पेगासस एक जासूसी करना वाला सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति का फ़ोन हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस व्यक्ति के फोन का कैमरा, माइक, मैसेज और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है।
भारत में एक बार फिर पेगासस प्रोजेक्ट चर्चा का विषय बन गया है। ‘द वायर’ की एक रिपोर्ट के अनुसार 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों और करीब 300 और भारतीयों के फोन नंबर उनपर निगरानी रखने के लिए लीक किए गए हैं, फोरेंसिक परीक्षणों ने पुष्टि की है कि इनमें से कुछ पत्रकारों के ऊपर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके एक अज्ञात एजेंसी द्वारा सफलतापूर्वक जासूसी भी की गई थी। लीक हुए डेटा में हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े मीडिया हाउस के शीर्ष पत्रकार शामिल हैं, इसके साथ ही कार्यकारी संपादक शिशिर गुप्ता, इंडिया टुडे, नेटवर्क18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकारों के नाम भी सामने आए हैं।
क्या है पेगासस स्पाइवेयर?
पेगासस को एक इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है, इस स्पाइवेयर की मदद से कई भारतीय पत्रकारों और चर्चित हस्तियों के फ़ोन की जासूसी करने का दावा किया जा रहा है। बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाइवेयर को ख़रीदा है। पेगासस स्पाइवेयर के चर्चित हस्तियों की जासूसी के काम को लेकर पहले भी कई बार विवाद हुए हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल कर रहीं कई देशों की सरकारों ने पेगासस का उपयोग करना फिर भी बंद नहीं किया है। व्हाट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक समेत कई दूसरी कंपनियों ने इस स्पाइवेयर पर मुकदमे भी किए हैं।
सरकार ने गलत बताए पेगासस से जुड़े सभी आरोप-
जब ‘द वायर’ ने इस बात का दावा किया कि भारतीय सरकार ने भी पत्रकारों और कुछ चुनिंदा नेताओं के ऊपर जसूसी करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया है, तब से केन्द्रीय सरकार कटघरे में आ खड़ी हुई है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय सरकार ने इन सभी आरोपों को गलत और गैरज़रूरी बताया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक सूत्र ने NDTV को बताया कि “हमें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। हम हर सवाल का उत्तर देने के लिए तैयार हैं। द वायर का एक लेख कुछ भी साबित नहीं करता है। वास्तव में, पेगासस को केंद्रीय सरकार से जोड़ने के पिछले कई प्रयास भी विफल रहे हैं।”
कैसे सामने आयी भारतीयों की सूची?
बता दें कि पेरिस की फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल नामक दो संस्थानों के पास करीब 50 हजार फोन नंबर्स की एक लिस्ट है, और यह दोनों संस्थानें यह दावा करती हैं कि ये वो नंबर हैं जिन्हें पेगासस स्पाइवेयर के ज़रिये हैक किया गया है। हाल ही में इन संस्थानों ने यह लिस्ट विश्वभर में मौजूद 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर करी, और हफ्तों चली जांच के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि अलग-अलग देशों की सरकारें पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, बिजनेसमैन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और वैज्ञानिकों समेत कई लोगों की जासूसी कर रही हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार इस सूची में भारत का नाम भी शामिल है। जिन लोगों की जासूसी की गई है उनमें 300 भारतीय लोगों के नाम शामिल हैं। और जासूसी के लिए इसराइली कंपनी द्वारा बनाए गए स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले 2019 में भी जब व्हाट्सऐप ने इस स्पाइवेयर को बनाने वाली इसराइली कंपनी पर मुकदमा किया था तब भी यह मामला काफी सुर्ख़ियों में रहा था।
पेगासस से कैसे करते हैं जासूसी?
पेगासस एक जासूसी करना वाला सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति का फ़ोन हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस व्यक्ति के फोन का कैमरा, माइक, मैसेज और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। किसी भी फ़ोन को हैक करने के लिए उसमें इस सॉफ्टवेयर को इंस्टाल करना ज़रूरी होता है लेकिन एक बार आपके फ़ोन में ये सॉफ्टवेयर पहुँच गया तो आपको पता भी नहीं चलेगा और यह सॉफ्टवेयर अंदरूनी तौर पर अपना काम करता रहेगा और व्यक्ति को इसकी जानकारी भी नहीं लग पाएगी।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली कंपनी किसी भी निजी कंपनियों को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है, बल्कि इसे केवल सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही इस्तेमाल के लिए दिया जाता है। इसका मतलब यह साफ़ है कि अगर भारत में इसका इस्तेमाल किया गया है, तो कहीं न कहीं सरकार या सरकारी एजेंसियां इसमें ज़रूर शामिल हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि अगर जांच के बाद यह साबित हो गया कि भारत सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल कर पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर जासूसी करी थी, तब केंद्रीय सरकार काफी मुसीबत में आ सकती है। फिलहाल तो सरकार पेगासस से जुड़े हर आरोप को गलत बता रही है लेकिन जांच के बाद क्या साबित होता है यह तो समय बताएगा।
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