो सब्जी खरीद कर खा सकें या जंगल के बीच का लंबा रास्ता तय करके दूर कस्बे, या शहर जाकर अपने खाने का समान ला सके। इसलिए वह इन्हीं सब चीजों को अपना भोजन बनाने लगे। लेकिन जब इनके गुण शहरी लोगों को पता चला तो (करील) बांस के कोपल की मांग बढ़ने लगी। सब्जियों के मुकाबले करील की कीमत भी ज्यादा हो गई।

करील तोड़ने पर भरना होगा जुर्माना

आज के समय में बांस का उद्योग काफी ज्यादा होने लगा है इसलिए छत्तीसगढ़ के फॉरेस्ट विभाग ने करील पर प्रतिबंध लगाया है। रोक लगाने का उद्देश्य है की जंगल हराभरा बना रहे। उनका मानना है करील तोड़ने से बांस नहीं हो पाएंगे और जंगल की खूबसूरती ख़तम हो जायेगी। इसलिए छत्तीसगढ़ वन विभाग कर्मचारियों ने करील पर न सिर्फ रोक लगाई बल्कि जो करील काटते या तोड़ते पकड़ा गया तो उस पर कानूनी कार्यवाही भी की जाती है।

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी द्वारा की गई है। 

 

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