आज यानी 26 जनवरी को देश अपना 73वां (तेहत्तरवां) गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और भारत को एक गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया। डॉ भीम राव अंबेडकर ने संविधान समिति की अध्यक्षता की और उस दिन के बाद से गणतंत्र दिवस पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
कोरोना महामारी के चलते पिछले दो सालों में हर त्यौहार, पर्व और दिवस मनाने के तरीके में बदलाव तो आया ही है, उसी तरह 26 जनवरी का जश्न मनाने में भी कई बदलाव आए हैं। जहाँ पहले बच्चे आज के दिन सज-धज के ध्वजारोहण करने के लिए स्कूल के लिए निकलते थे और स्कूल में मिठाइयां बंटने का कई दिन से इंतज़ार करने लग जाते थे, वहीँ अब हर साल आ रही कोविड-19 की लहर के चलते स्कूल ही बंद हैं, ऐसे में न ये बच्चे गणतंत्र दिवस का जश्न मना पा रहे हैं और न ही इन्हें वो गरमा-गरम मोतीचूर के लड्डू मिल पा रहे हैं। तो चलिए इन्हीं बच्चों से पूछते हैं कि 26 जनवरी की मिठाइयों की याद आखिर इन्हें कितनी आ रही है।
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बच्चे तो बच्चे बड़े भी गणतंत्र दिवस की यादें ताज़ा करने में पीछे नहीं रहे। सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा जैसे गानों की धुन ये लोग आज भी याद करके मुस्कुराते हैं। समय भले ही बदल गया हो लेकिन अपने देश के प्रति इन लोगों की भावनाएं आज भी ज़िंदा हैं। कोरोना हमें शारीरिक रूप से तो तंग कर सकता है, लेकिन हमारे दिल से भारत की जगह थोड़ी छीन सकता है।
अब ये मिठाइयां भले ही बच्चे न खा पा रहे हों, लेकिन गणतंत्र दिवस के इस अवसर पर हम बस यही आशा करते हैं कि आने वाले सालों में यही बच्चे हमारे देश को नयी ऊंचाइयों तक लेकर जाएँ और हमारे तिरंगे की शान बढ़ाएं। मिठाई तो हम तब भी खा लेंगे, क्यूंकि देश वासियों को तो मिठाई खाने का बस बहाना चाहिए है न? जय हिन्द जय भारत!
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