नमस्कार दोस्तों, मैं मीरा देवी। अपने शो राजनीति, रस, राय के साथ फिर से हाजिर हूं। आज बात करेंगे माफिया से नेता व गैंगस्टर बने अतीक अहमद और उमेश पाल हत्याकांड की। साथ ही अतीक के बेटे असद अहमद के एनकाउंटर की भी। चुनावी दुश्मनी के चलते दो परिवारों ने एक-दूसरे को मिट्टी में मिला दिया और इस कांड में शामिल कई और परिवारों को भी। अब परिवार में बचे-कुचे लोग और महिलाएं दहशत में जी रहे हैं। अब इन महिलाओं के लिए ‘महिलाओं के सम्मान में भाजपा मैदान में’ वाला नारा इनको चिढ़ाने से कम नहीं लगेगा।
13 अप्रैल को अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर, फिर 14 अप्रैल रात 10:35 बजे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या। एनकाउंटर होता है जंगलों में और हत्याकांड होता है प्रयागराज के अस्पताल परिसर में। पहली बात जब भी एनकाउंटर पुलिस करती है तो जंगल दिखाती है। सारे एनकाउंटर सिर्फ जंगल में, वह भी माफिया का बेटा। अस्पताल के सामने पुलिस सुरक्षा के बीच गोलियां चल जाना। ऐसा सिर्फ इसी केस में हो सकता था बाकी तो हमारे नेता मंत्री की पुलिस सुरक्षा करती है पर कभी ऐसी घटनाएं नहीं हुईं, क्यों?
वैसे मिट्टी में मिला देने की बात स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में बोली थी और हां मिट्टी में मिला तो दिया। अब राम रहीम, आशाराम बापू, कुलदीप सेंगर जैसे कथित माफियाओं को भी मिट्टी में मिलाने में इतनी देर क्यों लग रही है? कहीं ये तो नहीं कि यह सब मुस्लमान या गैर हिन्दू नहीं है और आपके धार्मिक एजेंडे में फिट नहीं बैठते, आपके रामराज्य में?
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यह रामराज्य सनातन धर्म के खिलाफ क्यों खड़ा हो रहा है? जिस तरह से अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को खुले आम पुलिस सुरक्षा के बीच ताबड़तोड़ फायरिंग करके हत्या की गई और पुलिस तमाशबीन असहाय बनी रही। अपराधियों की हिम्मत तो देखिए जो गोली मारकर अपने को गौरवशाली महसूस करते हुए जय श्री राम के नारे भी लगाए। यह कौन लोग हैं कहां से आये हैं? क्या यह हिन्दू हैं क्योंकि जय श्री राम के नारे लगाकर खुद को सही साबित करने के लिए हिन्दू धर्म को धर्म संकट डाल दिया। क्या राम के जमाने का रामराज्य ऐसा था?
योगियों के रामराज्य का प्रदेश उत्तर प्रदेश जहां पर प्रदेश की कमान एक मंदिर के महंत योगी आदित्यनाथ के हाथ में है वहां पर पाप का ग्राफ दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इनसे इस सवाल का जवाब लेने की हिम्मत किसी में नहीं बची कि मुठभेड़ और पुलिस हिरासत में हत्या का जिम्मेदार कौन? हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस मामले को लेकर जवाब मांगा है। इसके अलावा इस पर सवाल उठाने की हिम्मत अब मीडिया, पुलिस, शासन, सरकार और समाज में किसी में नहीं है? रामचरित मानस के राम के रामराज्य की तुलना योगियों के रामराज्य से करना राम का घोर अपमान करने जैसे है। आपने रामायण तो पढ़ी या सुनी होगी न। खुद से पूछिए या फिर ये योगी बताएं कि रामायण वाला रामराज्य क्या सच में ऐसा था?
ऐसे माफियाओं के तार बहुत लंबे और गहरे होते हैं। चाहें वह विकास दुबे हो या अतीक अहमद। ऐसों के ऊपर सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए। इसके लिए संविधान के अंदर दिए गया कानून है। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट जैसे अदालतें और पुलिस हैं। सवाल यह है कि आज सब फेल क्यों पड़ गए हैं? क्या योगी के राज में अदालतें, पुलिस, कानून नाकामयाब हो गए हैं? या फिर योगी अपनी दादागिरी के बल पर यह राम राज्य कायम किये हुए हैं?
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