खबर लहरिया जिला टीकमगढ़ : गौशाला में चारे-भूसे की कमी से रोज़ मरते जानवर, कहाँ गया सरकारी बजट ?

टीकमगढ़ : गौशाला में चारे-भूसे की कमी से रोज़ मरते जानवर, कहाँ गया सरकारी बजट ?

पशु हमेशा से ही मानव की जीविका का साधन रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी उनके रहनेखाने की उचित व्यवस्था के नाम पर वादें, अधूरे काम और नाम से चलती योजनाएं नज़र आती है। पर क्या असल में जो पशुओं के लिए किया जाना चाहिए, वह हो रहा है? या जितना हो रहा है, क्या वह काफ़ी है? ऐसे कई सवाल है पर इनके जवाब समय के अनुसार बदलते रहते हैं या ये कहें की दिए ही नहीं जातें।

मध्यप्रदेश के जिला टीकमगढ़ ब्लाक जतारा के ग्राम पंचयात में मौजूद रामनगर और भगवंतपुरा गांव के लोग गौशाला में पशुओं के चारापानी ना होने से काफ़ी परेशान हैं। उनकी शिकायत है कि सरकार द्वारा गांव में गौशाला को बनवाये हुए तकरीबन एक साल हो गए हैं। सरकार ने पशुओं के सर पर छत तो दी लेकिन उनका पेट नहीं भर पाई यानी  गौशाला तो बनवाई गयी लेकिन सरकार द्वारा उनके चारेपानी की व्यवस्था नहीं की गयी। जिसकी वजह से हर दो से चार दिनों में किसी जानवर की मौत हो जाती है। अगर गैशाला है तो चारेपानी की व्यवस्था क्यों नहीं है? लोग कहते हैं, सरपंच से कहो तो उसके पास कोई जवाब नहीं, तो कौन देगा जवाब

ये भी पढ़े : चित्रकूट : गौशाला ना होने से अन्ना जानवरों ने की, किसानों की फसलें बर्बाद

लोगो ने कहा, गौशाला में कोई सुविधा नहीं

भगवन्तपुरा गांव के कृपाराम घोष का कहना है कि गौशाला में पहले 232 जानवर रखे गए थे। जिनमें से आधे से ज़्यादा की मौत हो गयी और अब सिर्फ 150 जानवर ही गौशाला में है। वह कहते हैं कि ठंड तो कभी खाने की कमी की वजह से एक दिन में दो से तीन जानवरों की मौत हो जाती है। किसी भी तरह की व्यवस्था गौशाला में नहीं है।उनकी सरकार से मांग है कि अगर गौशाला बनवाई है तो उसकी उचित देखभाल की जाए। वह गौशाला कम कसाईखाना ज़्यादा लगता है।

गांव के सुरेश सिंह ठाकुर का कहना है कि गौशाला में जिन कर्मचारियों को जानवरों को देखरेख के लिए रखा गया है। वह लोग बस अपने घर के कामों में लगे रहते हैं। जानवरों की देखरेख नहीं करते। गौशाला में सिर्फ पानी की ही सुविधा है और कुछ नहीं है। 

खुन्ना सिंह घोष ने बताया कि उनके गांव की गौशाला में रामनगर और भगवंतपुरा गांव के ही जानवर रखे गए हैं। लेकिन गौशाला में उस तरह से व्यवस्था नहीं है, जैसी की होनी चाहिए। उनकी मांग है गौशाला में जो सुविधा नहीं है उसे जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए। 

सरपंच ने कहा : सारे आरोप गलत हैं

ग्राम पंचयात के सरपंच रामनगर जहरी सिंह घोष ने बताया है कि गांव में ग्राम पंचायत द्वारा गौशाला को बनाया गया था। जंगली आवारों जानवरों के रहने के लिए गौशाला का निर्माण किया गया। जिसके बाद जानवरों की देखरेख की ज़िम्मेदारी लक्ष्मी शिवाय समूह को दे दी गयी। इसके लिए 1 लाख रुपये तक का बजट भी आया था, जिसे समूह को दिया गया था ताकि जानवरों की देखरेख और चारेभूसे में कोई समस्या ना हो। इस समय गौशाला में कुल 170 जानवर हैं। वह कहते हैं कि उन पर गांव के लोगों द्वारा लगाए गए सारे आरोप गलत हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी तरफ से जानवरों के लिए अच्छी व्यवस्था की है। वहीं वह यह भी कहते हैं कि उनके द्वारा बीमार जानवरों की जांच के बाद अच्छी तरह से देखभाल की जाती है।

नहीं मिला 170 जानवरों का बजट : लक्ष्मी शिवाय समूह के अध्यक्ष

संतोष विश्वकर्मा लक्ष्मी शिवाय समूह के अध्यक्ष हैं। वह कहते हैं कि पूर्ण रूप से गौशाला को अक्टूबर, 21 जनवरी से शरू किया गया था। गौशाला में जानवरों की देखरेख के लिए सरपंच सेक्रेटरी द्वारा दो किस्तों में 50-50 हज़ार रुपये दिए गए थे। उन्हें सिर्फ 100 जानवरों के चाराभूसा के लिए बजट दिया गया था। इस समय गौशाला में 170 जानवर हैं, जिनमें से 70 जानवरों के लिए उन्हें बजट नहीं दिया गया है। 

वह कहते हैं कि एक ग्राम पंचायत में तीन से चार गांव आते हैं लोगों द्वारा इधरउधर के जानवरों को गौशाला में डाल दिया गया है। जानवरों की देखरेख लिए दो कर्मचारी भी रखे गए हैं। जिसमें एक कर्मचारी को 9 हज़ार और दूसरे को 6 हज़ार रुपये वेतन दिया जाता है। अध्यक्ष के अनुसार, उनके द्वारा जानवरों के चाराभूसा में किसी भी तरह की कमी नहीं की गयी है। वह कहते हैं कि इतना कुछ करने के बाद भी गांव के लोगों द्वारा उन पर आरोप लगाया जा रहा है। वह चाहतें हैं अगर ऐसा है तो गौशाला की जांच कराई जाए।

जनपद सीईओ ने कहा, चारेपानी की है पूरी व्यवस्था

जनपद पंचयात जतारा के सीईओ आनंद शुक्ला का कहना है कि भगवंतपुरा गांव से उनके पास पहले भी शिकायत आयी थी। लोगों द्वारा कहा गया था कि जानवरों के चाराभूसा की व्यवस्था नहीं है और भूख से जानवरों की मौत हो रही है। वह कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है बल्कि गौशाला में हर तरह की व्यवस्था मौजूद है।

गांव के लोगों द्वारा अलग बात की जा रही है वहीं गांव के सरपंच से लेकर सीईओ तक गौशाला मे सुविधा की कमी होने के आरोप को झूठा बताया जा रहा है। तो सच क्या है? क्या भूख से जानवरों की मौत नहीं हो रही? अगर 170 जानवर हैं तो सिर्फ 100 का ही बजट क्यों दिया गया है?

ये भी पढ़े :बुंदेलखंड : भूख से रोज़ होती है गायों की मौत, नहीं मिल रहा गौशाला परियोजना का फण्ड