खबर लहरिया मनोरंजन 107 वर्षों में भारत के गैंडों की जनसंख्या में हुई 35 गुना बढ़ोतरी

107 वर्षों में भारत के गैंडों की जनसंख्या में हुई 35 गुना बढ़ोतरी

साभार: विकिमेडिया कॉमन्स

बाघ संरक्षण के लिए संघर्ष करते भारत के प्रयासों के बारे में सभी को जानकारी है। अब वहीं गैंडों को लेकर भारत के प्रयासों को सराहा जा रहा है। वर्ष 1905 में गैंडों की आबादी 75 थी जो वर्ष 2012 में 2,700 हो गई है।
2014 में दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क में किए गए शोध के अनुसार, गैंडे शाकाहारी होते हैं जो एक बड़े शाकाहारी समूह के साथ रहते हैं। इनका अनुमानित वजन 1,000 किलोग्राम से अधिक होता है और इनके समूह में शामिल सभी वजनी साथी जैसे, हाथी और दरियाई घोड़ों का भी। इन्हें एक विशेष प्रकार की घास खाना और वनस्पतियों को कुचलना पंसद है। इस तरह से यह अपने साथ रहने वाले अन्य छोटे शाकाहारी जानवरों का भी ख्याल रखते हैं। इनके मल-मूत्र द्वारा भी घास के मैदानों में और वन क्षेत्रों में बीज का फैलाव होता है जिससे जंगल में हरियाली बनी रहती है।
‘इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन’ के अनुसार, 1900 के दशक तक, 100 और 200 के बीच ही जंगली गैंडे बचे थे। वहां अब लगभग पैतीस सौ गैंडों की जनसंख्या है जो एक बड़ा बदलाव है।
इनमें से, देश में अभी एक सींग वाले सत्रह सौ गैंडे हैं। इनमें 85 प्रतिशत असम राज्य में हैं। शिकार की वजह से संख्या कम होने के कारण सरकार इनकी संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है। दुधवा नेशनल पार्क में गैंडों को पुर्नस्थापित किया जा चुका है। पड़ोसी देश नेपाल में गैंडों की संख्या 500 है। अफ्रीका में काफी गैंडे हैं, लेकिन वह दो सींग वाले हैं।
डब्ल्यू डब्ल्यू एफ-इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012 में भारतीय गैंडों की 91% जनसंख्या असम में थी जो अब उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम के कुछ हिस्सों में भी पायी जाने लगी है।
गैंडे एक समय पहले भारत के साथ ही पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त से लेकर नेपाल और म्यांमार में पाए जाते थे, जो अब भारत के असम काजीरंगा नेशनल पार्क में 430 वर्ग किलोमीटर के फैले जंगल में सिमट चुका है। असम में करीब सत्रह सौ गैंडे बताए जाते है, असम के जंगलों में 70 फीसदी बताए जाते हैं। कई देशों में गेंडे सिर्फ चिड़ियाघरों में ही देखे जा सकते हैं। वहीं, भारत सरकार द्वारा शुरू किये गये इंडियन राइनो विजन 2020 की शुरुआत 2005 में हुई थी। जिसका लक्ष्य 2020 तक गैंडों की संख्या तीन हज़ार पहुंचाना है।

साभार: इंडियास्पेंड