खबर लहरिया चित्रकूट चित्रकूट : जूली नाम की कुत्तिया का हुआ बरहौं संस्कार, नाच-गाने-बाजे में झूम उठे बच्चे-बूढ़े

चित्रकूट : जूली नाम की कुत्तिया का हुआ बरहौं संस्कार, नाच-गाने-बाजे में झूम उठे बच्चे-बूढ़े

Julie's rite of death

कहते हैं खुशियां और मुस्कुराहटें कई चहरों में आती हैं। अगर हम उसे ढूंढने की कोशिश करें तो वह हमें हर जगह दिख जाएंगी। अक्सर हम इन चीजों को सिर्फ अपने परिवार या अपने किसी संबंध में ही ढूंढने की कोशिश करते हैं। लेकिन चित्रकूट जिले के कर्वी गांव खोही के रहने वाले रामकिशोर कुरील ने यह खुशी एक जूली नाम की कुत्तिया में देखी। जिसने पांच बच्चों को जन्म दिया था और उसका बरहौं कराया। बरहौं मतलब जो बच्चे के जन्म के बारहवें दिन कराया जाता है। आपको यह सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन अगर किसी से लगाव हो तो यह कार्य आम भी लगने लगता है।

जूली के 5 बच्चों के होने पर किया बरहौं का आयोजन

जूली एक कुत्तिया का नाम है। वह पालतू नहीं है। वह रामकिशोर के पड़ोस में रहती है। जहां उसने 15 जनवरी के दिन पांच बच्चों को जन्म दिया। एक दिन रामकिशोर अपने साथियों के साथ बैठे हुए थे और उस समय उसकी नज़र जूली ( कुत्तिया) और उसके बच्चों पर पड़ी। ठंड में बच्चों को देखकर उसके मन मे आया कि उसे उनके लिए कुछ करना चाहिए। फिर सोचतेसोचते उसने तय कर लिया कि वह जूली और उसके बच्चों के लिए बरहौं का आयोजन कराएगा। 

ढेड़ लाख रुपए हुए खर्च, हज़ारों लोगों को दिया निमंत्रण

26 जनवरी के दिन उसके द्वारा गांव में ही बरहौं कार्यक्रम आयोजित किया गया। साथ ही इस आयोजन में उसने लगभग ढाई हजार लोगों को भी बुलाया। आमंत्रण के लिए बकायदा निमंत्रण पत्र छपवाए गए थे। आये लोगों के लिए खानेपीने की व्यवस्था की गयी। आयोजन में रौनक लगाने के लिए नाचगाना, बैंडबाजा, घोड़ागाड़ी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और साजसज्जा तक किसी भी चीज़ में कमी नहीं छोड़ी गयी। महिलाओं द्वारा कार्यक्रम में गीत भी गाया गया। आयोजन ऐसा कि कोई कह नहीं सकता कि सब कुछ सिर्फ एक आवारा कुत्तिया के लिए किया गया है। मानों किसी की शादी हो रही हो, कुछ ऐसा इंतज़ाम किया गया था। इन सबमें लगभग ढेड़ लाख रुपयों का खर्च आया। इतने ज़्यादा पैसे आमतौर पर हम खुद के परिवार में भी खर्च करने से कतराते हैं। लेकिन किसी आवारा जानवर के लिए लाखों रुपये खर्च करना आम बात नहीं है। इसके साथ ही कुछ स्वयं सेवी संगठनों ने भी इस कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था।

तस्वीरों में कैद किया अनोखा दिन

पूरे कार्यक्रम का आयोजन रामकिशोर कुरील के अलावा मुस्तफ़ा खां और उमेश पटेल ने किया। आये लोगों ने कार्यक्रम का भरपूर मज़ा उठाया। बच्चों और बड़ो ने जूली के साथ खूब सारी फोटो भी खिंचवाई। तस्वीरें यादों को समेटने का काम करती हैं और यह आयोजन यादों के डब्बों में बटोरने वाला ही था। जिसे अगर सालों बाद भी देखा जाए तो चहरे पर मुस्कान और यादों की झलक तस्वीरों की तरह आंखों के सामने जाए। मानों फिर से उस दिन को एक बार फिर जी लिया हो। 

ऐसे कुछ कार्यक्रम दिल को खुश करने वाले होते हैं। जहां आज के समय में खुद से ऊपर किसी के बारे में सोचना मुश्किल है। ऐसे में किसी आवारा जानवर के लिए कार्यक्रम आयोजन करना, वो भी धूमधाम से मनुष्य की भावुकता को दर्शाता है।