जिला चित्रकूट ब्लाक मानिकपुर गांव खिचड़ी मजरा बेलहा गांव में एम्बुलेंस समय से ना पहुंचने पर आये दिन किसी ना किसी की मौत हो जाती है। हाल ही मे, एक बच्चे की मौत हो गयी। गांव में पहले एम्बुलेंस आने में ही दो घन्टे लग जाते हैं और फिर गांव से अस्पताल जाने में दो और घन्टे। लॉकडाउन के दौरान एम्बुलेंस में ऑक्सीजन ना होने के कारण भी एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी।
लोगों का यह भी आरोप है कि कई बार एम्बुलेंस में मरीज को बैठाया तक नहीं जाता, बेशक उसकी जान चली जाए। गांव के लोगों के पास इतने पैसे नहीं कि वह प्राइवेट अस्पताल में मरीज को लेकर जाए। मज़दूरी करके वह लोग अपने परिवार का भरन-पोषण करते हैं। जब कभी एम्बुलेंस नहीं आती तो उन्हें चालीस किलो मीटर चलकर जाना पड़ता है।
अगर वह अस्पताल पहुंच भी जाये तो अस्पताल में सही से इलाज नहीं किया जाता। ना ही अस्पताल में मरीजों के लिए उचित सुविधा मौजूद है। क्या लोगों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी सरकार की नहीं है? साधनों को लोगों तक पहुँचाने का कार्य क्या सरकार या जिला अधिकारी का नहीं है ? अगर गांव, पहुंच से दूर है तो क्या साधनों को गांव तक लेकर नहीं जाया जा सकता ?