खबर लहरिया Blog कॉलोनी में बनी आंगनबाड़ी, कॉलोनी के बच्चों के लिए नहीं

कॉलोनी में बनी आंगनबाड़ी, कॉलोनी के बच्चों के लिए नहीं

कर्वी ब्लॉक के ग्राम पंचायत लोढवारा की कॉलोनी में बने आंगनबाड़ी केंद्र में कॉलोनी के बच्चों को जाने की नहीं है इज़ाज़त।

                                                                                                                  ग्राम पंचायत लोढवारा

जिन बच्चों की उम्र पांच साल से कम है, उनकी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केंद्र नियुक्त किये गए। जहां पांच साल से कम उम्र के बच्चे भी जा सकें और उठना-बैठना भी सीखें। इसके साथ ही वह खेल-खेल में वर्ण माला और स्वर सीखें। आंगनबाड़ी में बच्चे कुछ हद तक बुनियादी शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं।

आपको बता दें, चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लॉक के ग्राम पंचायत लोढवारा में मायावती सरकार द्वारा शहरी गरीब आवास योजना के तहत काशीराम कॉलोनी में लगभग एक हज़ार कॉलोनी बनवाई गयी थी। कॉलोनी में आंगनबाड़ी केंद्र है जो कॉलोनी के क्वार्टर में ही है। उस आंगनबाड़ी केन्द्र में सिर्फ लोढवारा गांव के बच्चे ही पढ़ते हैं लेकिन वहां कॉलोनी के बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता।

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जानिए क्या कहना है कॉलोनी में रहने वाले लोगों का

कॉलोनी में रहने वाले मन्नू ने बताया कि अगर कॉलोनी के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने के लिए जाते हैं तो उन्हें पढ़ाया नहीं जाता। वहीं महिलाओं का कहना था कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूल में दाखिला नहीं होता है। वह अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजती हैं तो उन्हें वापस भेज दिया जाता है। बच्चे अगर आंगनबाड़ी में रहते तो वह लोग कुछ घंटे बेफिक्र रहतें।

महिलाएं कहती हैं कि जब आंगनबाड़ी कॉलोनी में स्थित है तो लोगों को आंगनबाड़ी से मिलने वाली सुविधाएँ क्यों नहीं दी जाती। अगर आंगनबाड़ी सिर्फ गाँव के लिए ही है तो आंगनबाड़ी गाँव में ही खोला जाये। उन्होंने आगे कहा कि अगर आंगनबाड़ी गाँव की है तो कॉलोनी का आंगनबाड़ी केंद्र कहां गया। जब कॉलोनी बनी थी तब तो सारे बच्चे जा रहे थे।

कॉलोनी में रहने वाली आमना कहती हैं कि बच्चों के लिए आने वाला खाद्यान भी उनके बच्चों को नहीं दिया जाता।

सौफिया ने कहा, हर घर में महिलाओं को बहुत काम होता है इसलिए वह सब यही चाहते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र उनके यहां भी हो जाए। इससे जितनी देर बच्चे आंगनबाड़ी में होंगे, कुछ पढ़ेंगे-लिखेंगे, पेंसिल चलाना, उठना-बैठना सिखेंग और उन्हें भी अपने बच्चों का डर नहीं होगा।

अधिकारी से भी की आंगनबाड़ी केंद्र की मांग

मीरा ने बताया कि उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र के लिए डीएम और विकास भवन के जिला कार्यक्रम अधिकारी से भी मांग की थी। बस आश्वाशन मिला लेकिन कुछ नहीं हुआ। कॉलोनी में लगभग 100 छोटे-छोटे बच्चें हैं जो बस ऐसी ही खेलते रहते हैं या फिर माँ-बाप उन्हें बाहर नहीं निकलने देते। वह कहती हैं कि अगर बच्चे एकदम से स्कूल जाएंगे तो वह सब कैसे मैनेज करेंगे।

अधिकारीयों ने किया है मना – केंद्र की सहायिका

आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका मुन्नी देवी ने बताया, ‘जब हमें कॉलोनी के बच्चों के लिए मना कर दिया गया है तो हम कैसे बैठाएं। जब कॉलोनी बनी थी तो हमें यहां कॉलोनी में केन्द्र खोलने के लिए एक कॉलोनी मिली थी जिसमें लगभग तीन साल कॉलोनी के बच्चे भी आए फिर अधिकारियों द्वारा मना कर दिया गया। इसलिए हम भी बच्चों को नहीं बैठाते। अपने पास से तो देंगे नहीं। गांव के बच्चों के लिए चीजें आती हैं हम देते हैं।’

उनके हाथ में नहीं है कुछ – जिला कार्यक्रम अधिकारी

खबर लहरिया ने इस बारे में जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार से बात की। उनका कहना था, ‘पहली बात मुझे इसकी जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है, वहां कालोनी में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है तो ये केन्द्र सरकार का निर्णय है। नया केन्द्र बनाने का या आंगनबाड़ी नियुक्त करने का हमारे अधिकार में नहीं है, राज्य सरकार के है।’

आंगनबाड़ी केंद्र न होने की ज़िम्मेदारी को लेकर हर कोई यही बात कहता दिख रहा है कि कुछ भी उनके हाथ में नहीं है। तो फिर आंगनबाड़ी केंद्र बनवाने को लेकर कोई भी ज़िम्मेदार अधिकारी यह बात राज्य सरकार तक क्यों नहीं पंहुचा रहा है? क्या यह कह देना काफ़ी है कि चीज़ें उनके अधिकार में नहीं है।

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इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है। 

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