लोकसभा में गृह मंत्रालय द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार, 71 भारतीय सुरक्षा बलों के कर्मी जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गये। यह आंकड़ा 27 नवम्बर 2016 में, 2013 के मारे गये 53 कर्मियों के 34प्रतिशत ज्यादा और चार सालों में सबसे ख़राब हालात बताते हैं।
जबकि उत्तर-पूर्व में, चार वर्षों के अंतर्गत आतंकवादियों के हाथों मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या 80प्रतिशत कम हुई है। यह संख्या 18 से 9 आंकी गयी है। वहीं, वामपंथी आतंकवादियों, मुख्य रूप से माओवादियों के हाथों मारे गए सुरक्षा बलों संख्या 45प्रतिशत कम हुई है। यह 2013 में 115 थी जो नवंबर, 2016 में 64 हो गई।
आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जब से 2016 में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा की स्थिति खराब हुई है, उत्तर-पूर्व में और भारत के कुछ हिस्सों में वामपंथी आतंकवादियों द्वारा फैले आतंक में सुधार हुआ है।
2015 में मरने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में 82प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 39 सैनिकों की मौत हो गई। वहीँ, चोट लगने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या 208 पर पिछले साल से दोगुनी हुई है।
2015 से लेकर 2016 तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 47प्रतिशत की वृद्धि हुई। आतंकवादी हमलों में नागरिक मौतों, 18प्रतिशत हुई जबकि चोटों लगने और घायल लोगों की संख्या 13प्रतिशत रही है। 6 दिसंबर 2016 इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, 2016 में 140 आतंकवादी सुरक्षा बलों द्वारा मारे गये। जो पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा थे।
25 नवंबर, 2016 को इंडियास्पेंड के द्वारा दी गई एक सूचना के अनुसार, सुरक्षा बलों और आतंकवादियों की होने वाली मौतों में वृद्धि यह संकेत देती है कि 2015 के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में इस साल वृद्धि हुई है। आतंकवादियों तेजी से सुरक्षा बलों और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करने की योजना बना रहे हैं, यह देखते हुए कि नागरिकों को इसमें कम खतरा हो। इस बीच नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने में पाकिस्तान की तरफ से की गई कोशिशों में 42प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गृह राज्य मंत्री में लोकसभा में बताया, इस साल नवंबर तक पाकिस्तान ने सीमा पर 437 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। जम्मू कश्मीर में सीमा पर पाक संघर्ष में 37 लोग मारे गए हैं जबकि 179 लोग घायल हुए हैं।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड